रामायण और चित्रकला
जो कथा चित्रों में रुपायित होती है, उसे सब समझ सकते हैं। [१]
वाल्मिकी रामायण मेंं 'चित्र' शब्द
'चित्र' शब्द का संस्कृत मेंं केवल चित्रकला के अर्थ से नहींं आता। 'चित्र' शब्द वैसे ऋग्वेद , रामायण और संस्कृत भाषा मेंं दूसरे बहुत सारे अर्थ लेकर आता है। रामायण के बाल काण्ड,अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड और सुन्दर काण्ड मेंं विषय वस्तु की सुंदरता तथा आकर्षकता के विशेषण के स्वरूप मेंं चित्र शब्द का प्रयोजन दिखाई पडता है। अयोध्या काण्ड मेंं स्थलनाम चित्रकूट मे चित्र शब्द पाया जाता हैं।
यद्यपी सुन्दरकाण्ड मेंं प्रयुक्त 'चित्रशाला' एवं 'चित्रगृह' शब्द पेंटींग के स्थलनाम अर्थ से शब्द प्रयोग का संकेत देते दिखते हैंं मगर किसी विशिष्ट चित्र के आरेखन का स्पष्ट निर्देश दिखाई नहींं पड़ता।[२][३][४]
क्र | रामायण श्लोक | काण्डम् | सर्ग | सर्गमे श्लोक क्रमांक | |
---|---|---|---|---|---|
१ | शिबिका विविध आकाराः स कपिर् मारुत आत्मजः |
लता गृहाणि चित्राणि चित्र शाला गृहाणि च[३] |
सुन्दरकाण्डम् | ६ | ५-६-३६ | |
२ | लता ग्ऱ्हामः चित्र गृहान् निशा गृहान् |[४]
जगाम सीताम् प्रति दर्शन उत्सुको | न च एव ताम् पश्यति चारु दर्शनाम् |
सुन्दरकाण्डम् | १२ | ५-१२-१ | |
६ टी शताब्दी
देवगढ़ मंदिर, राम की प्रथम प्रतिमाएँँ।[५]
दक्षिण-पूर्व एशिया के शिलाचित्र
दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक स्थलों पर शिलाचित्रों में रामकथा की अभिव्यक्ति हुई है। कई देशों में शिलाचित्र श्रृंखलाओं में रामचरित का वर्णन हुआ है। उनमें जवा के प्रम्बनान तथा पनातरान, कंपूचित्रा के अंकारेवाट और थाईलैंड के जेतुवन विहार के नाम उल्लेखनीय हैं।[१]
८वी शताब्दी
रामायण भित्तीचित्र ८वी शताब्दी एलोरा गुफॉं क्र। १६
१७ वी शताब्दी
मेवाड़ के महाराना जगत सिंह के समय लिखी गई रामायण मेंं मेवाड़ शैली के रामायण चित्र पाए जाते हैं।[७]
१८ वी शताब्दी
१८ वी शताब्दी के मध्य मेंं जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह के संरक्षण मेंं रामायण की कथावस्तु पर चित्रकार गुमान ने [८]जयपुर शैली मेंं चित्र बनाए हैंं। 'चित्रकूट ' मेंं भरत का राम से मिलाप' नामक कुल ४९ कला कृतियाँँ अलग-अलग समूहों में रखी गयी हैं जो राम को आयोध्या लाने के प्रयासोंं से संबंधित उपाख्यानोंं को दर्शाती हैं।
चम्बा के महाराजा उम्मेद सिंह (१७४८-६४) और उनके पुत्र महाराजा राज सिंह (१७६४-९४) के समय के चित्रकार बिलू मिस्त्री की १२० रामायण विषय की कलाकृतीया भारत के विभीन्न संग्रहालयोंं मेंं पायी जाती हैं।[९]
जोधपुर के महाराजा विजय सिंह (१७५२-९३) के कार्यकाल मेंं निर्मित ९० लघु-आकार चित्र कृती मेहेरगढ़ किले के प्रदर्शनी कक्ष मे उपलब्ध है। मंगलदास एवम साकेर मिस्त्री ने इन जोधपुर कलाकृतियोंं से बच्चोंं के लिए लिखी किताब The Mighty Tale of Hanuman को सजाया गया हैं।[१०]
१९ वी शताब्दी
१९वी शताब्दी उत्तरार्ध के प्रमुख रामायण चित्रकारोमे त्रावणकोर के चित्रकार राजा रवि वर्मा जी का नाम आता है।
२० वी शताब्दी
गीता प्रेस गोरखपूर द्वारा 'आदिकवि महर्षी वाल्मीकी रामायण' इसवी सन १९६० मे प्रकाशित ग्रंथ प्रतियोंके २१ चित्र चित्रकार जगन्नाथ द्वारा बनायें गए थे ।
मंदिरोंं मेंं भित्तीचित्र
कुंभकोणम के रामस्वामी मंदिर की परिक्रमा की दिवारेंं रामायण प्रंसगोंं से चित्रित होती हैंं। रामायण के यहाँ चित्र देखते देखते मंदिर की ३ प्रदक्षीणाएँँ पूर्ण हो जाती हैंं। इस मंदिर के भित्ती चित्र हर २० साल बाद नए सिरे से बनवाए जाते हैं।[११]
- राम सीता - विरुपाक्ष मंदिर[१२]
- राम हनुमान - लेपाक्षी मंदिर
- राम लक्ष्मन सुग्रीव ; राम राज्याभिषेक - पुंडरीका मंदिर विजयनगर
- वीष्णू अवतार मे राम; सीता स्वयंवर - प्रसन्न वेंकटरामन मंदिर
- वीष्णू अवतार मे राम; राम रावण युद्ध; सीता राम अयोध्या वापसी नरसींह मंदिर मैसोर
रामायण के मुस्लिम चित्रकार
समय समय पर मुस्लिम चित्रकारोंं ने भी रामायण के प्रसंग चित्रित किए है़ंं। हालांकि चित्तोड़ की अनेको पाण्डु लिपीयाँँ जलकर खा़क हो गई, तो भी मेवाड़ मेंं महाराजा जगत सिंह ने एक मुस्लिम चित्रकार, साहिब दीन जो संगित के रागोंं की जानकारी भी रखते थे, उनसे दूसरे चित्रोंं के समेत १६२८ मे रामायण के चित्र चित्रित करवा लिए।[१३]
इंडियन एक्सप्रेस के प्रेमांकुर विश्वास के अनुसार पश्चिमी बंगाल के नोया देहात मे ३० फी़ट लंबे रामायण पटचित्र (स्क्रोल) चित्रों के साथ चित्र चित्रण एवम गायन करकर कहानीकारोंका जीवन व्यतीत करनेवाले पाटुआ मुस्लिम परिवार रहते हैं।[१४]
डाक टिकटोंं पर रामायण चित्र
इंडोनेशिया के डाक विभाग ने समय समय पर रामायण चित्रोंं वाले डाक टिकट जारी किए हैं जिसे धुरनधरी राम १५ जून १९६२ और हनुमान जी द्वारा लंका दहन २४ जनवरी २०१६। [१५]
रामायण कला संग्रहालय
- अहमदाबाद लालभाई दलपतभाई कला संग्रहालयमे पहाड़ी चित्रकथा शैलीमे चित्रीत रामायण के अयोध्याकांड पर आधारीत ६२ चित्रोंका संग्रह उपलब्ध है। इन चित्रोंका संग्रह कलकता के कलाकार गगनेंद्रनाथ टागोर एवं अबनींद्रनाथ टागोरजी ने ईस्वी १९०० से १९१५ मे किया। इस कार्य मे उन्हे तबके कलकता Government College of Art and Craft के प्राचार्य E.B. Havell ने १९०५ तक साहायता दी और बादमे भारतीय कला के इतिहासकार आनंद कुमारस्वामीने सहायता प्रदान की। १९२८ के बाद श्रीमती सौमेंद्रनाथ टागोर (मैका:हथीसिंग) की मध्यस्ततासे चित्र संग्रह अहमदाबाद के तत्कालीन उद्योजक कस्तुरभाई लालभाई और बादमे उनके परीवार की ओर से अहमदाबाद कला स्ंग्रहालय को सौंप दिया गया। प्राध्यापक रतन परीमू के अनुसार हालांकी टागोर संग्रह मे चित्रकारोंके नाम अंकीत नही है; टागोर रामायण चित्र संग्रह भारत कला भवन बनारस के नयनसुखा-रांझा संग्रह से काफी मेल खाता है। टागोर चित्र संग्रह के कुछ स्केचेस दुसरे प्रसिद्ध चित्रोसे भी मेल खाते है। [१६]
- बुन्देलखण्ड राज्य की प्राचीन राजधानी और राम राजा मंदिर के लिए प्रसिद्ध अंरिछा में मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने अप्रैल, २००५ में रामायण कला संग्रहालय साकेत को स्थापना की।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ अ आ शिला चित्रों में रुपादित रामायण स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ [https://sa.wikisource.org/w/index.php?title=विशेषः:शोध&limit=50&offset=0&profile=default&search=चित्र++prefix%3Aरामायणम्&searchToken=no0pdq30h1zbpm9v03guabgk १] *
- ↑ अ आ [http://valmikiramayan.net/utf8/sundara/sarga6/sundara_6_frame.htm लता गृहाणि चित्राणि चित्र शाला गृहाणि च ]
- ↑ अ आ [http://www.valmikiramayan.net/utf8/sundara/sarga12/sundara_12_frame.htm लता ग्ऱ्हामः चित्र गृहान् निशा गृहान]
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- ↑ Study of ramayana and Mahabharata in contemporary Indian art painting -Verma,Akanksha स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।[१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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