विशेषण
विशेषण-नीले
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। यथा----
अच्छा लड़का, तीन पुस्तकें, नई कलम इत्यादि।
इनमे अच्छा, तीन और नई शब्द विशेषण है जो विशेष्य की विशेषता बतलाते हैं।
श्रेणी विभाग
मुख्य रूप से वर्तमान व्याकरण में विशेषण के 4 रूप प्रयोग होते हैं
हिंदी में विशेषण 5 प्रकार के होते हैं। यथा----
1.गुणवाचक विशेषण
2.परिमाणवाचक विशेषण
3.संख्यावाचक विशेषण
4.सार्वनामिक विशेषण
5.व्यक्तिवाचक विशेषण
गुणवाचक विशेषण
जिस विशेषण से किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम का गुण प्रकट हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे :- गुण : अच्छा,चालाक,बुद्धिमान आदि दोष : बुरा,गंदा,दुष्ट आदि रंग : काला,लाल आदि आकार : लंबा,छोटा,गोल आदि अवस्था : बीमार,घायल आदि स्थान : पंजाबी,भारतीय,बंगाली आदि
परिमाणवाचक विशेषण
जिससे किसी चीज की परिमाण का बोध होता है उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। यथा----
थोड़ा पानी, बहुत दूध इत्यादि।
यहां पर थोड़ा और बहुत यह दोनों विशेषण है। जो क्रमानुसार पानी और दूध के परिमाण को समझा रहा हैं।
संख्यावाचक विशेषण
जिससे संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। यथा----
एक किताब, दो मनुष्य, तीन लड़के इत्यादि।
यहां पर एक, दो और तीन यह तीन विशेषण है। जिससे क्रमानुसार किताब, मनुष्य और लड़के की संख्या का बोध हो रहा हैं।
सार्वनामिक विशेषण
ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले लगकर उस संज्ञा शब्द की विशेषण की तरह विशेषता बताते हैं, वे शब्द सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।
यह शब्द संज्ञा के लिए विशेषण का काम करते हैं। जैसे: मेरी पुस्तक , कोई बालक , किसी का महल , वह लड़का , वह बालक , वह पुस्तक , वह आदमी , वह लडकी आदि।
व्यक्तिवाचक विशेषण
व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों से बने विशेषण को व्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं। यथा- वह राम ही है, जो कल वहां खड़ा था
भरत जोधपुरी जूती पहनता हैं।
इस वाक्य में जोधपुर व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द है जो जोधपुरी में बदलकर व्यक्तिवाचक विशेषण हो गया है और जो जूती(जातिवाचक संज्ञा) की विशेषता बता रहा है।