राजकुमारी दुबे
राजकुमारी दुबे | |
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जन्मनाम | राजकुमारी दुबे |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
शैलियां | पार्श्व गायिका |
गायिका | |
सक्रिय वर्ष | 1934–1977 |
राजकुमारी दुबे(1924 -2000) जिन्हें इनके पहले नाम "राजकुमारी" के नाम से ज्यादा बेहतर जाना जाता है, एक भारतीय पार्श्व गायिका थी, जो कई हिन्दी फिल्मों में 1930 से 1940 के दशक तक काम की थी। इन्हें इनके बावरे नैन (1950) के गाने "सुन बैरी बालम सच बोल", महल (1949) के गाने "घबराना के जो हम सर को टकरायन" और पाकीज़ा (1972) के गाने "नजरिया की मारी के कारण काफी जानी जाती हैं।
इनका जन्म बनारस (वाराणसी) में हुआ था और मात्र 11 वर्ष की आयु में ही इन्होंने हिन्दी सिनेमा से जुड़ गई थी। एक बाल कलाकार के रूप में इन्होंने राधे श्याम और ज़ुल्मी हंस (1932) में काम किया। इसके बाद फिल्मों में आने से पहले, कुछ सालों तक ये थियेटर में काम करने लगी और प्रकाश पिक्चर्स में अभिनेत्री और गायिका के रूप में जुड़ गईं। उस समय के बड़ी बड़ी गायिकाओं में सबसे अधिक उच्च आवाज इनकी थी। अगले दो दशकों में इन्होंने कुल 100 फिल्मों में गया था। लगभग 1950 के दशक में लता मंगेशकर के आने के बाद स्थिति बदल गई।[१]
निजी जीवन
इनका जन्म 1924 को वाराणसी, ब्रिटिश इंडिया में हुआ था। इन्हें गाना गाने की कला सीखने का कभी मौका ही नहीं मिला, लेकिन इनका परिवार हमेशा ही इनके इस कला हेतु प्रोत्साहित और समर्थन करता था। इन्होंने 1934 में जब इनकी आयु मात्र दस वर्ष थी, इनका पहला गाना रिकॉर्ड किया गया था। इन्होंने अपने जीवन में बहुत वक्त बाद बनारस के वीके दुबे से शादी की। इनके पति ज़्यादातर समय बनारस में ही बिताते थे, क्योंकि वहीं इनकी अपनी दुकान थी। जबकि राजकुमारी बॉम्बे में रहने लगी थी। बाद में इनके पति भी बॉम्बे में आ गए। वर्ष 2000 में दरिद्रता के बीच ही इनकी मौत हो गई।[२]
करियर
इन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1934 में एचएमवी के लिए गाना गा कर की थी। इस समय इनकी आयु मात्र दस वर्ष ही थी। इस गाने के रिकॉर्ड होने के बाद इन्होंने स्टेज में एक कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया था। प्रकाश पिक्चर्स के विजय भट्ट और शंकर भट्ट ने उन्हें एक स्टेज शो करते हुए देखा और उन्हें उनकी आवाज बहुत अच्छी लगी। वे चाहते थे कि राजकुमारी स्टेज शो बंद कर गाने में ध्यान दे, क्योंकि उस समय माइक नहीं होते थे, और आवाज दर्शकों तक पहुंचाने के लिए बहुत ज़ोर से बोलना पड़ता था, जिससे उनकी आवाज खराब हो सकती थी। इस कारण राजकुमारी ने थियेटर में काम करना छोड़ दिया और प्रकाश पिक्चर्स में अभिनेत्री और गायिका के रूप में काम करने लगीं।[३]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Anantharaman 2008, पृ॰ 7.
- ↑ साँचा:cite book