मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़
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शेख मुहम्मद इब्राहीम ज़ौक़ | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
उपनाम | ज़ौक़ |
व्यवसाय | कवि |
राष्ट्रीयता | मुग़ल साम्राज्य |
अवधि/काल | 1837-1857 |
विधा | गज़ल, क़सीदा, मुखम्मस |
विषय | प्रेम |
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मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़ (1790-1854) उर्दू अदब के एक मशहूर शायर थे। इनका असली नाम शेख़ इब्राहिम था।[१] ग़ालिब के समकालीन शायरों में ज़ौक़ बहुत ऊपर का दर्जा रखते हैं। उनका जन्म 1789 में शेख़ मुहम्मद रमज़ान के घर हुआ।
कुछ पंक्तियां
- मर्ज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे
- न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
- तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहे
- न ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे
सन्दर्भ