मीना परांडे

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1950 के दशक का चित्र

मीना परांडे (जन्म: 12 दिसंबर 1931) भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।[१][२] वर्ष 1948 से 1965 तक चले अपने करियर में टेबल टेनिस खिलाड़ी के रूप में, वह चार बार राष्ट्रीय चैंपियन रही। उन्होंने 1954 में भारत का इंग्लैंड में और 1956 में जापान का प्रतिनिधित्व किया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, उन्होंने सिंगापुर, बैंकॉक, वियतनाम, पाकिस्तान और श्रीलंका का दौरा किया था। उन्होंने नागपुर के श्री चंदोरकर से प्रशिक्षण प्राप्त किया। रेलवे से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने 1965 से 1985 तक टेबल टेनिस के लिए कई खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया।

करियर

1951 में उनकी दादी ने उन्हें टेबल टेनिस खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बहुत जल्दी खेल की बारीकियां सीखीं और वर्ष 1951 में ही प्रतिस्पर्धी टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस मैचों में भाग लेने के लिए भारत और विदेशों में बड़े पैमाने पर यात्रा की। वह 4 साल के लिए नेशनल चैंपियन थी; पहली बार 1954 में बड़ौदा में, 1956 में सहारनपुर में, 1957 में अहमदाबाद में और आखिरकार 1959 में कलकत्ता में।[३] वह 1953 से 58 तक महाराष्ट्र राज्य के लिए और फिर 1959 से 1965 तक भारतीय रेलवे के लिए खेली। वह दो बार विश्व चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महाराष्ट्रीयन महिला हैं। उन्होंने एशियाई चैम्पियनशिप में, 1954 में सिंगापुर, 1955 में बैंकॉक, 1963 में वियतनाम और 1963 में बम्बई (अब मुम्बई) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह 1954 में एशिया में नंबर 3 पर रहीं। उन्होंने तीन बार श्रीलंका और पाकिस्तान का दौरा किया और स्थानीय टूर्नामेंट जीते।

टेबल टेनिस खेलने के ही दौरान उन्होंने पुणे में कई लड़कों और लड़कियों को कोचिंग दी। उनमें यह निम्न हैं: - डॉ. चारुदत्ता आप्टे, अजय तुलपुले, प्रकाश तुलपुले, एस. के. ब्यास, श्रीकांत काले, सुहास कुलकर्णी, नंदिनी कुलकर्णी, नीला कुलकर्णी, रंजना वैद्य और कई अन्य। नंदिनी कुलकर्णी और नीला कुलकर्णी ने विश्व चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और कई अन्यों ने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में महाराष्ट्र की 'बी' टीम का प्रतिनिधित्व किया है।

सन्दर्भ