माउताम
माउताम (मिज़ो- Mau tam, "बांस-मौत") एक चक्रीय पारिस्थितिक घटना है जो पूर्वोत्तर भारत के मिज़ोरम और मणिपुर राज्यों में हर 48-50 साल में होती है और अकाल जैसी स्थिति पैदा करने की क्षमता रखती है। इनके अलावा म्यांमार के चिन राज्य के भी कुछ क्षेत्रों में यह तबाही फैलाता है। इसमें पहले चूहों की आबादी तेज़ी से बढ़ती है, जो फ़सलों को तबाह कर देती है।[१]
इन अकालों की इस क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आख़िरी बार यह घटना (बांस के फूल खिलना) मई 2006 में शुरू हुई, और राज्य सरकार और भारतीय सेना ने अकाल को रोकने का प्रयत्न किया था।
घटनाक्रम
मिज़ोरम और मणिपुर 30% तक जंगली बांस के जंगलों से ढके हुए हैं। माउताम के दौरान, एक व्यापक क्षेत्र में Melocanna baccifera (बांस की एक प्रजाति) के एक ही समय में फूल निकलते हैं। इसके बाद काले चूहों की भारी संख्या फ़सलों पर आक्रमण करती है, जिसे चूहों की बाढ़ (rat flood) कहा जाता है।[२][३] यह तब होता है जब बाँस के बीजों के अधिक संख्या में गिरने पर चूहों को ढेर सारा भोजन मिल जाता है। इस कारण चूहों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। बीज-रूपी भोजन के समाप्त हो जाने पर ये चूहे जंगल छोड़ खेतों की ओर रूख करते हैं। वहाँ ये संग्रहीत अनाज पर धावा बोल देते हैं, जो बदले में विनाशकारी अकाल का कारण बनता है।[४]
इतिहास
ब्रिटिश राज के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मिजोरम में 1862 में अकाल पड़ा और 1911 में फिर से इस क्षेत्र में बांस के फूल खिले।साँचा:ifsubstदोनों ही मामलों में अभिलेख बताते हैं कि बांस के फूल खिलने से स्थानीय चूहों की आबादी में नाटकीय तौर पर वृद्धि देखने को मिली। वृद्धि के कारण अन्न भंडार और धान के खेत नष्ट हो गए और बाद में एक साल तक अकाल पड़ा।साँचा:ifsubst
1958 –59 के माउताम के परिणामस्वरूप कम से कम 100 लोगों की मृत्यु हुई, इसके अलावा मानव संपत्ति और फसलों का भी भारी नुकसान हुआ।साँचा:ifsubstमिज़ोरम, जो तब असमका भाग हुआ करता था, के एक अविकसित और अधिक पारंपरिक क्षेत्र के कुछ बुजुर्ग ग्रामीणों ने इस घटना को याद करते हुए दावा किया है कि लोक परंपराओं पर आधारित उनकी चेतावनियों को सरकार ने अंधविश्वास मानकर खारिज कर दिया था। साँचा:ifsubstप्रत्येक चूहे पर 40 पैसे का इनाम रखने के बाद स्थानीय लोगों ने अनुमानित बीस लाख चूहों को मार कर इकट्ठा किया। हालांकि, चूहों की आबादी में वृद्धि की ख़बर आने के बाद भी, सरकार ने अकाल से बचने की तैयारी ढंग से नहीं की। साँचा:ifsubst
सरकार की लापरवाही के कारण दूर-दराज के क्षेत्रों को राहत देने के लिए स्थापित मिजो नेशनल फेमिन फ्रंट की नींव पड़ी । यह निकाय बाद में मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) बन गया, जिसने 1966 में अलगाववादी विद्रोह किया। लाल्डेंगा (बाद में मिजोरम के मुख्यमंत्री ) के नेतृत्व में, MNF ने 20 साल तक भारतीय सेना के साथ अलगाववादी संघर्ष किया। अंत में 1986 में MNF और भारत सरकार ने एक समझौते किया, जिसके तहत मिजोरम को स्वायत्तता की गारंटी के रूप में एक अलग राज्य बनाया गया।[५]
2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जोरामथांगा (जो अतीत में गुरिल्ला नेता रह चुके हैं), ने भविष्यवाणी की कि दो साल के लिए माउतामआएगा। जून 2006 में, भारतीय सेना को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचने में राज्य प्रशासन की सहायता के लिए एक आपातकालीन सेवा के लिए तैनात किया गया। राज्य प्रशासन ने वैकल्पिक रूप से खाद्य फसलों को स्थानीय स्तर पर उगाने के लिए व्यवस्था की, और यह व्यवस्था की कि सेना कीट नियंत्रण पर निर्देश दे सके। ग्रामीणों को हल्दी और अदरक उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसका दोहरा फ़ायदा मिला- एक, कि इसने आंशिक रूप से ख़रीदने की क्षमता में कमी आने पर ग्रामीणों के लिए एक बीमा (insurance cover) की तरह काम किया, और दो, कि इन सुगंधित मसालों से चूहे दूर रहते हैं।
बांस के फूल खिलने (और बाद में फलने और बीज निकलने) से जुड़ा नियमित चूहा-प्रकोप पूर्वोत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में (जैसे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर , और नागालैंड ),[६] और साथ ही लाओस , जापान , मेडागास्कर और दक्षिण अमेरिका में भी देखा जाता है।[७]
थिंगताम (माउताम जैसा ही एक और अकाल) एक अन्य क़िस्म की बांस (Bambusa tulda) के फूल खिलने के साथ संबंधित है।[८]
संदर्भ
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- ↑ Normile, D (February 2010). "Holding back a torrent of rats". Science. 327 (5967): 806–7. doi:10.1126/science.327.5967.806. PMID 20150483.
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बाहरी कड़ियाँ
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