महोबा
साँचा:if empty बुन्देलखण्ड की राजधानी | |
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सूर्य मंदिर, महोबा | |
साँचा:location map | |
निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | महोबा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ९५,२१६ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
पिनकोड | 210 427 |
दूरभाष कोड | 91-5281 |
वाहन पंजीकरण | UP-95 |
लिंगानुपात | 922 ♂/♀ |
साक्षरता | 76.91%[१] |
वेबसाइट | www |
महोबा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले का एक प्रचीन शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। महोबा ऐतिहासिक बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित है। महोबा प्राचीन समय में बुन्देलखण्ड की राजधानी था। महोबा को बुन्देलखण्ड की वीरभूमि भी कहा जाता है। यह वीर आल्हा-ऊदल का नगर कहलाता है। यहाँ का प्रचीन सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है।[२][३]
विवरण
प्राचीन समय में महोबा बुन्देलखण्ड की राजधानी था। महोबा को बुन्देलखण्ड की वीरभूमि भी कहा जाता है। यह वीर आल्हा-ऊदल का नगर कहलाता है। महोबा जहां एक ओर विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के लिए प्रसिद्ध है। वहीं दूसरी ओर गोरखगिरी पर्वत, ककरामठ मंदिर, सूर्य मंदिर, चित्रकूट और कालिंजर आदि के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। महोबा झांसी से १४० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। महोबा उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। काफी समय तक चन्देलों ने यहां शासन किया है। अपने काल के दौरान चंदेल राजाओं ने कई ऐतिहासिक किलों और मंदिरों आदि का निर्माण करवाया था। इसके पश्चात् इस जगह पर प्रतिहार राजाओं ने शासन किया। महोबा सांस्कृतिक दृष्टि से काफी प्रमुख माना जाता है। पहले इस जगह को महोत्सव नगर के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर महोबा रख दिया गया।
भूगोल
महोबा की स्थिति साँचा:coord पर है। यहां की औसत ऊंचाई 214 मीटर (702 फीट) है।
प्रमुख आकर्षण
गोरखगिरी पर्वत
महोबा स्थित गोरखगिरी पर्वत एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है। इसी पर्वत पर गुरू गोरखनाथ कुछ समय के लिए अपने शिष्य सिद्धो दीपक नाथ के साथ ठहरें थे। इसके अलावा यहां भगवान शिव की नृत्य करती मुद्रा में एक मूर्ति भी है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन यहां गोरखगिरि की परिक्रमा की जाती है ।
सूर्य मंदिर
साँचा:seealso सूर्य मंदिर राहिला सागर के पश्चिम दिशा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राहिला के शासक चंदेल ने अपने शासक काल ८९० से ९१० ई. के दौरान नौवीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी खूबसूरत है।
खजुराहो
साँचा:main महाबो से खजुराहो ६१ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विश्व प्रसिद्ध मंदिर खजुराहो महाबो के प्रमुख व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण ९५० ई. और १०५० ई. में चन्देलों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के आस-पास २५ अन्य मंदिर भी है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत आकर्षक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
कालिंजर
साँचा:main महोबा से १०९ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालिंजर किलों के लिए काफी प्रसिद्ध है। १५वीं और १९वीं शताब्दी के मध्य में इस किले का विशेष महत्व रहा है। किले के भीतर कई अन्य जगह जैसे नीलकंठ मंदिर, सीता सेज, पटल गंगा, पांडु खुर्द, कोटि तीर्थ और भैरों की झरिद आदि स्थित है।
चित्रकूट
साँचा:main महोबा से १२७ किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता काफी अद्भुत है। चित्रकूट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि भगवान राम और सीता ने अपने चौदह वर्ष यहीं पर बिताए थे।
कजली मेला
837 साल पहले महोबा के चंदेल राजा परमाल के शासन से कजली मेले की शुरुआत हुई थी। राजा परमाल की पुत्री चंद्रावल अपनी 14 सखियों के साथ भुजरियां विसर्जित करने कीरत सागर जा रही थीं। तभी रास्ते में पृथ्वीराज चौहान के सेनापति चामुंडा राय ने आक्रमण कर दिया था। पृथ्वीराज चौहान की योजना चंद्रावल का अपहरण कर उसका विवाह अपने बेटे सूरज सिंह से कराने की थी। उस समय कन्नौज में रह रहे आल्हा और ऊदल को जब इसकी जानकारी मिली तो वे चचेरे भाई मलखान के साथ महोबा पहुंच गए और राजा परमाल के पुत्र रंजीत के नेतृत्व में चंदेल सेना ने पृथ्वीराज चौहान की सेना से युद्ध किया। 24 घंटे चली लड़ाई में पृथ्वीराज का बेटा सूरज सिंह मारा गया। युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजय का सामना करना पड़ा। युद्ध के बाद राजा परमाल की पत्नी रानी मल्हना, राजकुमारी चंद्रावल व उसकी सखियों ने कीरत सागर में भुजरियां विसर्जित कीं। इसके बाद पूरे राज्य में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया। तभी से महोबा क्षेत्र के ग्रामीण रक्षाबंधन के एक दिन बाद अर्थात भादों मास की परीवा को कीरत सागर के तट से लौटने के बाद ही बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। आल्हा-ऊदल की इस वीरभूमि में आठ सदी बीतने के बाद भी लाखो लोग कजली मेले में आते हैं।
शिव तांडव मंदिर
शिव तांडव मंदिर गोरखगिरी पर्वत के करीब ही स्थित है, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, एक मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव की प्रतिमा नटराज स्वरूप में स्थापित है, यह मूर्ति एक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई है! नटराज रूप में शिव की मूर्ति इस क्षेत्र में सबसे दुर्लभ मूर्तियों में से एक है।
आवागमन
- वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो विमानक्षेत्र है। खजुराहो से महोबा ६५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेल मार्ग
महोबा ग्वालियर, दिल्ली और मुम्बई आदि जगहों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ी हुई है।
- सड़क मार्ग
महोबा कई प्रमुख शहरों से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 34 यहाँ से गुज़रता है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975