खंडवा

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Khandwa
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खंडवा रेलवे स्टेशन
खंडवा रेलवे स्टेशन
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प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलाखंडवा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल२,००,७३८
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड450001,450051
दूरभाष कोड+91 - 733
वाहन पंजीकरणMP-12
वेबसाइटwww.khandwa.nic.in

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खंडवा (Khandwa) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[१][२]

विवरण

खंडवा समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवस से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मूँदी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।

ऐतिहासिक तथ्य

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खंडवा शहर का प्राचीन नाम खांडववन { खांडव वन }था जो मुगलों और अंग्रेजो के आने से बोलचाल में धीरे धीरे खंडवा हो गया . मान्यतानुसार श्रीरामजी के वनवास के समय यहाँ सीता माता को प्यास लगी थी तथा रामजी ने यहाँ तीर मारकर एक कुआ बना दिया और उस कुए को रामेश्वर कुए के नाम से जाना जाता है जो खंडवा के रामेश्वर नगर में नवचंडी माता मंदिर के पास स्थित है अतः खंडवा मान्यता अनुसार हजारों वर्ष पुराना है जिसका आधुनिक रूप वर्तमान खंडवा है 12वीं शताब्दी में यह नगर जैन मत का महत्त्वपूर्ण स्थान था। यह नगर पुरातन नगर है, यहाँ पाये जाने वाले अवशेषों से यह सिद्ध होता है, इसके चारों ओर चार विशाल तालाब, नक़्क़ाशीदार स्तंभ और जैन मंदिरों के छज्जे स्थित हैं। खंडवा जिले से ही बुरहानपुर जिला बना है |

आधुनिक नगर

1864 से यह नगर मध्य प्रदेश के नवगठित निमाड़ ज़िले का मुख्यालय रहा। 1867 में इसे नगरपालिका बना दिया गया। भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित खंडवा एक प्रमुख शहर है। 6200 वर्ग किलोमीटर के विस्तार वाले खंडवा की सीमा बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवास से मिली हुई हैं। ओंकारेश्‍वर यहाँ का बहुत ही लोकप्रिय प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थल है। ओंकारेश्‍वर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

प्रमुख पर्यटन स्थल

माँ तुलजा भवानी माता मंदिर

खंडवा का प्रसिद्ध भवानी माता मंदिर धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित है। यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है। यह मंदिर खंडवा, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह खंडवा का प्राचीन मंदिर है जहा प्रतिदिन भक्तो की भीड़ लगी रहती है कहते हैं भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और यहाँ उन्होंने नौ दिनों तक तपस्या की थी। नवरात्र में यहाँ नौ दिनों तक मेला लगता है, जिसे देखने और माता के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। ऐसी मान्यता है की माँ भवानी के दर से हर मुराद पूरी होती है

श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले

श्री श्री १००८ श्री दादाजी धूनीवाले (श्री केशवानांदजी महाराज) भारत के एक महान संत थे ज़िनेः दादाजी डंडे वाले के नाम से भी जाना जाता था| उन्हो ने १९वी और २०वी शताब्दी मे भारत, ख़ास कर मध्य भारत मे, यात्राएँ की| दुनिया भर मे उनके लाखों भक्त उन्हे शिव भगवान का रूप मानते हैं और उन्होने कई भक्तो को तो साक्षात शिवजी के रूप मे दर्शन दिए| १८वी सदी मे एक बहुत बड़े साधु, श्री गौरी शंकर जी महाराज, अपनी टोली के साथ, नर्मदा मईया की परिक्रमा कीया करते थे| वह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे, उन्होने मा नर्मदा की घोर तपस्या की और उनसे प्रार्थना की कि उन्हे भोलेनाथ के दर्शन हों| जब उनकी १२ कठिन परिक्रमाएँ पूर्ण हुई, तो माँ नर्मदा जी ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हे दर्शन दिए और कहा की उन्ही की जमात मे केशव नाम के युवा के रूप मे भोलेनाथ मौजूद हैं| भगवान शिवजी के दर्शन के लिए व्याकुल गौरी शंकर जी महाराज जब वापिस लौटे तो उन्होने सच मे उस लड़के (दादाजी) मे भगवान शिवजी का रूप देखा| जब उन्हे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ तो भोलेनाथ ने उन्हे कहा की अगर अपनी आँखों पे यकीन नही होता तो मुझे छू कर आज़माले| दादाजी महाराज हमेशा अपने साथ एक डंडा रखा करते थे और जहाँ भी विराजमान होते वहाँ धूनी रमाते थे| दिगाम्बर रूप दादाजी महाराज के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो लोग आया करते थे| जन कल्याण करने का दादाजी का बहुत ही विचित्रा तरीका था, वे भक्तों को गाली देते व डंडा मारते| हर तरह के लोग, अमीर से अमीर और ग़रीब से ग़रीब दादाजी के आशीर्वाद के लिए आते| दादाजी ने कई चमत्कार दिखाए, जैसे, जिनके बच्चे ना हों उनको संतान देना, बीमार लोगों को ठीक करना और मुर्दों को ज़िंदा करना| इन्ही महान संत जिन्हें दादाजी धुनी वाले के नाम से पुकारा जाता है की समाधि खंडवा में है जहा निरंतर धुनी जलती रहती है जिसे धुनी मैया कहते है तथा दादाजी की समाधि दर्सन और धुनी मैया की भभूती का प्रसाद लेने दूर दूर से भक्त्त आते है

माँ नवचंडी देविधाम मंदिर

यह मंदिर खंडवा खंडवा रामेश्वर छेत्र में स्थापति नवीनतम मंदिर है जो माँ नवचंडी माता को समर्पित है जहा माता के मंदिर के साथ ही भगवान शिव का मंदिर कालीमाता मंदिर स्थापित है यह एक मनोहर धार्मिक मंदिर है जो रेलवे स्टेशन से लगभग ३ किलोमीटर की दुरी पर स्थापित है जहा महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है

गौरी कुंज ऑडिटोरियम

यह ऑडिटोरियम संगीत का सांस्कृतिक हॉल है, जो खंडवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यह ऑडिटोरियम जाने माने गायक किशोर कुमार गांगुली की याद में बनवाया गया था। शहर के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम यहीं आयोजित किए जाते हैं। देवी नव चंडी धाम और तुरजा भवानी माता मंदिर रेलवे स्टेशन के निकट ही स्थित हैं।

नागचून तालाब

नागचून गांव में बना तालाब यहां का जाना माना पिकनिक स्थल है। तालाब खंडवा से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। यह बांध खंडवा की सिचाईं का प्रमुख स्रोत है। इसके चारों ओर की हरियाली तालाब को और आकर्षक बना देती है। परंतु अब यहाँ निमाण काय चल रहा है |

ओमकारेश्‍वर का गुरूद्वारा

इस गुरूद्वारे को नानकदेव के ओमकारेश्‍वर आने के पश्चात् बनवाया गया था। नानकदेव के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बना यह गुरूद्वारा सिक्ख और हिन्दू धर्म के अनुयायियों से भरा रहता है। ओमकारेश्‍वर रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है।

सिगांजी धाम

सिगांजी धाम एक धार्मिक एवं दर्शनिक स्थल है। खंडवा जिले के मूँदी नगर से 16 कि.मी की दूरी पर इंदिरा सागर परियोजना के बैकवाटर में स्थित है। चारों और से पानी में घिरे इस समाधी स्थल का सौन्दर्य अति सुंदर है।

मांधाता हिल

यह पवित्र पहाड़ी नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह पहाड़ी धार्मिक दृष्टि से जिले का महत्वपूर्ण स्थल है। देश में 12 शिव ज्योतिर्लिगों में एक यहीं स्थित है। ओमकारेश्‍वर और ममलेश्वर यहां के प्रमुख मंदिर हैं। पहाड़ी के चारों ओर से बहती हुई नर्मदा नदी इसे ओम के आकार का बनाती है। यह पहाड़ी खंडवा से करीब 75 किलोमीटर दूर है।

भगवान संभवनाथ मंदिर

सिद्धवरकूट स्थित भगवान संभवनाथ का यह मंदिर बारा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि जैन धर्म के तीसरे र्तींथकर का यह मंदिर भूमि को खोदकर निकाला गया था। मुख्य मंदिर के अलावा यहां चार अन्य मंदिर भी देखे जा सकते हैं जिसमें भगवान चन्द्रप्रभु, अजीतनाथ, पार्श्‍वनाथ और संभवनाथ की मूर्तियां स्थापित हैं।

घंटाघर

खंडवा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर घंटाघर एक स्थल है। सूरजकुंड, पद्मकुंड, भीमाकुंड और रामेश्वर यहां के चार पवित्र कुंड हैं। दादा धुनी वाले की समाधि, तुरजा भवानी मंदिर और नव चंडी देवी घाम भी यहां के लोकप्रिय पवित्र स्थल हैं।

वीरखाला रूक

ओमकारेश्‍वर की पहाड़ियों की पूर्वी दिशा में स्थित वीरखाला एक प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि प्राचीन काल से ही यहां शिव के अवतार भैरव को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि दी जाती थी जिसे ब्रिटिश काल में समाप्त किया गया था। पहाड़ी के निकट ही कुंती माता का मंदिर है।

काजल रानी गुफा

ओमकारेश्‍वर से लगभग 9 किलोमीटर दूर यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है। यहां से आसपास के क्षेत्र का सुंदर नजारा देखा जा सकता हैं। काजल रानी गुफा के निकट ही सतमत्रिका गुफा स्थित है। जुलाई से मार्च की अवधि यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

देवझिरी भूतेश्वर महादेव मंदिर

खंडवा से लगभग १५ किलोमीटर दूरी पर भोजाखेडी गाँव के पास पहाड़ी छेत्र में स्थित एक प्राचीन शिवलिंग है जिसपर प्राकृतिक रूप से निरंतर जलधारा प्रवाहित होती रहती है

सूरजकुंड, पदमकुंड, रामेश्वर कुंड और प्रसिद्ध भीमकुंड

प्राचीन काल में खांडववन के नाम से प्रचलित शहर के चारों दिशाओं में चार कुंडों ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विराजमान है। पूर्व में सूरजकुंड, पश्चिम में पद्मकुण्ड, उत्तर में रामेश्वर कुंड और दक्षिण में प्रसिद्ध भीमकुंड स्थापित है। यहां पर भोले बाबा विराजित हं।

आवागमन

वायु मार्ग

इंदौर विमानक्षेत्र खंडवा का निकटतम एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 130 किलोमीटर दूर है। इंदौर देश के अनेक शहरों से नियमित फ्लाइट्स के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

खंडवा रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुंबई रूट का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से देश के अनेक शहरों से जुड़ा है।

सड़क मार्ग

खंडवा सड़क मार्ग द्वारा राज्य और पड़ोसी राज्यों से द्वारा जुड़ा है। राज्य के अधिकांश जिलों से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।

जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2,00,738 नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293