भोजपुरी संगीत
भोजपुरी संगीत हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक रूप है। इसके अन्तर्गत भोजपुरी भाषा के पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार के प्रदर्शन शामिल हैं। भोजपुरी संगीत ज्यादातर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश राज्य तथा अन्य देशों जैसे नेपाल, सूरीनाम, गुयाना, नीदरलैंड, मॉरीशस और अन्य कैरेबियाई द्वीपों में रचा जाता है। [१] [२] [३]
वर्गीकरण
भोजपुरी लोक संगीत को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है:
प्रासंगिक
इन गीतों को विभिन्न अवसरों, कार्यक्रमों और धार्मिक अनुष्ठानों पर गाया जाता है:
- बच्चे के जन्म के अवसर पर पर गाए जाने वाले गीत को [[सोहर कहा जाता है।
- मुंडन : इन्हें मुंडन के दौरान गाया जाता है।
- विवाह : कई अलग-अलग गीत हैं जो विभिन्न विवाह संस्कारों में गाए जाते हैं।
जाति आधारित
भोजपुरी क्षेत्र की विभिन्न जातियों के अपने लोक गीत हैं। बिरहा का संबंध अहीर या यादव जाति से है, पचरा के गीत दुसाध, कहरवा से कंहार आदि के हैं।
ऋतु आधारित
कई गीत एक विशेष मौसम में गाए जाते हैं, जैसे कजरी सावन में फगुआ फाल्गुन में आदि।
पारंपरिक संगीत
भोजपुरी का पारंपरिक संगीत या तो विवाह, बाल जन्म, त्योहार आदि विशेष अवसरों पर गाया जाता है या परम्परागत विक्रम संवत के हर महीने में।
- बिरहा : बिरहा शब्द संस्कृत के शब्द विरह से लिया गया है जिसका अर्थ है अलग होना । बिरहा एक लंबी कथा है जिसे मधुर अंशों की श्रृंखला के लिए गाया जाता है। [४]
- कजरी : कजरी को मानसून के मौसम में या सावन के महीने में गाया जाता है।
- निर्बानी : ये गीत चमार महिलाओं द्वारा विवाह के अवसर पर गाया जाता है।
- सोहर : यह गीत बाल जन्म के अवसर में गाया जाता है। [५]
आधुनिक संगीत
'नैन लड़ि जैहें' जैसे बॉलीवुड गीतों से भोजपुरी संगीत का आधुनिकीकरण आरम्भ हुआ। [६]
सन्दर्भ
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