भारत में स्पैनिश फ़्लू महामारी

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स्पैनिश फ़्लू सन १९१८ में पूरे विश्व में फैली एक विश्वमारी थी जिसे 1918 की फ्लू महामारी भी कहते हैं।[१][२] इसे अक्सर 'मदर ऑफ़ ऑल पैंडेमिक्स' यानी सबसे बड़ी महामारी कहा जाता है।[३] इस फ़्लू ने दुनिया की एक-तिहाई आबादी को संक्रमित कर दिया था। इसकी वजह से महज दो सालों (1918-1920) में 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच लोगों की मौत हो गई थी।[४] ज़्यादातर दुनिया भारत समेत मुतास्सिर हुई।[५] 1911 और 1921 के बीच का दशक एकमात्र जनगणना काल था जिसमें भारत की आबादी गिर गई थी, जो ज्यादातर स्पैनिश फ्लू महामारी के कारण हुई थी।[६][७][८] भारत में ही एक अनुमान के हिसाब से 1 करोड़ 80 लाख लोग मारे गए।[९][१०]

अपने संस्मरणों में, हिंदी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ने लिखा, "शवों के साथ गंगा में सूजन थी।"[११] 1918 के सैनिटरी कमिश्नर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दाह-संस्कार के लिए जलाऊ लकड़ी की कमी के कारण भारत भर में सभी नदियों को शवों से भरा गया था।[१२][१३]

यह फ्लू बॉम्बे में एक लौटे हुए सैनिकों के जहाज से 1918 में पूरे देश में फैला था।[१४] हेल्थ इंस्पेक्टर जेएस टर्नर के मुताबिक इस फ्लू का वायरस दबे पांव किसी चोर की तरह दाखिल हुआ था और तेजी से फैल गया था।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  12. Mills, I D (1986). "The 1918–1919 Influenza Pandemic— The Indian Experience". The Indian Economic & Social History Review. 23 (1): 1–40. doi:10.1177/001946468602300102. PMID 11617178. S2CID 29136588.
  13. साँचा:cite web
  14. साँचा:cite web

बाहरी कड़ियाँ