बीटा टाओरी तारा

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काल्पनिक रेखाओं से बनी वृष तारामंडल की आकृति - बीटा टाओरी इस आकृति का सबसे ऊपर-दाई तरफ़ का तारा है
मंगल और चन्द्रमा के बीच लटकते बीटा टाओरी (एल्नैट) की एक निशाकालीन तस्वीर

बीटा टाओरी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Tau या β Tauri) दर्ज है, वृष तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से १३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है।[१] यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २८वा सब से रोशन तारा भी है।

अन्य भाषाओं में

बीटा टाओरी को अरबी भाषा में "अन-नत्ह" (النطح‎) कहा जाता है, जिसका अर्थ है "सांड के सींग"। इसे अंग्रेज़ी में भी कभी-कभी "ऍलनैट" (Elnath) कहा जाता है।

वर्णन

बीटा टाओरी एक B7 III श्रेणी का दानव तारा है। इसकी अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की ७०० गुना है। इसका व्यास हमारे सूरज के व्यास का ५ से ६ गुना और इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का ४.५ गुना है। रासायनिक तत्वों के नज़रिए से इस तारे में हमारे सूरज की तुलना में मैंगनीज़ अधिक है और मैग्नेशियम और कैल्शियम कम है। यह तारा अपने केंद्र में मौजूद हाइड्रोजन ईंधन या तो ख़त्म कर चुका है या करने वाला है और अब मुख्य अनुक्रम तारा नहीं रहा है। चंद लाख सालों बाद यह फूलकर ठंडा होना शुरू हो जाएगा और एक नारंगी दानव तारा बन जाएगा।

बीटा टाओरी आकाश में जहाँ नज़र आता है उसके बहुत समीप एक धुंधला-सा तारा भी दिखाई देता है, इसलिए खगोलशास्त्री इसे एक दोहरा तारा मानते हैं।[२][३] आसमान में कभी-कभी बीटा टाओरी चन्द्रमा के बहुत पास दिखाई देता है और कभी-कभी उसके पीछे छिप भी जाता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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