बराक 8

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बराक 8 (Barak 8) एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। बराक 8 को विमान, हेलीकाप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ-साथ क्रूज़ मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरा से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया।[१][२] इस प्रणाली के दोनों समुद्री और भूमि आधारित संस्करण मौजूद हैं।[३][४][५][६]

बराक 8 संयुक्त रूप से इजरायल की इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया था। हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स और अन्य चीजो के विकास के लिए इजरायल का प्रशासन जिम्मेदार होगा। जबकि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) मिसाइलों का उत्पादन करेगी।

परिचय

भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली अत्‍याधुनिक मिसाइल बराक-8 का सफल परीक्षण किया। मिसाइल का 20 सितंबर 2016 को सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर ओडि़शा के बालेश्‍वर जिले में चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से मोबाइल लांचर द्वारा प्रक्षेपण किया गया।

परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की इस मिसाइल का विकास भारत ने इस्राइल के साथ मिलकर किया है। मार्च 2009 में भारत ने इजराइल के साथ मिलकर 24 मिसाइल बनाने का समझौता किया था।

पृष्ठभूमि

बराक 8 मूल बराक 1 मिसाइल पर आधारित है। परन्तु इसमे अधिक उन्नत खोजक की सुविधा और लम्बी दूरी तक जने की क्षमता है। जो इसे मध्यम नौसेना प्रणाली बनाती है। इज़राइल ने 30 जुलाई 2009 को सफलतापूर्वक अपने बेहतर बराक 2 मिसाइल का परीक्षण किया। रडार सिस्टम ने 360 डिग्री कवरेज प्रदान की। और मिसाइल जहाज से 500 मीटर की दूरी पर करीब आने वाली मिसाइल नष्ट कर सकती हैं। प्रत्येक बराक प्रणाली (मिसाइल कंटेनर, रडार, कंप्यूटर और इंस्टॉलेशन) में लगभग $24 मिलियन लागत आती है।[७] नवंबर 2009 में इज़राइल ने उन्नत सामरिक बराक 8 वायु रक्षा प्रणाली को भारत में आपूर्ति करने के लिए 1.1 अरब डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।[८] मई 2017 में, भारत ने भारतीय नौसेना के चार जहाजों के लिए $630 मिलियन का ऑर्डर दिया।[९]

बराक-8 मिसाइल के बारे में

  • बराक-8 मिसाइल की मारक क्षमता 70 से 90 किमी है।
  • साढ़े चार मीटर लंबी मिसाइल का वजन करीब तीन टन है और यह 70 किलोग्राम भार ले जाने में सक्षम है।
  • बराक-8 मिसाइल बहुउद्देशीय निगरानी और खतरे का पता लगाने वाली राडार प्रणाली से सुसज्जित है।
  • रक्षा सूत्रों के अनुसार राडार से संकेत मिलते ही इस मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा में मानव रहित विमान बंशी के साथ उड़ते लक्ष्‍य पर वार किया।
  • इससे पहले भी 30 जून और पहली जुलाई को बराक-एट मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
  • भारतीय नौसेना ने 30 दिसंबर, 2015 को आईएनएस कोलकत्‍ता से जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल एलआर-सैम का सफल परीक्षण किया था।
  • मिसाइलों को बनाने में बीईएल, एलएंडटी, बीडीएल, टाटा समूह और कई अन्‍य कंपनियों ने अपना सहयोग दिया।
  • बराक-8 सिस्टम का अगला परीक्षण भारतीय पोत आईएनएस कोलकाता इस वर्ष दिसंबर में किए जाने की संभावना है।
  • आइएनएस कोलकाता पर लॉन्चर और मिसाइलों का पता लगाने के लिए रडार पहले ही तैनात किए जा चुके हैं।
  • रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (DRDO), इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI), इजरायल्स एडमिनिस्ट्रेशन फॉर डेवलपमेंट ऑफ वेपंस एंड टेक्नोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, एल्टा सिस्टम्स, राफेल और अन्य कंपनियों द्वारा इस मिसाइल का संयुक्त रूप से विकास किया जा रहा है।
  • भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) को मिसाइल उत्पादन का काम सौंपा जाएगा।
  • शुरुआती 32 मिसाइल आईएनएस कोलकाता पर तैनात की जाएंगी।
  • सतह से हवा में मार करने वाली आधुनिक प्रणाली देश के तटवर्ती गैस क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए तैनात की जाएगी।

मध्यम दूरी की सतह से हवा में मिसाइल (MRSAM)

मध्यम दूरी की सतह से हवा में मिसाइल, मिसाइल का एक भूमि आधारित कॉन्फ़िगरेशन है। इसमें कमांड और कंट्रोल सिस्टम, रडार, मिसाइल और मोबाइल लांचर सिस्टम होते हैं। प्रत्येक लॉन्चर में दो ऐसे स्टैक्स में आठ ऐसी मिसाइलें होंगी और प्रत्येक लांचर एक कनस्तर विन्यास में लॉन्च किया जाता है। सिस्टम को एक उन्नत रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) खोजक से भी लेस किया गया है।

भारतीय सेना ने इस संस्करण के पांच रेजिमेंटों का ऑडर दिया। जिसमें करीब 40 लांचरों और 200 मिसाइल शामिल हैं जो ₹17,000 करोड़ (यूएस $ 2.6 बिलियन) की हैं। इसकी 2023 तक तैनात होने की उम्मीद है।

लंबी दूरी की सतह से हवा में मिसाइल (LRSAM या बराक-8ईआर)

यह बताया गया है कि बराक 8 का एक ईआर (विस्तारित रेंज) संस्करण विकास के अधीन है जो कि मिसाइलों की अधिकतम सीमा 150 किमी तक बढ़ा देगा।

लेवी ने कहा कि बारक-8 ईआर के लिए प्रारंभिक परिचालन क्षमता (आईओसी) पहले नौसैनिक प्रकार के लिए घोषित की जाएगी, इसके बाद भूमि के संस्करण के लिए प्रारंभिक परिचालन क्षमता (आईओसी) होगा। उन्होंने बारक-8ईआर के लिए ग्राहक पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि "मौजूदा बराक-8 ग्राहकों को इस कॉन्फ़िगरेशन में दिलचस्पी होगी क्योंकि यह उनके मौजूदा सिस्टम को अतिरिक्त क्षमता प्रदान करेगा" मिसाइल को भारतीय नौसेना के भविष्य विशाखापत्तनम वर्ग के विध्वंसक से लैस करने की उम्मीद है।

उड़ान परीक्षण

आईएनएस कोलकाता एक बराक 8 मिसाइल को फायर करते हुए।
  • मई 2010 में, बाराक-२ मिसाइल को सफलतापूर्वक एक इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य पर फायर किया गया था और इसने अपने प्रारंभिक उद्देश्यों को पूरा किया। बाद में मिसाइल का दूसरा परीक्षण भारत में 2010 में आयोजित किया गया था।[१०] "इजरायल के साथ विकसित मिसाइल में 70 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशी होगी।" डीआरडीओ प्रमुख वी के सारस्वत ने द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया।[११]
  • 10 नवंबर 2014 को बराक 8 का सफलतापूर्वक समुद्री और भूमि दोनों प्रणालियों के लिए सभी एकीकृत परिचालन घटकों के साथ इजराइल में परीक्षण किया गया।[१२][१३]
  • 26 नवंबर 2015 को, एक सफल परीक्षण से ड्रोन लक्ष्य को नष्ट किया गया था।[१४]
  • 29 दिसंबर 2015 और 30 दिसंबर 2015 को भारतीय नौसेना ने आईएनएस कोलकाता से बाराक 8 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।[१५][१६] अरब सागर में नौसैनिक अभ्यास किए जाने के दौरान, उच्च गति लक्ष्य पर दो मिसाइलों को फायर किया गया।[१७][१८]
  • 30 जून 2016 को, भारत ने बारक 8 सतह से हवा वाली मिसाइल का एक भूमि आधारित संस्करण चंडीपुर, ओडिशा में एकीकृत टेस्ट रेंज (आईटीआर) से पहली बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया। जिसने टारगेट पायलटलेस लक्ष्य विमान (पीटीए) को नष्ट किया।[१९] दोपहर में दूसरी बार मिसाइल का परीक्षण फिर से किया गया। जहां इसने फिर से सफलतापूर्वक बंगाल की खाड़ी पर एक पायलटलेस लक्ष्य विमान को मार गिराया। मिसाइल का परीक्षण-फायरिंग संयुक्त रूप से भारतीय रक्षा कर्मियों, डीआरडीओ और आईएआई ने किया था।[२०][२१][२२][२३]
  • 1 जुलाई 2016 को एमआर एसएएम (भूमि आधारित संस्करण) को तीसरी बार चांदीपुर में एकीकृत टेस्ट रेंज से 10:26 पूर्वाह्न पर परीक्षण किया गया था। और मिसाइल ने सफलतापूर्वक एक पायलटलेस लक्ष्य विमान मार गिराया, जिसने इसकी विश्वसनीयता साबित कर दी।[२४]
  • 20 सितंबर 2016 को, भारत ने सफलतापूर्वक बारक 8 को चांदपुर में एकीकृत टेस्ट रेंज के एक मोबाइल लांचर से करीब 10: 13 बजे तक लंबी दूरी की मिसाइल लांच की।[२५]
  • 25 दिसंबर 2016 को, अज़रबैजान ने सफलतापूर्वक मिसाइल का परीक्षण किया।[२६]
  • 10 फरवरी, 2017 को, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने इसकी क्षमताओं को सत्यापित करने के लिए समुद्र में टेस्ट मिसाइल फायर की।[२७][२८]
  • 16 मई 2017 को, भारतीय नौसेना ने सफलतापूर्वक आईएनएस कोच्ची से मिसाइल फायर की।[२९][३०].

तैनाती

इज़राइली नौसेना ने अपने Sa'ar 5 वाहक को इस मिसाइल प्रणाली के साथ सुसज्जित किया है। आईएनएस लहाव को पहले ही सुसज्जित किया जा रहा था।[३१] भारतीय नौसेना ने पहले ही कोलकाता वर्ग की स्टेल्थ निर्देशित-मिसाइल विध्वंसक वाहक पर मिसाइलों को तैनात किया है।[३२]

ऑपरेटरों

वर्तमान ऑपरेटर (अजरबैजान शामिल नहीं है)

वर्तमान ऑपरेटर

संभावित ऑपरेटर

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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