प्रवेशद्वार:इतिहास/चयनित लेख/1

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ऑरेंज के विलियम इंग्लैंड पर आक्रमण्ड करने हेतु आते हुए

गौरवशाली क्रान्ति या सन १६८८ की क्रान्ति, इंग्लैंड राज्य में हुई एक धार्मिक-राजनैतिक क्रांति थी। गौरवपूर्ण क्रांति को रक्तहीन क्रांति के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह शांतिपूर्वक संपन्न हुई थी। इंग्लैंड का राजा बदला, इंग्लैंड की शासन व्यवस्था बदली, पर कहीं खून का एक कतरा भी न गिराइंग्लैंड के जेम्स द्वितीय द्वारा संसदीय संप्रभुता को चुनौती देने के फलस्वरुप ही इंग्लैंड राज्य में 1688 ईस्वी मे क्रांति हुई थी। राजा जेम्स द्वितीय को अपनी पत्नी ऐनी समेत अपने निरकुंश शासन संसद की अवहेलना करने तथा प्रोटेस्टैंट धर्म विरोधी नीति के कारण गद्दी छोड़नी पड़ी थी। इस क्रांति के बाद विलियम तृतीय और मैरी द्वितीय को इंग्लैंड के सह-शासक के रूप में राजा और रानी बनाया गया। गौरवशाली क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड में स्वछंद राजतंत्र का काल पूर्णतः समाप्त होगया था। संसदीय शासन पद्धति की स्थापना हो जाने से जनसाधारण के अधिकार सुरक्षित हो गए थे राजनीतिक एवं धार्मिक अत्याचार के भय से मुक्ति पा कर लोग आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होने लगे थे। इंग्लैंड का प्रधानमंत्री वालपोल स्वयं एक योग्य अर्थशास्त्रीय था। जॉर्ज तृतीय के शासनकाल में इंग्लैंड को गृह युद्ध या बाह्य आक्रमण की आशंका नहीं थी। आंतरिक शांति और सुदृढ़ता व्यापार की प्रगति में सहायक थी जबकि यूरोप के अन्य देश राजनीतिक उलझन में फंसे हुए थे। ट्यूडर वंश के शक्तिशाली राजाओं के शासन काल में संसद उनके हाथों की कठपुतली बनी रही थी। महारानी एलिजाबेथ प्रथम का संबंध ट्यूडर वंश से था। इंग्लैंड एवं फ्रांस के बीच सौ वर्षीय युद्ध हुआ था।

गुलाबों का युद्ध इंग्लैंड में हुआ था। 1867 ईसवी तथा 1884 ईसवी के सुधार अधिनियम के द्वारा इंग्लैंड में मजदूर वर्ग को मतदान वोटिंग का अधिकार प्राप्त हो गया। मजदूरों को मताधिकार प्राप्त होने से इंग्लैंड में समाजवादी आंदोलन की तेजी से प्रगति का दौर शुरु हुआ। इंग्लैंड में ,जनवरी 1980 ट्रेड यूनियनवादी तथा समाजवादी गुटों जैसे- सोशल डेमोक्रेटिक फेडरेशन, फेबियन सोसाइटी तथा इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के सदस्यों की मिली-जुली बैठक हुई। इस बैठक के परिणाम स्वरुप "लेबर रिप्रजेंटेशन कमेटी" नामक एक संगठन का अस्तित्व सामने आया। 1969 में इंग्लैंड की संसद ने अधिकार का अधिनियम (बिल ऑफ़ राइट्स) को पारित किया। इसके साथ इंग्लैंड में संसद की सर्वोच्चता स्थापित हो गयी। अधिक पढ़ें…