पहला संविधान संशोधन अधिनियम, १९५१
पहला संविधान संशोधन अधिनियम, १९५१
इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 15,19,85,87,174,176,314,342,374,376 में संशोधन किये गए तथा दो नये अनुच्छेद 31क तथा 31ख जोड़े गये और नौंवी अनुसूची को भी सविंधान में जोड़ा गया।
31क में जमींदारी प्रथा के उन्मूलन को वैधानिकता प्रदान की गयी।
31ख में नौंवी अनुसूची में शामिल किए गए अधिनियमों की वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती। वस्तुतः यह प्रावधान जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा जमींदारी प्रथा उन्मूलन के विरोध को समाप्त करने तथा भूमि संबंधी सुधार में आने वाली अड़चनों को दूर करने हेतु किया गया था किन्तु भविष्य में इसका व्यापक दुरुपयोग देखने को मिला, जब कानूनी हस्तक्षेप से बचने के लिए लगभग 300 प्रावधान इस अनुसूची में शामिल कर दिए गए।
अनुच्छेद 19(2) में संसोधन करके लोक व्यवस्था, विदेशी राज्यों से मैत्री संबंध तथा अपराध के उद्दीपन के आधार पर वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगायी गयी है।
अनुच्छेद 15(4) को जोड़कर सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुये लोगो के सम्बन्ध में विशेष कानून निर्माण हेतु राज्य को अधिकार दिया गया है।
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