नीला विल्डबीस्ट

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काला विल्डबीस्ट
Ngorongoro Streifengnu.jpg
नीला विल्डबीस्ट
Scientific classification
Binomial name
कॉनोकाइटिस टौरिनस
(बर्चैल, १८२३)
उपजाति

सी.टी. टौरिनस, नीला विल्डबीस्ट
सी.टी.ऍलबोजुबॅटिस, पूर्वी सफ़ेद दाढ़ी वाला विल्डबीस्ट
सी.टी. कुकसॉनी, कुकसन का विल्डबीस्ट
सी.टी. जॉन्सटॉनी, न्यासालैण्ड विल्डबीस्ट
सी.टी. मर्नसी, पश्चिमी सफ़ेद दाढ़ी वाला विल्डबीस्ट

Connochaetes taurinus map.svg

नीला विल्डबीस्ट, सामान्य विल्डबीस्ट या सफ़ेद दाढ़ी वाला विल्डबीस्ट विल्डबीस्ट की दो जातियों में से एक है।[१] इसका सबसे करीबी रिश्तेदार काला विल्डबीस्ट है। यह जाति अफ़्रीका महाद्वीप में पाई जाती है। यह खुले मैदानों में, दक्षिण अफ़्रीका और पूर्वी अफ़्रीका के खुले जंगलों में पाये जाते हैं और २० वर्ष से अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं। नर अपने क्षेत्र की रक्षा के मामले में बहुत उग्र होता है और अपने क्षेत्र को जताने के लिए गंध और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करता है। इनकी सबसे बड़ी संख्या सेरेंगेटी, तंज़ानिया में है जहाँ यह १० लाख से भी ज़्यादा हैं। इनके प्रमुख शिकारी सिंह, लकड़बग्घे और नील नदी के मगरमच्छ होते हैं। कभी-कभी २ से ३ चीतों को भी इनका शिकार करते देखा गया है। इनका शिकार झुण्ड में अफ़्रीका के जंगली कुत्ते भी करते हैं। नर की कंधे तक औसतन ऊँचाई १४५ से.मी. तक हो सकती है और वज़न २७५ कि. तक।[२]

विवरण

नीला विल्डबीस्ट

नीला विल्डबीस्ट काले विल्डबीस्ट से बड़ा होता है। नरों में नीला विल्डबीस्ट कंधे तक १५० से.मी. ऊँचा और २५० कि. तक वज़नी होता है। मादा में नीली विल्डबीस्ट कंधे तक १३५ से.मी. तक ऊँची और १८० कि. तक वज़नी होती है।[३] इसके सींग बाहर को निकलकर नीचे की ओर मुड़े होते हैं और फिर सिर की ओर घूमे होते हैं। यह गाढ़े स्लेटी रंग का धारीदार होता है लेकिन कभी-कभी चमकीले नीले रंग का भी होता है। यह विभिन्न प्रकार के इलाकों जैसे मैदानी इलाके और खुले जंगलों में रहता है।[४] यह सर्दियों में लंबी दूरी तक प्रवास करते हैं और देशों की सीमायें भी लांघ जाते हैं।[५] काले विल्डबीस्ट मादा के दूध में नीले विल्डबीस्ट के बनस्बत ज़्यादा प्रोटीन, कम वसा और कम दुग्धशर्करा (lactose) होते हैं।[६]

प्रजनन

किसी एक सूचक वर्ष में नीले विल्डबीस्ट के झुंड के शावक एक छोटे से अन्तराल में ही पैदा हो जाते हैं (तीन सप्ताह के अन्दर तकरीबन ९० फ़िसदी पैदा होते हैं), जिससे भावी शिकारियों, जैसे सिंह, जंगली कुत्तों, चीतों, तेंदुओं और लकड़बग्घों को शिकार की बहुतायत हो जाये और ज़्यादा से ज़्यादा शावकों के बचने की संभावना बढ़ जाये।[७] जो शावक इस अवधि के बाहर पैदा होते हैं उनके शिकारिओं के हाथों बचने की उम्मीद बहुत कम रह जाती है। पैदा होने के कुछ ही समय (एक से डेढ़ छण्टा) पश्चात् शावक अपनी माँ का अनुसरण करने लग जाते हैं। लेकिन इन शावकों की मृत्यु दर बहुत अधिक होती है और केवल वे ही अपने जीवन के पहले कुछ साल पार कर पाते हैं जिनको अपने माता-पिता से अच्छे आनुवांशिक अनुदान प्राप्त होते हैं या जिनकी माताएँ अनुभवी होती हैं।[८] समय-समय पर प्रवास करने के कारण यह न तो स्थाई रिश्ते कायम करते हैं और न ही किसी तय क्षेत्र की रक्षा करते हैं। इनका प्रजनन काल तब शुरु होता है जब नर छोटे से अस्थाई क्षेत्र स्थापित करके मादाओं को रिझाने की कोशिश करते हैं। यह छोटे क्षेत्र करीब ३००० वर्ग मीटर के होते हैं और एक वर्ग किलोमीटर में ३०० क्षेत्र तक हो सकते हैं। नर इन क्षेत्रों की अन्य नरों से रक्षा करने के साथ-साथ मादाओं को रिझाने की कोशिश करते रहते हैं। नर मादाओं को रिझाने के लिए हुँकार भरते हैं और विशिष्ट प्रदर्शन भी करते हैं। अमूमन यह वर्षा ऋतु के अंत में समायोग करते हैं जब जानवर सबसे स्वस्थ होते हैं।[८] साँचा:clear

प्रवास

मसाई मारा, केन्या विल्डबीस्ट झुण्ड में इकट्ठा होकर आगे चल रहे ज़ीब्रा का अनुसरण करते हुए
विल्डबीस्ट प्रवास करते हुए

नीला विल्डबीस्ट और ज़ीब्रा वार्षिक लंबे प्रवास के लिए प्रसिद्ध हैं जो कि वस्तुतः वार्षिक वर्षा प्रणाली और घास की उत्पत्ति पर निर्भर करता है। इसी कारण से हर साल उनके प्रवास के समय में काफ़ी परिवर्तन दिखाई देता है जो कि महीनों के हिसाब से भी हो सकता है। वर्षा ऋतु के बाद (पूर्वी अफ़्रीका में मई या जून) यह उन इलाकों की ओर कूच करते हैं जहाँ सतह पर पीने का पानी उपलब्ध हो और महीनों बाद जब उनके क्षेत्र में फिर से बारिश होती है तो वह तुरन्त वापस आ जाते हैं। प्रवास के लिए यह अनुमान लगाया गया है कि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे खाने की प्रचुरता, सतही पानी की उपलब्धी, शिकारियों की ग़ैर मौजूदगी और घास में फ़ॉसफ़ोरस का होना। फ़ॉसफ़ोरस सारे जीवन के लिए बहुत अहम होती है, खास तौर पर दुधारू मादा ढोरों के लिए। यही कारण है कि वर्षा काल में यह उन चारागाहों की तलाश में रहते हैं जहाँ फ़ॉसफ़ोरस का स्तर ऊँचा हो।[८] एक अध्ययन में यह भी पता चला कि फ़ॉसफ़ोरस के साथ-साथ यह ऊँचे नाइट्रोजन वाले इलाकों की भी तलाश में रहते हैं।[९]

सन्दर्भ