नटवर ठक्कर (नटवर भाई)

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नटवर ठक्कर
जन्म Did not recognize date. Try slightly modifying the date in the first parameter.
डहाणू, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश राज[१]
मृत्यु 7 अक्टूबर, 2018 (उम्र 85-86)
गुवाहाटी, असम
आवास चुचुयिमलांग, नागालैंड, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय लोकोपकारी, सामाजिक कार्यकर्ता
प्रसिद्धि कारण नागालैंड में सामाजिक कार्य
पुरस्कार

नटवर ठक्कर (1932 - 7 अक्टूबर 2018), जो कि नटवर भाई के नाम से भी जाने जाते थे, एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे, जो नागालैंड में काम करते थे। वे मूल रूप से महाराष्ट्र से थे, किंतु 23 साल की उम्र में सामाजिक कार्य के लिए नागालैंड चले गए। उन्होंने नागालैंड के मोकोकचुंग जिले के चुचुयिमलांग गाँव में नागालैंड गांधी आश्रम की स्थापना की। नागालैंड में गांधीवादी दर्शन के प्रसार और उनके सामाजिक कार्यों के कारण, उन्हें "नागालैंड के गांधी" के रूप में जाना जाता था।[५][६][७][८][९]

प्रारंभिक जीवन

ठक्कर का जन्म 1932 में ब्रिटिश भारत के तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी (आज महाराष्ट्र राज्य के पालघर जिले का हिस्सा) के तटीय दहानू शहर में एक गुजराती- संपन्न परिवार में हुआ था। गांधीवादी समाज सुधारक काका कालेलकर के प्रारम्भिक जीवन से प्रेरित होकर, 1955 में 23 साल की उम्र में ठक्कर भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड पहुँचे। वहाँ स्वैच्छिक समाज सेवा के माध्यम से "सद्भावना और भावनात्मक एकीकरण" को बढ़ावा देने की इच्छा रखते हुए उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों का अनुसरण किया।[१०][११]

काम

ठक्कर ने 1955 में नागालैंड के चुचुयिमलांग गाँव में "नगालैंड गांधी आश्रम" की स्थापना की। उस समय, नागा विद्रोहियों और भारतीय सेना में युद्ध जैसे हालात थे, इसलिए उग्रवादी किसी भी "भारतीय" को "जासूस" मानकर उसे शक की नज़र से देखते थे। इस कारण उन्होंने ग्रामीणों को यह चेतावनी दी कि ठक्कर को न तो शरण दें और न ही उनकी कोई सहायता करें।[१०][५] ठक्कर ने स्थानीय निवासियों की "विभिन्न विकास और आय सृजन गतिविधियों" की स्थापना करने में सहायता की, जिनमें मधुमक्खी पालन, गुड़ उत्पादन, तेल घानी, एक बायोगैस संयंत्र, एक मशीनीकृत बढ़ईगीरी कार्यशाला और खादी बिक्री आउटलेट शामिल हैं। खादी को लोकप्रिय बनाने के अलावा, उन्होंने स्कूल ड्रॉप आउट और शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू किया।[१२][१३]

नागालैंड में रहने के दौरान, उनपर कई बार विद्रोहियों द्वारा हमला किया गया और धमकियाँ और राज्य छोड़ने की चेतावनी दी गईं।[१२] भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ठक्कर को गाँव में रहने और अपना काम जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया था; नेहरू ने अपनी पहल को बढ़ावा देने के लिए धन भी आवंटित किया। ठक्कर ने सेना और ग्रामीणों के बीच मध्यस्थ के रूप में काम किया और व्यक्तिगत बातचीत और चर्चाओं द्वारा रिश्ते सुधारने का प्रयास भी किया। ग्रामीणों ने भी उग्रवादियों से ठक्कर को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की।[१०][१४]

ठक्कर के प्रयासों के कारण, 2006 में चुचुयिमलांग गाँव में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान का उद्घाटन सम्भव हो सका। यह एक सरकारी वित्त पोषित संस्थान है जो नवीनतम तकनीक से लैस है। ठक्कर के प्रयासों को स्वीकार करते हुए, ग्रामीणों ने "नागालैंड गांधी आश्रम" के लिए स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। भूमि दान दी, ताकि वहाँ "महात्मा गांधी सामाजिक कार्य केंद्र" (MGCSW) स्थापित हो सके।[१५][८][१६] टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान ने भी इस संस्थान से जुड़े होने में रुचि दिखाई है।[१०]

व्यक्तिगत जीवन

ठक्कर ने 1956 में नागा ईसाई महिला लेंटिना आओ (Lentina Ao) से शादी की।[१७][७][१०] उनकी दो बेटियां और एक बेटा था। 19 सितंबर 2018 को बुखार से उबरने में जटिलताओं के कारण ठक्कर को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में उनके स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया और वे गुर्दे की विफलता और निम्न रक्तचाप से पीड़ित हो गए। 7 अक्टूबर 2018 को सुबह 7:10 बजे असम के गुवाहाटी के अस्पताल में ठक्कर की मृत्यु हो गई।[१८] उनकी मृत्यु के समय उनकी पत्नी और बच्चे वहीं पर उनके साथ थे।[१९]

पुरस्कार

ठक्कर को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:

  • पद्म श्री पुरस्कार (1999): भारत का 4 वां सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। [२०]
  • दीवालिबेन मेहता पुरस्कार (2001) [२१]
  • जमनालाल बजाज पुरस्कार (1987)
  • राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार (1994): यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा दिया गया पुरस्कार है।
  • मेघालय राज्य महात्मा गांधी पुरस्कार (1996)
  • कर्मयोगी पुरस्कार (2015): यह एनजीओ माई होम इंडिया द्वारा सम्मानित किया गया है। यह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह द्वारा ठक्कर को प्रदान किया गया था। [१२]
  • "लाइफटाइम सर्विस टू नागा पीपल" अवार्ड (2009): चुगायुमलंग गाँव द्वारा ठक्कर को दिया गया एक विशेष पुरस्कार, नागा लोगों के कल्याण के लिए उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए। ठक्कर ने गाँव में एक वरिष्ठ नागरिक की वापसी के लिए 1,00,000 भारतीय रुपये पुरस्कार राशि का दान किया। [५] [२२]

संदर्भ

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  3. साँचा:cite web
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  9. Saini, Ajay (December 2018). "Natwar Thakkar (1932 - 2018): Gandhi's Peace Emissary in Nagaland". Economic and Political Weekly. Archived from the original on 5 अप्रैल 2019. Retrieved 6 मार्च 2020. {{cite journal}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  10. इस तक ऊपर जायें: स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  11. Saini, Ajay (December 2018). "Natwar Thakkar (1932–2018): Gandhi's Peace Emissary in Nagaland". Economic and Political Weekly. Archived from the original on 5 अप्रैल 2019. Retrieved 6 मार्च 2020. {{cite journal}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  12. इस तक ऊपर जायें: स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  13. Saini, Ajay (December 2018). "Natwar Thakkar (1932–2018): Gandhi's Peace Emissary in Nagaland". Economic and Political Weekly. Archived from the original on 5 अप्रैल 2019. Retrieved 6 मार्च 2020. {{cite journal}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  14. Saini, Ajay (December 2018). "Natwar Thakkar (1932–2018): Gandhi's Peace Emissary in Nagaland". Economic and Political Weekly. Archived from the original on 5 अप्रैल 2019. Retrieved 6 मार्च 2020. {{cite journal}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
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सामान्य

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