धरम वीर
{
{Infobox Film
| name = धरम वीर
| image = धरम वीर.jpg
| caption = धरम वीर का पोस्टर
| director = मनमोहन देसाई
| producer = सुभाष देसाई
| writer = कादर ख़ान (संवाद)
| narrator =
| story = जीवनप्रभा देसाई
पुष्पा शर्मा
| screenplay = प्रयाग राज
के. बी. पाठक
| starring = धर्मेन्द्र,
ज़ीनत अमान,
जितेन्द्र,
नीतू सिंह,
प्राण
| music = लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
| cinematography = ऍन.वी. श्रीनिवास
| editing = कमलाकर करखनिस
| studio = महबूब स्टूडियो
आर. के. स्टूडियोज़
| distributor = ऍस. ऍस. मूवीटोन
| released = 1977
| runtime = 163 मि.
| country = भारत
| language = हिन्दी
| budget =
}}
धरम वीर 1977 में बनी लोककथा आधारित एक फ़िल्म है। यह मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित है। इसमें धर्मेन्द्र, जितेन्द्र, ज़ीनत अमान, नीतू सिंह मुख्य भूमिकाओं में हैं और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीत दिया गया है। साथ ही इसमें धर्मेन्द्र के छोटे बेटे बॉबी देओल कुछ समय के लिए अपने पिता के चरित्र के बचपन के रूप को निभाते हुए दिखाई देते हैं।[१]
यह "बिछड़ना और पुनर्मिलन" प्रसंग पर आधारित 1977 की मनमोहन देसाई की साल की चार बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी (अन्य थीं धर्मेन्द्र ही अभिनीत चाचा भतीजा, परवरिश और अमर अकबर एन्थोनी)।
संक्षेप
राजकुमारी मीनाक्षी शिकार करने के लिए बाहर जाती है, उसे एक शिकारी और योद्धा ज्वाला सिंह (प्राण) उसकी जान हमलावरों से बचा लेता है। ज्वाला सिंह जंगल में अपने एक बाज़ दोस्त, शेरु के साथ रहता है। राजकुमारी मीनाक्षी उसे जान बचाने के लिए इनाम देने की पेशकश करती है, पर वो इनाम के जगह उससे शादी के लिए उसका हाथ मांगता है। लेकिन उसके पिता उसकी इस मांग से इंकार कर देते हैं। उसी रात उनकी नींद एक बाघ के कारण खुल जाती है। वो बाघ एक गाँव वाले को मार देता है। ज्वाला अपने कपड़े से उसके मृत देह को ढक देता है। वो उस बाघ के साथ लड़ाई करता है और उसी बाघ के साथ पहाड़ से नीचे गिर जाता है। राजकुमारी उस गाँव वाले की मृत देह को देख कर सोचने लगती है कि ये ज्वाला सिंह है, जिससे उसे सदमा लग जाता है। उसके पिता उसकी शादी एक राजसी परिवार में करा देते हैं। ज्वाला को पता नहीं होता है कि मीनाक्षी उसके बच्चे की माँ बनने वाली है। मीनाक्षी का भाई, राजा सतपाल सिंह (जीवन) को कोई बोलता है कि एक भविष्यवाणी के अनुसार वह अपने सबसे बड़े भांजे द्वारा मारा जाएगा।
मीनाक्षी एक बच्चे को जन्म देती है और सतपाल उस बच्चे के जन्म लेने के कुछ ही समय बाद उसे मारने के लिए खिड़की से बाहर गिरा देता है। उस बच्चे को शेरु पकड़ लेता है और उड़ते हुए अपने मालिक, ज्वाला के पास आ जाता है। ज्वाला शेर के कारण काफी घायल हो जाता है। उसका इलाज एक लोहार और उसकी पत्नी करते हैं। उन दोनों की कोई संतान नहीं होती है और पक्षी एक बच्चे को लाता है तो उन्हें लगता है कि वो उपहार स्वरूप उस बच्चे को लाया है। जब ज्वाला को होश आता है तो वे लोग सारी बात बताते हैं, और वो उनसे कहता है कि इस बच्चे को वे लोग अपने बच्चे की तरह पालें। वहीं पता चलता है कि मीनाक्षी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है और सतपाल को तो बस पहले बच्चे से ही खतरा था, इस कारण वो दूसरे बच्चे को मारने की कोशिश नहीं करता, बल्कि अपने बच्चे से उसे बदल देता है। लेकिन उसकी पत्नी उसके सोने के बाद वापस बच्चों को बदल देती है।
बच्चे बड़े होने लगते हैं और सतपाल अपने बच्चे के साथ बेकार तरीके से व्यवहार करता है, उसे लगता है कि वो उसका बच्चा नहीं, बल्कि मीनाक्षी का बच्चा है। बड़े होने के बाद धरम (धर्मेन्द्र) अपने पिता की तरह लोहार बनने की सोचता है और वहीं वीर (जितेन्द्र) राजकुमार होता है, जिसे जल्द ही राजा बनाया जाने वाला होता है। वे दोनों एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं और उन्हें तब ये पता नहीं होता है कि वे दोनों असल में भाई हैं। धरम को राजकुमारी (ज़ीनत अमान) से प्यार हो जाता है, और वहीं वीर को गाँव की एक लड़की, रूपा (नीतू सिंह) से प्यार हो जाता है। उनकी मुलाक़ात ज्वाला सिंह से होती है, जो तलवारबाज़ी में महारत हासिल किया होता है। वो धरम को तलवारबाजी सिखाता है, जिससे धरम भी एक अच्छा तलवारबाज़ बन जाता है।
सतपाल को सच्चाई पता चल जाती है कि वीर उसका बेटा नहीं है। इसके बाद उसे एहसास होता है कि जब तक धरम और वीर एक दूसरे के दोस्त रहेंगे, तब तक वो किसी भी तरह अपने बेटे को राजा नहीं बना सकता। इस कारण वो धरम और वीर के मध्य दुश्मनी पैदा करने के लिए धरम की माँ को शाही तीर से मार देता है। उस राज्य का कानून आँख के बदले आँख वाला होता है। धरम अपनी माँ के बदले महारानी मीनाक्षी से उसकी माँ बनने को कहता है। इसके बाद वीर और धरम के बीच दुश्मनी हो जाती है और वे दोनों लड़ने लगते हैं। सतपाल सोचते रहता है कि अगर किसी ने किसी को भी मारा तो मारने वाले को दूसरे की हत्या करने के दोष में मार दिया जाएगा, जिससे एक ही बार में दोनों खत्म हो जाएँगे।
लड़ाई के दौरान बूढ़ा लोहार आता है और महारानी को बताता है कि किस तरह उसे धरम एक बाज़ के कारण मिला था। वो उस कपड़े को दिखाता है, जिसमें वो बच्चा लपेटा गया था। महारानी को एहसास हो जाता है कि ये उसका ही बेटा है, जिसे बाज ने गिरते हुए पकड़ लिया था। वो उन दोनों की लड़ाई को बीच में रोक देती है और उन्हें बताती है कि वो दोनों भाई हैं। वे दोनों भाई एक हो जाते हैं, और उसके बाद वे लोग सतपाल के द्वारा इकट्ठा किए गए लोगों से लड़ते हैं और अंत में सतपाल को धरम मार देता है।
मुख्य कलाकार
- धर्मेन्द्र — धरम सिंह
- ज़ीनत अमान — राजकुमारी पल्लवी
- जितेन्द्र — वीर सिंह
- नीतू सिंह — रूपा
- प्राण — ज्वाला सिंह
- इन्द्राणी मुखर्जी — महारानी मीनाक्षी
- जीवन — सतपाल सिंह
- रंजीत — रंजीत सिंह
- सुजीत कुमार — राजकुमार सुजन सिंह
- देव कुमार — देव सिंह
- आज़ाद — आज़ाद सिंह
- सप्रू — महाराजा
- बी॰ एम॰ व्यास — राजगुरू
- प्रदीप कुमार — महाराजा प्रताप सिंह
संगीत
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "सात अजूबे इस दुनिया में" | मोहम्मद रफी, मुकेश | 6:08 |
2. | "ओ मेरी महबूबा महबूबा महबूबा" | मोहम्मद रफी | 6:27 |
3. | "हम बंजारों की बात मत पूछो जी" | लता मंगेशकर, किशोर कुमार | 6:39 |
4. | "अरे मैंने तुझको चाहा" | मोहम्मद रफी | 5:28 |
5. | "बंद हो मुट्ठी तो लाख की" | लता मंगेशकर, आशा भोंसले | 6:05 |
6. | "सात अजूबे इस दुनिया में" (दुखी) | मोहम्मद रफी, मुकेश | 1:08 |