बालासरस्वती
तंजौर बालासरस्वती | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मूल | तंजौर |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
शैलियां | शास्त्रीय संगीत |
भरतनाट्यम नर्तक |
तंजौर बालासरस्वती एक भारतीय नर्तक है जो भरतनाट्यम, शास्त्रीय नृत्य के लिए जानी जाती है। १९५७ में उन्हें पद्म भूषण[१] से सम्मानित किया गया और १९७७ में पद्म विभूषण[२], भारत सरकार द्वारा दिए गए तीसरे और दूसरे उच्चतम नागरिक सम्मान से सम्मानीत किया। १९८१ में उन्हें भारतीय फाइन आर्ट्स सोसाइटी, चेन्नई के संगीता कलासिखमनी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
जीवनी
बालासरस्वती का जन्म १३ मई १९१८ मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत हुआ था। उनके पूर्वज पैम्म्मल एक संगीतकार और नर्तक थे। उनकी दादी, विना धनमल (१८६७-१९३८) बीसवीं शताब्दी की एक सबसे प्रभावशाली संगीतकार मानी जाती है। उनकी मां, जयाम्मल (१८९१-१९६७) एक गायक थीं। उन्होंने १९३४ में कलकत्ता में पहली बार दक्षिण भारत के बाहर अपनी परंपरागत शैली का पहला प्रदर्शन करने वाली पहली महिला थी।
पुरस्कार
उन्होंने भारत में कई नाटक पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें संगीत नाटक अकादमी (१९५५) से राष्ट्रपति का पुरस्कार शामिल था। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सेवा के लिए भारत सरकार से पद्मविभूषण (१९७७), मद्रास संगीत अकादमी से संगिता कलानिधि, संगीतकारों के लिए दक्षिण भारत का सर्वोच्च पुरस्कार (१९७३)।
बंगाली फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे ने एक वृत्तचित्र फिल्म बनाई बालासरस्वती पर बाला (१९७६)।[३]