चटगांव विद्रोह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(चटगाँव विद्रोह से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चटगांव शस्त्रागार छापा
Surya Sen before 1934.jpg
सूर्य सेन, विद्रोह के नेता
तिथि 18 अप्रैल 1930
स्थान चटगांव, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
परिणाम
  • गोला बारूद का पता लगाने में विफल
  • टेलीफोन और टेलीग्राफ तारों को काटने और ट्रेन की गतिविधियों को बाधित करने में सफल
सेनानायक
सूर्य सेन

18 अप्रैल 1930 को भारत के महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में सशस्त्र भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चटगांव (अब बांग्लादेश में) में पुलिस और सहायक बलों के शस्त्रागार पर छापा मार कर उसे लूटने का प्रयास किया गया था। इसे चटगांव शस्त्रागार छापा[१] या चटगांव विद्रोह के नाम से जाना जाता है।[२][३]

क्रांतिकारी समूह

सभी छापेमार, क्रांतिकारी समूहों के सदस्य थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता हासिल करने के साधनों के रूप में सशस्त्र विद्रोह का पक्ष लिया था। वे आयरलैंड के 1916 ईस्टर राइजिंग से प्रेरित थे और सूर्य सेन के नेतृत्व में थे। हालांकि, वे सोवियत रूस के कम्युनिस्ट विचारधारा से भी प्रभावित थे। बाद में इनमें से कई क्रांतिकारी कम्युनिस्ट बन गए। इस समूह में गणेश घोष, लोकेनाथ बाल, अंबिका चक्रवर्ती, हरिगोपाल बाल (तेग्रा), अनंत सिंह, आनंद प्रसाद गुप्ता, त्रिपुरा सेन, बिधुभूषण भट्टाचार्य, प्रीतिलाता वद्देदार, कल्पना दत्ता, हिमांशु सेन, बिनोद बिहारी चौधरी, सुबोध रॉय और मोनोरंजन भट्टाचार्य आदि शामिल थे।[४]

योजना

सेन ने चटगांव के दो मुख्य शस्त्रागार लूटने, टेलीग्राफ और टेलीफोन कार्यालय को नष्ट करने और यूरोपीय क्लब के सदस्यों, जिनमें से अधिकांश सरकारी या सैन्य अधिकारी थे जो भारत में ब्रिटिश राज को बनाए रखने में शामिल थे, को बंधक बनाने की योजना बनाई थी। आग्नेयास्त्रों के खुदरा विक्रेताओं पर भी हमला किया जाने की योजना थी, इसके अलावा कलकत्ता से चटगांव को अलग करने के लिए रेल और संचार लाइनों को काटना था। चटगांव के सरकारी बैंकों को लुटकर आगे के विद्रोह के लिए धन इकट्ठा किया जाना था, और विभिन्न जेल में बन्द क्रांतिकारियों को मुक्त कराना था।

छापा

18 अप्रैल 1930, 10 बजे रात को योजना क्रियान्वित की गई। गणेश घोष की अगुआई में क्रांतिकारियों के एक समूह ने पुलिस शस्त्रागार (दंपारा में पुलिस लाइन में) कब्जा कर लिया, जबकि लोकेनाथ बाल के नेतृत्व में दस पुरुषों के एक समूह ने सहायक बल सेना (अब पुराना सर्किट हाउस) कब्जे मे ले लिया। भारतीय रिपब्लिकन सेना, चटगांव शाखा के नाम पर किए गए इस हमले में करीब 65 लोगों ने हिस्सा लिया था। इन लोगो ने गोला बारूद का पता लगाने में असफल रहे, हालांकि टेलीफोन और टेलीग्राफ तारों को काटने और ट्रेन की गतिविधियों में बाधा डालने में सफल रहे।

लगभग 16 लोगों के एक समूह ने यूरोपीय क्लब के मुख्यालय (पहाड़ली में, अब शाहजहां फील्ड के बगल में रेलवे कार्यालय) पर कब्जा कर लिया, लेकिन गुड फ्राइडे होने के कारण, वहाँ केवल कुछ सदस्य ही मौजूद थे। स्थिति को भांपते हुए, यूरोपियनों ने अलार्म बजा कर सैनिकों को सूचित कर दिया, जिसकी क्रांतिकारियों ने की अपेक्षा नहीं की थी। छापे के बाद, सभी क्रांतिकारी पुलिस शस्त्रागार के बाहर इकट्ठा हुए, जहां सेन ने सैन्य सलाम लिया, और राष्ट्रीय ध्वज फहराया और एक अस्थायी क्रांतिकारी सरकार की घोषणा की। क्रांतिकारियों ने तड़के ही चटगांव शहर छोड़ दिया और छिपने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश में चटगांव पहाड़ी श्रृंखला की ओर बढ़ गये।साँचा:sfn

गणेश घोष, अनंत सिंह, किशोर आनंद गुप्ता और जीबन घोषाल सहित कुछ अन्य सदस्य दूसरी ओर निकल गये, और फेनी रेलवे स्टेशन पर लगभग गिरफ्तार होने वाले थे लेकिन वे भागने में कामयाब रहे। बाद में वे चंदनगर के एक घर में छिप कर रहने लगे।

परिणाम

साँचा:multiple image कुछ दिनों की सरगर्मी के बाद, पुलिस ने कुछ क्रांतिकारियों का पता लगा लिया। 22 अप्रैल 1930 की दोपहर को चटगांव छावनी के पास जलालाबाद पहाड़ियों में आश्रय लिये हुए क्रांतिकारियों को कई हज़ार सैनिकों ने घेर लिया।

वहां हुई गोलीबारी में 80 से ज्यादा सैनिक और 12 क्रांतिकारियों की मौत हो गई। सेन ने अपने लोगों को छोटे समूहों में बाट कर पड़ोसी गांवों में फैला दिया और उनमें से कुछ बच निकले। कुछ कलकत्ता चले गए जबकि कुछ गिरफ्तार कर लिए गए। इस घटना के प्रतिरोध पर क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिये एक तीव्र छापेमारी शुरू हुई। अनंत सिंह चन्दननगर में अपने छिपे हुए स्थान से कलकत्ता आकर आत्मसमर्पण कर दिया ताकि वे चटगांव विद्रोह में पकड़े गये युवा किशोरों के साथ रह सके। कुछ महीने बाद, पुलिस आयुक्त चार्ल्स टेगार्ट छुपे हुए क्रांतिकारियो के स्थान के घेर लिया और गोलीबारी में, जीबन घोषाल की मृत्यु हो गई।

कुछ क्रांतिकारियों ने पुनर्गठन होने में कामयाब रहे। 24 सितंबर 1932 को, प्रितिला वद्देदार की अगुवाई में देबी प्रसाद गुप्ता, मनोरंजन सेन, रजत सेन, स्वदेश रॉय, फनेंद्र नंदी और सुबोध चौधरी ने पून: यूरोपीय क्लब पर हमला कर दिया जिसमें एक महिला की मौत हो गई। लेकिन इस योजना का उलटा असर हुआ और पुलिस ने फरारों की खोज कर ली। कलारपोल मे हुए मुठभेड़ में देब गुप्ता, मनोरंजन सेन, रजत सेन और स्वदेशंजन रे की मौत हो गई, जबकि अन्य दो, सुबोध और फनी घायल हो गए और गिरफ्तार किए गए थे। 1930-32 के दौरान, अलग-अलग घटनाओं में क्रांतिकारियों द्वारा 22 अधिकारियों और 220 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। देवी प्रसाद गुप्ता के भाई को आजीवन निर्वासन की सजा सुनाई गई थी।

मुकदमा

जनवरी 1932 में विद्रोह के दौरान और बाद में गिरफ्तार किए गए लोगों पर बड़े पैमाने पर मुकदमा चलाया गया और 1 मार्च 1932 को निर्णय दिया गया। प्रतिवादीयों में से 12 लोगों को अजीवन निर्वासन की सजा सुनाई गई, दो को तीन साल की जेल की सजा मिली और शेष 32 व्यक्तियों को बरी कर दिया गया। 12 अजीवन निर्वासन दिये गये क्रांतिकारियों को अंडमान भेज दिया गया, उनमें गणेश घोष, लोकेनाथ बाल, (1932 में) सोलह वर्षीय आनन्द गुप्ता और अनन्त सिंह आदि शामिल थे।

सूर्य सेन की गिरफ्तारी और मृत्यु

समूह के अंदरूनी सूत्र के मुखबरी के बाद 16 फरवरी 1933 को "मास्टरदा" सूर्य सेन को गिरफ्तार कर लिया गया, तब चटगांव क्रांतिकारी समूह को घातक झटका लगा। इनाम के पैसे अथवा ईर्ष्या या दोनों के लिए, नेत्रा सेन ने ब्रिटिश सरकार से कहा कि सूर्य सेन उनके घर पर था। लेकिन इससे पहले नेत्र सेन इनाम के 10,000 रुपये ले पाता, क्रांतिकारियों ने उसे मार दिया।

जेल में अमानवीय यातना के बाद 12 जनवरी 1934 को तारेश्वर दस्तीदार के साथ सूर्य सेन को ब्रिटिश प्रशासन ने फांसी दे दी।साँचा:sfn

फ़िल्म रूपांतरों में

1949 में चटगांव शस्त्रागार छापे पर एक बंगाली फिल्म चट्टाग्राम आस्ट्रगर लुनथन बनाया गया था। निर्मल चौधरी द्वारा इसका निर्देशन किया गया था।

चटगांव शस्त्रागार हमले पर एक हिंदी फिल्म, खेलें हम जी जान से (2010) भी बनाई गई थी। इसे आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित किया गया था और मुख्य किरदार में अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण ने अभिनय किया था। यह मानिनी चटर्जी द्वारा लिखित डू एंड डाई: द चटगांव विद्रोह 1930-34 पुस्तक पर आधारित थी।

2010 में एक और फिल्म, चिट्टागोंग बनाई गई और अक्टूबर 2012 में प्रदर्शित की गई थी। यह नासा के एक पूर्व वैज्ञानिक डॉ. बेदब्राता पैन द्वारा निर्देशित किया गया था, उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए नासा से इस्तीफा दे दिया था। मनोज वाजपेयी मुख्य अभिनेता थे जिन्होंनेसूर्य सेन की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अन्य भूमिका में नजर आए।।

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

आगे पढ़े

  • चटर्जी, मानिनी (2000). डू एंड डाई: द चटगांव विद्रोह 1930-34, नई दिल्ली: पेंगुइन, ISBN 978-0-14-029067-7स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।.
  • भट्टाचार्य, मनोशी (2012). चटगांव: 1930 का ग्रीष्मकाल, नई दिल्ली: हार्परकोलिन्स, ISBN 9789350292129स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।.
  • मुखर्जी, पियुल और निवेदिता पटनायक (2016). द लास्ट ऑफ द रेबल्स, आनंद और उनके मास्टरदा। चटगांव विद्रोह के एक किशोर प्रत्यक्षदर्शी के जुबानी, कोलकाता, बुशफायर प्रकाशक और सूर्य सेन भवन, ISBN 978-8193182123स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

साँचा:navbox