गोदन्ती (हरताल) भस्म

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परिचय

यह अपने नाम से प्रसिद्ध है। बाजार में पत्रमय-शीला या पाशेदार टुकड़ों के रूप में यह मिलती है। औषधि में दोनों का प्रयोग होता है। मुंबई में इसे घापाण तथा दक्षिण भारत के सिद्ध संप्रदाय में इसे कर्पूर शिला एवं अंग्रेजी में से जिप्सम ( Gypsum) कहते हैं।

शोधन विधि

अच्छी गोदंती को गर्म पानी से धोकर साफ करके धूप में सुखाकर रख लें।

-सि. यो. सं.

गोदंती भस्म बनाने की विधि

जमीन में एक हाथ दे गहरा गड्ढा बना उसका चौथाई भाग कण्डो से भरकर उस पर गोदंती के टुकड़ों को अच्छी तरह बिछा दें और ऊपर कण्डो से शेष भाग को भरकर आँच दें। स्वांग शीतल होने पर कण्डों की राख को सावधानी से हटाकर गोदंती भस्म को निकाल चंदनादि अर्क (उत्तम चंदन का चूर्ण, मौसमी गुलाब तथा केवड़ा, वेदमुश्क का मौलसरी और कमल के फूल सबको एकत्र कर उसमें 8 गुना पानी डालकर भवके से आधा अर्क खींचे) इसमें या ग्वारपाठा (घृतकुमारी) के रस में घोंटकर टिकिया बना कर धूप में सुखाएं, जब टिकिया खूब सूख जाए तो सराब-संपुट में बंद कर लघुपुट में फूँक दें। यह स्वच्छ-सफेद और बहुत मुलायम भस्म तैयार होगी।

-सि. यो. सं.

दूसरी विधि

गोदंती के टुकड़ों के ऊपर-नीचे ग्वारपाठे का गुदा लगाकर हंडिया में रखकर गजपुट में पुट देने से एक-दो पुट में ही उत्तम भस्म बनकर तैयार हो जाती है।

गोदंती भस्म के गुण और उपयोग

1 - साधारणतः किसी भी प्रकार के ज्वर में ज्वर की गर्मी तथा दाह, प्यास, वमन (उल्टी), शिरोवेदना (सिर दर्द) आदि ज्वर के उपद्रवों को कम करने के लिए इसका उपयोग होता है। विषम ज्वर में जब तक ज्वर का वेग हो तभी तक इसका प्रयोग करना चाहिए। ज्वर वेग उतरने के बाद सप्तवर्णी वटी, महाज्वरांकुश रस आदि ज्वर के आगामी (होने वाले) वेग को रोकने वाली औषधियों का प्रयोग करें।

2 - महिलाओं के श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर में अशोकारिष्ट के साथ इसका सेवन कराने से बहुत अच्छा लाभ होता है।

3 - बच्चों के ज्वर सर्दी, खांसी, जुकाम, कब्ज तथा अजीर्णादि रोगों में यह विशेष लाभदायक है। मलेरिया के लिए तो यह बहुत प्रसिद्ध औषधि है।

4 - मलेरिया के अत्यधिक तापमान में गोदंती भस्म 2 रत्ती, फिटकरी भस्म 2 रत्ती, सफेद जीरे का चूर्ण 4 रत्ती तीनों को तुलसीपत्र रस (तुलसी के पत्तों का रस) और शहद में मिलाकर चटाने और ऊपर से सुदर्शन अर्क 5 तोला पिलाने से मलेरिया की गर्मी दूर हो जाती है।

5 - शीत जवर या पारी वाला बुखार होने पर गोदंती भस्म से 6 रत्ती में एक चावल संखिया भस्म मिला शहद के साथ दें, ऊपर से सुदर्शन चूर्ण का क्वाथ बनाकर अथवा सुदर्शन अर्क ही 5 तोला पिला देने स बहुत लाभ होता है।

6 - सिर दर्द होने पर 3 रत्ती गोदंती भस्म और एक माशा मिश्री तथा एक तोला गौ घृत सबको मिलाकर दिन में तीन बार देने से विशेष लाभ होता है।

7 - इसी प्रकार सूर्यावर्त्त (जो सूर्य के तेज बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है), अर्धावभेदक (अधकपारी) में सूर्योदय से एक घंटा पहले दो मात्रा गोदंती भस्म शहद के साथ देने से अवश्य लाभ होता है।

8 - यदि कफ दोष बढ़ने के कारण सिर में दर्द हुआ हो तो आधी रत्ती समीरपन्नग रस मिलाकर घी के साथ देना चाहिए।

9 - महिलाओं के श्वेत प्रदर में गोदंती भस्म 6 रत्ती और त्रिवंग भस्म एक रत्ती मिलाकर शर्बत बनप्सा या मधूकाद्यवलह के साथ देने से उत्तम लाभ होता है तथा रक्त प्रदर होने पर पूर्व मिश्रण सहित देकर ऊपर से अशोकारिष्ट या पत्रांगासव पिलाने से बहुत अधिक फायदा करती है।


संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह. श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं. 118