गिरिजा देवी
गिरिजा देवी | |
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पृष्ठभूमि की जानकारी | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
शैलियां | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत[१] |
सक्रिय वर्ष | 1949–2017 |
गिरिजा देवी (8 मई 1929 - 24 अक्टूबर 2017) सेनिया और बनारस घरानों की एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका थीं। वे शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत का गायन करतीं थीं। ठुमरी गायन को परिष्कृत करने तथा इसे लोकप्रिय बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। गिरिजा देवी को सन २०१६ में पद्म विभूषण एवं १९८९ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
प्रारंभिक जीवन
गिरिजा देवी का जन्म, 8 मई 1929 को, वाराणसी में एक भूमिहार जमींदार रामदेव राय[२], के घर हुआ था। उनके पिता हारमोनियम बजाया करते थे एवं उन्होंने गिरिजा देवी जी को संगीत सिखाया। कालांतर में इन्होंने, गायक और सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्रा,पांच साल की उम्र से,ख्याल और टप्पा गायन की शिक्षा लेना शुरू की। नौ वर्ष की आयु में, फिल्म याद रहे में ,अभिनय भी किया और अपने गुरु श्री चंद मिश्रा के सानिध्य में संगीत की विभिन्न शैलियों की पढ़ाई जारी रखी।[३][४]
88 वर्ष की उम्र में इनका कोलकाता में निधन हो गया।[५]
प्रदर्शन कैरियर
गिरिजा देवी ने गायन की सार्वजनिक शुरुआत,ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद पर, 1949 से की, 1946 में उनकी शादी हो गयी, लेकिन उन्हें अपनी मां और दादी से विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि यह परंपरागत रूप से माना जाता था कि कोई उच्च वर्ग की महिला को सार्वजनिक रूप से गायन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।[६] गिरिजा देवी ने दूसरों के लिए निजी तौर पर प्रदर्शन नहीं करने के लिए सहमती दी थी, लेकिन 1951 में बिहार में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम दिया [1] वे श्री चंद मिश्रा के साथ,1960 (मृत्यु पूर्व )के पूर्वार्ध तक,अध्ययनरत रही.[७][३] 1980 के दशक में कोलकाता में आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी और 1990 के दशक के दौरान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत संकाय के एक सदस्य के रूप में काम किया, और उन्होंने संगीत विरासत को संरक्षित करने के लिए कई छात्रों को पढ़ाया।
2009 के पूर्व वे अक्सर गायन के प्रदर्शन दौरे किया करती थी और २०१७ में भी उनका प्रदर्शन जारी था। देवी बनारस घराने [८]से गाती है और पूरबी आंग ठुमरी (जिसका दर्जा बढ़ने व तरक्की में मदद की )शैली परंपरा का प्रदर्शन करती है। उनके प्रदर्शनों की सूची अर्द्ध शास्त्रीय शैलियों कजरी, चैती और होली भी शामिल है और वह ख्याल, भारतीय लोक संगीत, और टप्पा भी गाती है।[३] [६][९]संगीत और संगीतकारों के न्यू ग्रोव शब्दकोश में कहा गया है कि गिरिजा देवी अपने गायन शैली में अर्द्ध शास्त्रीय गायन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाने के क्षेत्रीय विशेषताओं के साथ उसके शास्त्रीय प्रशिक्षण को जोड़ती है। गिरिजा देवी को ठुमरी की रानी के रूप में माना जाता है।[४] वह 'अलंकार संगीत स्कूल' के संस्थापक,श्रीमती ममता भार्गव, जिनके भारतीय शास्त्रीय संगीत स्कूल ने सैकड़ों मील की दूरी से छात्रों को आकर्षित किया है,की गुरु मानी जाती है।
चित्र दीर्घा
पुरस्कार[३][४]
- पद्म श्री (1972)
- पद्म भूषण (1989)
- पद्म विभूषण (2016)[१०]
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1977)
- संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (2010) [११]
- महा संगीत सम्मान पुरस्कार (2012) [१२]
- संगीत सम्मान पुरस्कार (डोवर लेन संगीत सम्मेलन)
- GIMA पुरस्कार 2012 (लाइफटाइम अचीवमेंट)
- Tanariri पुरस्कार
सन्दर्भ
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- ↑ अ आ साँचा:cite news
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- ↑ साँचा:cite book
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- ↑ साँचा:cite web
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