गिइज़ भाषा
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गिइज़ (ግዕዝ) अफ़्रीका के सींग में उत्तरी इथियोपिया और दक्षिणी एरिट्रिया के क्षेत्रों में उत्पन्न हुई एक प्राचीन सामी भाषा है। कभी यह अक्सुम राज्य और इथियोपिया के शाही दरबार की राजभाषा हुआ करती थी, लेकिन आधुनिक युग में इसका प्रयोग केवल कुछ क्षेत्रीय ईसाई और यहूदी समुदाय अपनी धार्मिक भाषा के रूप में करते हैं।[१]
नाम
"गिइज़" शब्द उच्चारित करते हुए ध्यान दें की यह "गिज़" या "गीज़" से भिन्न है। इसमें पहले "गि" बोलिए फिर "इज़" बोलिए, यानि इसका उच्चारण करते हुए ऐसा लगेगा की एक लम्बी "ई" के बीच में ठहराव डाला जा रहा है। इसे अंग्रेज़ी में "Ge'ez" लिखते हैं।
संज्ञाएँ
गिइज़ में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग होते हैं और अक्सर किसी शब्द के अंत में "त" जोड़ने से शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है:
- नगुश कबुर – अर्थ: महान राजा
- नगश्त कबर्त – अर्थ: महान रानी
अरबी जैसी अन्य सामी भाषाओँ की तरह बहुत से शब्दों की जड़ों को तीन व्यंजनों के साथ बनाया जाता है, जिनके बीच और आसपास स्वरों को बदलकर शब्दों का अर्थ बदला जाता है। इसका प्रयोग एकवचन से बहुवचन बनाने के लिए होता है:
- लब्स (कपड़ा) – आल्बास (कपड़े)
- फ़रस (घोड़ा) – आफ़रास (घोड़े)
- सम (नाम) – आसमात (एक से अधिक नाम)
- रअस (सिर) – अरअस्त (एक से अधिक सिर)
- बगअ (भेड़) – आबागअ (भेड़ें)
- अब (पिता) – आबव (एक से अधिक पिता)
- कोकब (तारा) - कवाकब्त (तारे)
ध्यान दीजिये कि हिन्दी में प्रयोग किये जाने वाले अरबी जैसी सामी भाषा के मूल के कुछ गिने-चुने शब्दों में भी यह देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए 'वजह' का अर्थ 'कारण' होता है और 'वजहुआत' का अर्थ 'एक से अधिक कारण' होता है। इसी तरह से एक व्यक्ति को आदर से 'हुज़ूर' कहते हैं लेकिन अनेक व्यक्तियों को 'हज़रात' कहते हैं।