कार्तिक कॉलिंग कार्तिक
कार्तिक कॉलिंग कार्तिक | |
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चित्र:कार्तिक कॉलिंग कार्तिक - फिल्म .jpg नाटक रिलिज पोस्टर | |
निर्देशक | विजय लालवानी |
निर्माता |
फरहान अख्तर रितेश सिधवानी |
पटकथा | विजय लालवानी |
अभिनेता |
फरहान अख्तर दीपिका पादुकोण राम कपूर शेफाली शाह विपिन शर्मा |
संगीतकार | शंकर-एहसान-लॉय |
छायाकार | सानु वर्गीस |
संपादक | आरती बजाज |
स्टूडियो | एक्सेल एंटरटेनमेंट |
वितरक | रिलायंस इंटरटेनमेंट |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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समय सीमा | 125 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कार्तिक कॉलिंग कार्तिक 2010 में प्रदर्शित मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है, यह फ़िल्म विजय लालवानी द्वारा लिखित है और एक्सेल एंटरटेनमेंट और रिलायंस इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी फ़िल्म के निर्माता फरहान अख्तर एवं रितेश सिधवानी हैं। फ़िल्म में फरहान अख्तर और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिका में हैं। राम कपूर और शेफाली शाह ने फ़िल्म में सहायक की भूमिका निभाई है। फ़िल्म का संगीत त्रिक-जोड़ी शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित है।
पटकथा
कार्तिक (फरहान अख्तर) बहुमुखी प्रतिभा का धनी है लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण एक निर्माण कंपनी में सामान्य नौकरी के साथ अपने आप को फंसा हुआ महसूस करता है। वह अपने बचपन की एक घटना से परेशान रहता है: उसका बड़ा भाई कुमार उसे यातनाएँ देता था और वह जब भी अपने माता-पिता से इसकी शिकायत करता था तो वो उसकी नहीं सुनते थे। कुमार एक दिन उसे कुए के पास ले जाता है और कुए के अन्दर धकेलने का प्रयास भी करता है लेकिन कार्तिक वहाँ से भाग निकलता है और कुमार कुएँ में गिर जाता है। तब से कार्तिक अपने आप को अपने भाई की मौत का जिम्मेदार मानता है।
शोनाली मुखर्जी (दीपिका पादुकोण) उसी कंपनी में कार्तिक की सहकर्मी है, जिसे कार्तिक दिल ही दिल में बहुत चाहता है यद्दपि शोनाली के लिए कार्तिक की भावनाएँ तो दूर वह तो उसके सहकर्मी होने से भी अनभिज्ञ है। कार्तिक कई बार अपने बॉस से डांट खाने के बाद सोचता है कि उसे जीवन में कोई सफलता नहीं मिलेगी एवं अन्ततः वह आत्महत्या करने का निर्णय लेता है। जब वह आत्महत्या करने ही वाला था कि किसी अजनबी का फोन आता है जिसकी आवाज भी कार्तिक के समान ही है और वो कहता है कि उसका नाम भी कार्तिक है। वह यक़ीन दिलाते हुए कहता है कि वो उसके जीवन में खुशियाँ लाने में सक्षम है। इस तरह ये फोन कार्तिक के जीवन के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं। वो हमेशा सुबह 5:00 बजे ये फोन सुनता है एवं यह फोन उसे उसकी उलझनों का निदान बताती है, उसे सफल पुरुष बनने के लिए मार्ग सुझाती है, शोनाली का दिल जीत लेता है और विरान जिन्दगी को रंगीन बनाता है।
मगर, जब कार्तिक ये बातें शोनाली और अपनी मनोचिकित्सक को इन फोनों के बारे में मनाही के बावजूद बताता है तो रहस्यमय फ़ोन करने वाला क्रोधित हो जाता है और कार्तिक को बताता है कि यदि वह उसे ऊपर उठा सकता है तो नीचे भी गीरा सकता है। इन शब्दों के अनुसार ही कार्तिक का जीवन उतार पर आने लगता है। उसका बॉस उसे निकाल देता है, शोनाली भी उसे छोड़ देती है। कार्तिक निर्णय लेता है कि यदि वह कहीं दूर चला जायेगा तो फोन करने वाले को पता नहीं चलेगा कि वह कहाँ चला गया है एवं वह फोन करना बंद कर देगा। कार्तिक एक अज्ञात स्थान पर जाता है एवं एक छोटे होटल में पनाह लेता है तथा हॉटल के स्वागतकर्त्ता से उसके मकान की कमरा संख्या संबंधित प्लैट एवं फ़ोन को हटाने के लिए कहता है।
कुछ माह पश्चात कार्तिक एक शिष्ट नौकरी के साथ कोच्चि में कुशलता से रह रहा है। उसका जीवन पटरी पर आ जाता है केवल उसने अपने कार्यलय अथवा घर में फ़ोन रखना बंद कर दिया। अपने बॉस के अनुरोध पर, उसे मजबूरन एक लैंडलाइन फ़ोन क्रय करना पड़ता है। वह यह सुनिश्चित करने के लिए इस हद तक जाता है कि वह अपना नम्बर स्वयं नहीं जानता। यद्यपि एक दिन सुबह 05:00 बजे रहस्यमय फ़ोनकरने वाले का फ़ोन प्राप्त होता है जिसमें उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है। इसी बीच शोनाली, डॉ॰ कपाड़िया से सम्पर्क करती है जो पहेली का हल खोज चुकी है: कार्तिक मानसिक रोग सिज़ोफ्रेनिया जिसे मनोविदालिता भी कहते हैं, का शिकार है। उसके दो रूप हैं जिनमें से एक उन्हें कार्य के लिए मुखर करता है और सलाह देता है। इसे पूरे वृतांत में फ़ोन करने वाला स्वयं कार्तिक ही था। वह इस समस्या से अपनी युवा अवस्था से ही गुजर चुका है जब उसने कुमार नामक नकली भाई बनाया था। कार्तिक का फ़ोन यह क्षमता रखता है कि उसमें अपना संदेश अभिलिखित कर दो जो निश्चित समय के बाद आपको ही सुना देगा। कार्तिक रात के समय कभी जगता होगा और अपने द्वितीय रूप में फ़ोन में अपना संदेश अभिलिखित करके सो जाता होगा, जहाँ सुबह ०५:०० बजे वह फिर उठता था और अपना ही फ़ोन सुनता था।
फलतः कार्तिक विक्षुब्ध हो जाता है कि पुनः आत्महत्या का प्रयास करता है। शोनाली को सच्चाई का पता चल जाता है और उसे बचाने के लिए सही समय पर पहुंच जाती है। वो दोनों मिलते हैं और शोनाली इस स्थिति में उसकी मदद करती है। कुछ माह बाद कार्तिक मानसिक रोग से मुक्ति पाने की प्रक्रिया में होता है और शोनाली के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगता है।
कलाकार
- फरहान अख्तर - कार्तिक
- दीपिका पादुकोण - शोनाली मुखर्जी
- राम कपूर - मिस्टर कामठ
- शेफाली शाह - मिसेज कपाड़िया
- विवन भटेना - आशिश
- विपिन शर्मा - कार्तिक का मकान मालिक
- यतिन करयेकर
- शेफाली शाह - डॉ॰ श्वेता कपाड़िया
- सिद्धार्थ गुप्ता - जवान कार्तिक
- स्वप्नील देसाई - यंग कुमार
- कंचन पगारे - एसीएल कार्यालय में चपरासी
- हांसा - एसीएल कार्यालय में सचिव
- अभय जोशी - फोन विक्रेता मुम्बई
- बृजेंद्र काला - टेलीफोन एक्सचेंज क्लर्क
संगीत
कार्तिक कॉलिंग कार्तिक | ||||
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ध्वनि-पट्टी शंकर-एहसान-लॉय द्वारा | ||||
जारी | 26 फ़रवरी 2010 | |||
संगीत शैली | फीचर फिल्म साउंडट्रैक | |||
लेबल | टी-सीरिज | |||
निर्माता | फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी | |||
शंकर-एहसान-लॉय कालक्रम | ||||
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गीत सूची
क्र॰सं॰ # | गीत | गायक | लम्बाई |
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1 | "हे या!" | क्लिंटन सरेजो, शंकर महादेवन, लॉय मेंडोंसा | 4:17 |
2 | "उफ़! तेरी अदा" | शंकर महादेवन & एलिसा मेंडोंसा | 5:06 |
3 | "जाने ये क्या हुआ" | केके | 4:10 |
4 | "कैसी है ये उदासी" | कैलाश खेर & सुकन्या पुरयास्था | 6:07 |
5 | "कार्तिक कॉलिंग कार्तिक" | सुरज जगन, शंकर महादेवन, कारालिसा मोन्तेइरो, मलिका सिंह | 3:11 |
6 | "कार्तिक 2.0" | मिडइवल पुन्दित्ज़, कर्ष काले | 4:15 |
7 | "कार्तिक कॉलिंग कार्तिक (थीम रिमिक्स)" | सुरज जगन, शंकर महादेवन, कारालिसा मोन्तेइरो, मलिका सिंह (मिडिवल पुन्दित्ज़ & कर्ष काले द्वारा रिमिक्स) | 3:11 |
8 | "हे या! (रिमिक्स)" | क्लिंटन सरेजो, शंकर महादेवन, लॉय मेंडोंसा (Remixed by Digital Boyz) | 5:17 |
9 | "उफ़! तेरी अदा (रिमिक्स)" | एलिसा मेंडोंसा, शंकर महादेवन (Remixed by Udyan Sagar of Nucleya) | 4:06 |
पुरस्कार और नामकरण
- 2011 जी सिने अवार्ड
नामित[१]
- सर्वश्रेष्ठ संगीत - शंकर-एहसान-लॉय
नामित[२]
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक - शंकर महादेवन
नामित[३]
- सर्वश्रेष्ठ संगीत -शंकर-एहसान-लॉय