एरियल शेरॉन

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एरियल शेरॉन
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Ariel Sharon, by Jim Wallace (Smithsonian Institution).jpg
शेरॉन इजराइली विदेश मंत्री के रूप में बोलते हुए , 1998

पद बहाल
7 मार्च 2001 – 14 अप्रैल 2006*
राष्ट्रपति मोशे कत्सव
सहायक एहुद ओलमर्ट
पूर्वा धिकारी एहुद बराक
उत्तरा धिकारी एहुद ओलमर्ट

विदेश मंत्री
पद बहाल
13 अक्टूबर 1998 – 6 जून 1999
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू
पूर्वा धिकारी डेविड लेवी
उत्तरा धिकारी डेविड लेवी

ऊर्जा और जल संसाधन मंत्री
पद बहाल
8 जुलाई 1996 – 6 जुलाई 1999
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू

आवास और निर्माण मंत्री
पद बहाल
11 जून 1990 – 13 जुलाई 1992
पूर्वा धिकारी डेविड लेवी

उद्योग, व्यापार और श्रम मंत्री
पद बहाल
13 सितम्बर 1984 – 20 फ़रवरी 1990

रक्षा मंत्री
पद बहाल
5 अगस्त 1981 – 14 फ़रवरी 1983

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
जन्म का नाम एरियल शाईनरमेन
राजनीतिक दल कदीमा
जीवन संगी मार्गालिट शेरॉन (मृ 1962);
लिली शेरॉन (मृ 2000)
बच्चे 3
पेशा सेना अधिकारी
धर्म यहूदी धर्म
हस्ताक्षर
सैन्य सेवा
निष्ठा साँचा:flagu
सेवा काल 1948–74
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एरियल शेरॉन (साँचा:lang-he, साँचा:transl) (26 फ़रवरी 1928 – 11 जनवरी 2014) इजरायल के राजनेता तथा जनरल थे। वे इसरायल के ११वें प्रधानमंत्री रहे। वे 'बुलडोज़र' के नाम से जाने जाते थे। अरियल शेरॉन 1948 में इसराइल के गठन के बाद हुए सभी युद्धों में शामिल रहे थे और कई इसराइली उन्हें एक महान सैन्य नेता मानते हैं। दूसरी ओर फ़लस्तीनियों की राय उनके बारे में अच्छी नहीं थी।

प्रारंभिक जीवन

शेरॉन का जन्म 26 फ़रवरी 1928 को कफर मलाल (Kfar Malal) में हुआ था। उनके माता-पिता बेलारूसी यहूदी थे।

राजनीतिक एवं सैन्य कैरियर

वर्ष 1967 और 1973 के युद्ध में शेरॉन ने जिस डिवीज़न की अगुवाई की, उसने इसराइल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1982 में रक्षा मंत्री रहते हुए लेबनान पर हमले की योजना बनाई, जहां से फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन के जरिए इसराइल पर गोलाबारी की जा रही थी। आक्रमण के दौरान लेबनान के ईसाई सैनिकों ने इसराइल के साथ मिलकर इसराइल के नियंत्रण वाले बेरूत शरणार्थी शिविर में सैकड़ों फ़लस्तीनियों को मारा।

बाद में इसराइल ने इस घटना की जांच के आदेश दिए। इस दौरान शेरॉन ने इस जनसंहार की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली। इसके बावजूद वह 18 साल बाद प्रधानमंत्री बने और उन्होंने सुरक्षा और सच्ची शांति हासिल करने की शपथ ली और इस ध्येय के लिए दूसरा दौरा पड़ने तक काम करते रहे। शेरॉन अधिग्रहीत फ़लीस्तीनी क्षेत्र में यहूदी बस्तियों के निर्माण को बढ़ावा देने के इच्छुक थे। उन्होंने विवादित पश्चिमी तट घेरे के निर्माण की शुरुआत भी की। लेकिन 2005 में इसराइल में उग्र विरोध के बावजूद उन्होंने ग़ज़ा पट्टी से इसराइली सैनिकों को वापस बुलाने की एकतरफा घोषणा कर दी।

प्रमुख युद्धों में उनके योगदान के लिए अनेक इस्राइली उन्हें 'मिस्टर सिक्यॉरिटी' कहते रहे हैं, जबकि अरब जगत में वह 'साबरा और शातिला के कसाई' के नाम से बदनाम थे। उल्लेखनीय है कि 1982 में रक्षा मंत्री रहते हुए शेरॉन ने लेबनान पर इस्राइली हमले का खाका तैयार किया था। इस हमले में इस्राइल समर्थित लेबनानी ईसाई मिलिशिया ने इस्राइली नियंत्रण वाले बेरूत के दो शरणार्थी शिविरों (साबरा और शातिला) में सैकड़ों फलस्तीनियों का कत्लेआम किया था।

शेरॉन को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने भारत और इजरायल के बीच मामूली रक्षा और व्यापार सहयोग को सामरिक रिश्तों में बदल दिया। भारत और इस्राइल के बीच 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद भारत की यात्रा करने वाले वे पहले इस्राइली प्रधानमंत्री थे। करगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सेनाओं के सामरिक पहाड़ियों पर कब्जा करने के बाद, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो इस्राइल ने न सिर्फ अपने शस्त्रागार के दरवाजे भारत के लिए खोल दिए, बल्कि अपने सैन्य उपग्रहों से कुछ महत्वपूर्ण चित्र भी मुहैया कराए। शेरॉन को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को आज के सामरिक रिश्तों के दौर तक पहुंचाया, जिसमें मिसाइल सुरक्षा से लेकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में दोनो देश सहयोग कर रहे हैं।

शेरॉन 2001 में इसराइल के प्रधानमंत्री बने और वह 2006 में दिल का दौरा पड़ने तक वो इस पद पर बने रहे। दिल का दौरा पड़ने से वो कोमा में चले गये।[१]

मृत्यु

कोमा में आठ साल बिताने के बाद, शेरॉन का 11 जनवरी 2014 को, स्थानीय समय 14:00 बजे (12:00 यूटीसी) पर निधन हो गया।[२][३][४]

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ