एक्रक्स तारा
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| प्रेक्षण तथ्य युग J2000 विषुव J2000 | |
|---|---|
| तारामंडल | त्रिशंकु तारामंडल |
| दायाँ आरोहण | 12h 26m 35.89522s[१] |
| झुकाव | −63° 05′ 56.7343″[१] |
| सापेक्ष कांतिमान (V) | 0.76[२] (1.33 + 1.75)[३] |
| विशेषताएँ | |
| तारकीय श्रेणी | B0.5IV + B1V[४] |
| B−V रंग सूचक | −0.26[२] |
| खगोलमिति | |
| रेडियल वेग (Rv) | −11.2 / −0.6[५] किमी/सै |
| विशेष चाल (μ) | दाआ.: −35.83[१] मिआसै/वर्ष झु.: −14.86[१] मिआसै/वर्ष |
| लंबन (π) | 10.13 ± 0.50[१] मिआसै |
| दूरी | साँचा:rnd ± साँचा:rnd प्रव (साँचा:rnd ± साँचा:rnd पार) |
| निरपेक्ष कांतिमान (MV) | −3.77[६] साँचा:nowrap |
| कक्षा[७] | |
| साथी | α Crucis Ab |
| अवधि (P) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "val" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
| विकेन्द्रता (e) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "val" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
| मन्द युग (T) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "val" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
| उपमन्द कोणांक (ω) (साथी) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "val" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।° |
| अर्ध-आयाम (K1) (मुख्य) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "val" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। किमी/सै |
| विवरण | |
| α1 | |
| द्रव्यमान | 17.80 + 6.05[३] M☉ |
| तेजस्विता | 25,000[८] L☉ |
| तापमान | 24,000[९] K |
| घूर्णन गति (v sin i) | 120[९] किमी/सै |
| α2 | |
| द्रव्यमान | 15.52[३] M☉ |
| चमकीलापन | 16,000[८] L☉ |
| तापमान | 28,000[९] K |
| घूर्णन गति (v sin i) | 200[९] km/s |
| अन्य नाम | |
| डेटाबेस संदर्भ | |
| सिम्बाद | data |
एक्रक्स, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा क्रूसिस" (α Crucis या α Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 321 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक्रक्स वास्तव में एक बहु तारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है।[१०]
विवरण
एक्रक्स मंडल के मुख्य तारे इस प्रकार हैं -
- α1 क्रूसिस - यह B श्रेणी का बहुत गरम तारा है और इसका सतही तापमान 28,000 कैल्विन है। इसकी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) सूरज की चमक से 25,000 गुना है। वास्तव में यह एक द्वितारा है, जिसके एक तारे का द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का 14 गुना है और दूसरे का 10 गुना है। वैज्ञानिकों का मानना है के बड़े वाले तारे की आयु पूरी होने पर वह महानोवा (सुपरनोवा) बन कर फट जाएगा जबकि छोटा वाला सफ़ेद बौना बन जाएगा।
- α2 क्रूसिस - यह भी एक B श्रेणी का बहुत गरम तारा है और इसका सतही तापमान 26,000 कैल्विन है। इसकी चमक सूरज की चमक से 16,000 गुना है। इसके बारे में भी वैज्ञानिकों का अनुमान है के अपनी आयु पूरी होने पर यह महानोवा बन कर फट जाएगा।
- α3 क्रूसिस - यह एक B4 श्रेणी का उपदानव तारा है। इसकी स्थिति को लेकर वैज्ञानिक असमंजस में हैं - या तो यह अपनी श्रेणी के हिसाब से धुंधला तारा है जो वास्तव में ही α1 और α2 तारों के पास है या फिर यह सिर्फ़ इनके पास लगने वाला दोहरा तारा है जो असल में पृथ्वी से 640 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।