उदयगिरि गुफाएँ

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
उदयगिरि गुफाएँ
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
गुफा क्रमांक-५ में विष्णु के वाराह अवतार का चित्रण
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतासाँचा:br separated entries
देवताविष्णु, शक्ति, शिव, पार्श्वनाथ, एवं अन्य देवता
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसाँचा:if empty
ज़िलाविदिशा जिला
राज्यमध्य प्रदेश
देशभारत
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 408 पर: Malformed coordinates value।
भौगोलिक निर्देशांकसाँचा:coord
वास्तु विवरण
शैलीगुप्त शैली
निर्मातासाँचा:if empty
निर्माण पूर्णc. 250-410 CEसाँचा:citation needed
ध्वंससाँचा:ifempty
साँचा:designation/divbox
साँचा:designation/divbox

साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other

गुफा क्रमांक-५ में वाराह अवतार के पास ही समुद्र देव का चित्रण है।[१]

उदयगिरि की गुफाएँ, मध्य प्रदेश के विदिशा के निकट स्थित २० गुफाएँ हैं। ये गुफाएँ ५वीं शताब्दी (ईशा पश्चात) के आरम्भिक काल की हैं और शिलाओं को काटकर बनायी गयीं हैं।[२][३] इन गुफाओं में भारत के कुछ प्राचीनतम हिन्दू मन्दिर और चित्र सुरक्षित हैं।[२][४][५] इन गुफाओं में स्थित शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ये गुफाएँ गुप्त नरेशों द्वारा निर्मित करायीं गयीं थी। [६] उदयगिरि की ये गुफाएँ भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल हैं और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक हैं।

विदिशा से वैसनगर होते हुए उदयगिरि पहुँचा जा सकता है। नदी से यह गिरि लगभग १ मील की दूरी पर है। पहाड़ी के पूरब की तरफ पत्थरों को काटकर गुफाएँ बनाई गई हैं। प्रस्तर की कटाई कर छोटे-छोटे कमरों के रुप में गुफाओं को बनाया गया है, साथ-ही-साथ मूर्तियाँ भी उत्कीर्ण कर दी गई हैं। उदयगिरि में कुल २० गुफाएँ हैं। इनमें से कुछ गुफाएँ ४वीं-५वीं सदी से सम्बद्ध हैं। गुफा संख्या १ तथा २० को जैन गुफा माना जाता है।

इन गुफाओं में प्रस्तर-मूर्तियों के अतित्व के प्रमाण मिलते हैं लेकिन वर्तमान में इन गुफाओं में से अधिकांश मूर्ति-विहीन गुफाएँ रह गई हैं। ऐसा यहाँ पाये जाने वाले स्थानीय पत्थर के कारण हुआ है। पत्थर के नरम होने के कारण खुदाई का काम आसान था, लेकिन साथ-ही-साथ यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है। उत्खनन से प्राप्त ध्वंसावशेष अपनी अलग कहानी कहते हैं।

उदयगिरि को पहले "नीचैगिरि" के नाम से जाना जाता था। कालिदास ने भी इसे इसी नाम से संबोधित किया है। १०वीं शताब्दी में जब विदिशा, धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया।[७]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite book
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; dass25 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. Fred Kleiner (2012), Gardner’s Art through the Ages: A Global History, Cengage, ISBN 978-0495915423स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, page 434
  5. Margaret Prosser Allen (1992), Ornament in Indian Architecture, University of Delaware Press, ISBN 978-0874133998स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, pages 128-129
  6. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Harle1974p7 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  7. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ