उच्चायुक्त (राष्ट्रमंडल)

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राष्ट्रमंडल देशों में, उच्चायुक्त किसी दूसरे राष्ट्रमंडल देश की सरकार के राजनयिक मिशन का वरिष्ठ राजनयिक प्रभारी होता है। राष्ट्रमंडल देशों के बीच के राजनयिक मिशनों को दूतावास के बजाय, आमतौर पर उच्चायोग कहा जाता है। हालांकि किसी उच्चायुक्त की भूमिका किसी राजदूत के समान ही होती है।[१]

इतिहास व उत्पत्ति

इन्हें भी देखें: ब्रिटिश साम्राज्य

ब्रिटिश साम्राज्य में, किसी संरक्षित प्रदेश या ऐसे किसी ऐसे प्रदेश पे, जो पूरी तरह से ब्रिटिश राजमुकुट की संप्रभुता के तहत नहीं आते थे, उनमे ब्रिटिश सरकार के दूत के तौरपर भेज जाता था। जबकि किसी ब्रिटिश उपनिवेश को सामान्यतः एक गवर्नर द्वारा प्रशासित किया जाता था। तथा सबसे महत्वपूर्ण प्रदेशों, बड़े संघ और स्वशासित डोमिनियनों को एक गवर्नर-जनरल के नेतृत्व में रखा जाता था।

एक उच्चायुक्त को विऔपनिवेशीकरण के अंतिम चरण का प्रभार भी दिया जा सकता था। उदाहरण की लिए सेशेल्स की क्राउन कॉलोनी में, अंतिम गवर्नर को 1975 में उच्चायुक्त बनाया गया था, जब सेशेल्स को स्व-शासन की अनुमति दी गई थी, 1976 तक, जब वह कॉमनवेल्थ के भीतर एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया।

परिचय

राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के बीच राजनयिक मिशनों को दूतावास नहीं कहकर उच्चायोग कहा जाता है, क्योंकि राष्ट्रमंडल देश के बीच एक विशेष राजनयिक संबंध होता है जिसके वजह से आम तौरपर यह उम्मीद की जाती है कि किसी गैर-राष्ट्रमंडल देश में किसी भी राष्ट्रमंडल देश का दूतावास सभी अन्य राष्ट्रमंडल देशों के नागरिकों को राजनयिक सेवाएं प्रदान करने की पूरी कोशिश करेगा, भले ही उस व्यक्ति के देश का दूतावास वहां नहीं हो। इस लिहाज़ से कनाडा-ऑस्ट्रेलिया कॉन्सुलर सर्विसेज शेयरिंग एग्रीमेंट में उल्लिखित कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक अपनी संबंधित कांसुलर सेवाओं के बीच और भी अधिक सहयोग का आनंद ले सकते हैं।[२]

चूंकि सोलह राष्ट्रमंडल देशों (जिन्हें राष्ट्रमंडल प्रजाभूमि के रूप में जाना जाता है) में एक ही राष्ट्रप्रमुख होता है (वर्तमान में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय), अतः इन देशों के बीच राजनयिक संबंध परंपरागत रूप से सरकारी स्तर पर ही होते हैं, नकी राजकीय स्तर पर।[३] हालाँकि उच्चायुक्त को किसी राजदूत के पद और भूमिका के बराबर माना जाता है।

किसी राष्ट्रमंडल प्रदेश से दूसरे राष्ट्रमंडल प्रदेश के उच्चायुक्त, उस देश के शासनप्रमुख (प्रधान मंत्री) के लिए एक साधारण (और अक्सर अनौपचारिक) पत्र पेश करते हैं, जबकि किसी देश के राजदूत अपने राष्ट्रप्रमुख द्वारा प्रमाणित एक औपचारिक साख पत्र को मेज़बान देश के राष्ट्रप्रमुख को पेश करते हैं।

दीर्घ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. The Post of High Commissioner स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, The Monarchist, THURSDAY, 22 May 2008.
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