इज़्ज़त (1968 फ़िल्म)
इज़्ज़त | |
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चित्र:इज़्ज़त (1968).jpg इज़्ज़त का पोस्टर | |
निर्देशक | टी॰ प्रकाश राव |
निर्माता | ऍफ़॰ सी॰ मेहरा |
लेखक | राजिन्दर सिंह बेदी[१] |
अभिनेता |
धर्मेन्द्र, तनुजा, जयललिता, बलराज साहनी, महमूद |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 1968 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
इज़्ज़त 1968 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन टी॰ प्रकाश राव द्वारा किया गया है। इसमें धर्मेन्द्र, तनुजा एवं जयललिता प्रमुख भूमिका में हैं।[२] "ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं" इस फ़िल्म का प्रसिद्ध गीत है।[३] यह जयललिता की एकमात्र हिन्दी फ़िल्म है।[४]
संक्षेप
अपना कॉलेज पूरा करने के बाद काले रंग का आदिवासी शेखर (धर्मेन्द्र) घर लौटता है। उसे पता चलता है कि उसकी मां सावली का निधन हो गया है। परेशान होकर, वह फ़ादर अब्राहम के पास जाता है जो उसे यह बताता है कि उसकी माँ का रामगढ़ के धनी ठाकुर प्रताप सिंह (बलराज साहनी) के साथ संबंध था। उसने उसे गर्भवती कारण के बाद भी उससे शादी करने से इनकार कर दिया था। शेखर अपने अपमान का बदला लेने का फैसला करता है और ठाकुर को बेनकाब करने के लिए निकल पड़ता है।
रामगढ़ पहुंचने पर, वह पाता है कि उसका सौतेला भाई, दिलीप और साथ ही एक बहन, नीलू है। दिलीप उससे मिलता है और उसे कर्मचारी के रूप में काम पर रखता है। वह उसे अमीर विनोदबाबू की इकलौती बेटी दीपा से दीलिप के रूप में मिलने के लिए कहता है। शेखर ऐसा करने के लिए सहमत हो जाता है। शेखर दीपा से मिलता है और दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। शेखर उसे अपने बारे में सच बताने का फैसला करता है और रामगढ़ लौट जाता है। एक बार वहां पहुँच कर, वह इतिहास को दोहराता हुआ पाता है क्योंकि दिलीप आदिवासी लड़की झुमकी (जयललिता) से प्यार करता है लेकिन उससे शादी करने से इंकार कर रहा है।
मुख्य कलाकार
- धर्मेन्द्र — शेखर / दिलीप सिंह
- तनुजा — दीपा
- जयललिता[५] — झुमकी
- बलराज साहनी — ठाकुर प्रताप सिंह
- महमूद — महेश
- मनमोहन कृष्ण — फ़ादर इब्राहिम
- डेविड अब्राहम — विनोदबाबू
- मुकरी — रोंदू
- लक्ष्मी छाया — गंगी
संगीत
सभी गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "रुक जा ज़रा किधर को चला" | लता मंगेश्कर | 4:39 |
2. | "सर पर लम्बा टोप लेके" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 5:41 |
3. | "जागी बदन में ज्वाला" | लता मंगेशकर | 5:51 |
4. | "कह गए फ़ादर इब्राहिम" | मन्ना डे | 4:04 |
5. | "प्यार के बुखार को उतार" | मन्ना डे | 4:23 |
6. | "ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं" | लता मंगेश्कर, मोहम्मद रफ़ी | 5:51 |
7. | "क्या मिलिये ऐसे लोगों से" | मोहम्मद रफ़ी | 5:39 |