इंक़लाब ज़िन्दाबाद

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इंक़लाब ज़िन्दाबाद (नस्तालीक़: اِنقلاب زِنده باد ‎, पंजाबी: ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ) हिन्दुस्तानी भाषा का नारा है, जिसका अर्थ है 'क्रांति की जय हो'। यह नारा उर्दू कवि मौलाना हसरत मोहानी के द्वारा 1921 में दिया गयारवतत।जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े हुए थे।इस नारे को भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रेल 1929 को एक आवाज़ी बम फोड़ते वक़्त बुलंद किया जिसने इसे लोकप्रिय बनाया। ।।[१] और इस नारे ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों को और विशेष रूप से अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को प्रेरित किया। स्वतंत्रता आंदोलन के तारीख़वार भारतीय राजनीतिक उपन्यासों में, स्वतंत्रता समर्थक भावना अक्सर इस नारे को लगाने वाले पात्रों की विशेषता है।[२]

भगत सिंह व साथी अन्य क्रांतिकारी अपनी आखरी सांस तक इंक़लाब ज़िंदाबाद का नारा लगाते रहे। == सन्दर्भ ==

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