आरएलवी टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
RLV-TD
RLV-TD (पैमाना प्रतिरूप)
RLV-TD (पैमाना प्रतिरूप)
कार्य प्रौद्योगिकी प्रदर्शन यान
निर्माता इसरो
मूल देश साँचा:flag/core
आकार
ऊंचाई 9 मी० राकेट
6.5 मी० (शटल)[१][२] [३]
व्यास 1 मी० [३]
द्रव्यमान 11 टन
1.75 टन (शटल) [१][२][४]
चरण 2[३]
लॉन्च इतिहास
वर्तमान स्थिति प्रोटोटाइप्स का परीक्षण[५]
लॉन्च स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
प्रथम उड़ान सुबह 7 बजे (आईएसटी), 23 मई 2016[६]

[७][८][९][१०]

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम, रीयूज़ेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंसट्रेटर प्रोग्राम, या RLV-TD, भारत का प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जो टू स्टेज टू ऑर्बिट (TSTO) को समझने व पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन की दिशा में पहले कदम के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा नियोजित प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (टेक्नोलॉजी डीमॉन्सट्रेशन) की एक श्रृंखला है।

इस प्रयोजन के लिए, एक पंख युक्त पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (RLV-TD) बनाया गया। RLV-TD संचालित क्रूज उड़ान, हाइपरसॉनिक उड़ान, और स्वायत्त (ऑटोनॉमस) लैंडिंग, वायु श्वसन प्रणोदन (एयर ब्रीदिंग प्रपलशन) जैसे विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के रूप में कार्य करेगा। इन प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से लांच लागत में काफी कमी आएगी।[४]

वर्तमान में ऐसे स्पेस शटल बनाने वाले देशों में सिर्फ़ अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान हैं। चीन ने इस प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया है।[६]

विकास

यह पुनर्पयोगी यान (बार-बार प्रयोग किया जा सकने वाला) पूरी तरह से भारत में बना है।[६] यह यान अंतरिक्ष यान को कक्षा में छोड़कर एक वायुयान की तरह वापस आने लायक बनाया गया है।[६] एक स्पोर्ट यूटिलिटी यान (एसयूवी) जैसा दिखने वाला यह स्पेस शटल अपने असली आकार से छह गुना छोटा है। परीक्षण के बाद इसको पूरी तरह से तैयार करने में 10 से 15 साल लग सकते हैं।[६]

वर्ष 2006 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने मैक 6 की इनलेट के साथ लगभग 7 सेकंड के लिए स्थिर सुपरसोनिक कम्बशन प्रदर्शित करने के लिए जमीन परीक्षणों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया। [११]

मार्च 2010 में, इसरो ने अपने नए रॉकेट की उड़ान परीक्षण का आयोजन किया। उन्नत प्रौद्योगिकी वाहन ( एडवांस टेक्नोलॉजी यान, एटीवी-D01), लिफ्ट के समय 3 टन वजनी, 0.56 मीटर के व्यास, और ~ 10 मीटर लंबाई का रॉकेट, वायु श्वासन प्रणोदन प्रौद्योगिकी (एयर ब्रीदिंग कम्बशन टेक्नोलॉजी) के प्रदर्शन के लिए परीक्षण आधार रूप में एक पैसिव स्क्रेमजेट इंजन कम्बस्टर मॉड्यूल को ले गया।[१२]

परीक्षण उड़ानें

इसरो ने RLV-TD की कुल चार परीक्षण उड़ानें अभिकल्पित हैं। [१३][१४][५]

  • (१) HEX (हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग) - 0400 UTC, 23 मई 2016 (योजनाबद्ध)[८][१५][९][१०]
  • (२) LEX (अवतरण प्रयोग/Landing Experiment)
  • (३) REX (वापसी उड़ान का प्रयोग)
  • (४) SPEX (स्क्रैमजेट प्रप्लशन प्रयोग)

लॉन्च

इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 7 बजे (आईएसटी) लॉन्च किया गया।[६] RLV-TD की यह उड़ान हाइपरसोनिक परीक्षण उड़ान थी। इसकी स्पीड 5 मैक (आवाज़ से 5 गुना ज्यादा) थी। इसके द्वारा शटल को अंतरिक्ष में 70 किमी ऊपर ले जाया गया। शटल को स्थापित कर यान 180 डिग्री मुड़कर वापस आ गया। [६] ये RLV-TD को 70 किमी तक ले गई। इसके बाद इसे बंगाल की खाड़ी में इसकी स्थिति का पता करा लिया गया व जहाजों, उपग्रहों और राडार से इस पर नजर रखी गई।[६]

लैंडिंग

ध्वनि की गति से 5 गुना ज्यादा गति होने के कारण लैंडिंग के लिए 5 किमी से लंबा रनवे जरूरी था। इसलिए इसे जमीन पर नहीं उतारा गया। पहली बार शटल को लॉन्च करने के बाद यान को बंगाल की खाड़ी में समुद्र तट से 500 किमी दूर बने वर्चुअल रनवे पर लौटाने का फैसला किया गया। [६]

लाभ

इस माध्यम से उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने की कीमत 2000 डॉलर/किलो (1.32 लाख/किलो) तक कम हो जाएगी। इस यान को मानव अभियान में भविष्य में इस्तेमाल किया जायेगा।[६]

प्रतिक्रिया

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "भारत के पहले स्वदेशी अंतरिक्ष शटल RLV-TD का लॉन्च हमारे वैज्ञानिकों के मेहनती प्रयासों का परिणाम है। उन्हें बधाई।" साथ ही कहा, "जिस गतिशीलता और समर्पण के साथ हमारे वैज्ञानिकों और इसरो ने सालों से काम किया है वह असाधारण और बहुत ही प्रेरणादायक है।"[१६]
  • राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ट्वीट किया और कहा, "भारत की पहली स्वदेशी अंतरिक्ष शटल RLV-TD के सफल प्रक्षेपण पर इसरो में हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई।

[१]

  • उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ट्वीट में कहा, "मैं RLV-TD के सफल परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों, इंजीनियरों व अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तकनीशियनों को मेरी बधाई प्रस्तुत करता हूँ।"[१]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  2. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  3. इस तक ऊपर जायें: स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite web
  5. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  6. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  7. साँचा:cite news
  8. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  9. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  10. इस तक ऊपर जायें: साँचा:cite news
  11. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  12. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  13. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  14. साँचा:cite web
  15. साँचा:cite news
  16. नरेंद्र मोदी ट्विटर पर

बाहरी कड़ियाँ