आइएनएस किलतान
आइएनएस किलतान कमीशन समारोह
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इतिहास | |
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नाम: | आइएनएस किलतान |
नाम: | किलतान द्वीप |
बिल्डर: | |
निर्माणारंभ: |
10 अगस्त 2010 |
जलावतरण: |
26 मार्च 2013 |
कमीशन: |
16 अक्टूबर 2017 |
मुख्य विशेषताएं | |
वर्ग और प्रकार: | कमोर्ता श्रेणी कार्वेट(लघु युद्धपोत) |
विस्थापन: |
3,000 टन (3,307 शॉर्ट टन) |
लंबाई: |
109 मीटर (358 फुट) |
किरण: |
12.8 मीटर (42 फुट) |
प्रणोदन: |
4 डीजल मोटर |
गति: |
25 समुद्री मील (46 किमी/घंटा) |
रेंज: |
3,450 मील (5,550 किमी) पर 18 समुद्री मील (33 किमी/घंटा) |
नौसैनिक दल: |
123 (17 अधिकारियों सहित) |
सेंसर और प्रोसेसिंग सिस्टम: |
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इलेक्ट्रॉनिक युद्धास्त्र एवं झाँसा: |
कवच नौसैनिक झाँसा प्रणाली |
आयुध: |
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आइ॰एन॰एस किलतान (P30) भारतीय नौसेना का एक पनडुब्बी रोधी लघु युद्धपोत (कार्वेट) है, जिसे परियोजना 28 के तहत बनाया गया है। यह भारतीय नौसेना द्वारा अन्तर्ग्रहण के विभिन्न चरणों में कमोर्ता श्रेणी के चार युद्धपोतों में से तीसरा है। यह पोत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा बनाया गया है, तथा 26 मार्च 2013 को इसका जलावतरण किया गया था। किलतान भारतीय नौसेना द्वारा किया जाने वाला स्थानीयकरण का प्रतिनिधि प्रयास है जिसमें प्रयुक्त 90% सामग्री भारत में ही तैयार की गई है।[१][२]
इतिहास
किलतान का पेंदा अगस्त 2010 में रखा गया था तथा इसका जलावतरण कोलकाता में 26 मार्च 2013 को एडमिरल डी॰के॰ जोशी, चीफ ऑफ नेवल स्टाफ की पत्नी चित्रा जोशी द्वारा किया गया। जहाज की अनुमानित लागत ₹ 1,700 करोड़ है।[३][४] नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा, पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एचएस बिष्ट और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी नौसेना डॉकयार्ड में पोत के जलावतरण कार्यक्रम में शामिल हुए थे।[५] इस पोत का नाम किलतान द्वीप, जो कि एक प्रवाल द्वीप है, से लिया गया है। किलतान द्वीप भारत के केन्द्र शाषित राज्य लक्षद्वीप नामक द्वीप समूह (आर्चीपिलागो) का हिस्सा है।[६] यह पोत आपरेशन ट्राइडेंट में भाग लेने वाले अरनाला श्रेणी के लघु युद्धपोत (काॅर्वेट) आइएनएस किलतान, जिसे 1987 में कार्यमुक्त कर दिया गया था, का उत्तरवर्ती है। ।[७]
डिजाइन
इस कमोर्ता श्रेणी की अभिकल्पना (डिज़ाइन) परियोजना 28 के भाग के रूप में भारतीय नौसेना के नौसैनिक अभिकल्प निदेशालय (डायरेक्टरेट ऑव नेवल डिज़ाइन) द्वारा किया गया है।[८] यह परमाणु, जैविक और रासायनिक वातावरण में लड़ने के लिए सक्षम है। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की अग्रिम पंक्ति का उन्नत स्टेल्थ सुविधाओं से युक्त युद्धपोत है जिसकी राडार द्वारा आसानी से न पकड़े जाने की विशेषता इसे एक कुशल पनडुब्बीरोधी युद्ध क्षमता से युक्त बनाती है। इस युद्धपोत में 17 अधिकारियों और 106 नाविकों का दल तैनात रहता है।
विशेषताएं
किलतान भारत का पहला ऐसा युद्धपोत है जिसका ऊपरी भाग, जिसे सुपरस्ट्रक्चर कहा जाता है, कार्बन फाइबर कम्पोजिट सामग्री से निर्मित किया गया है। इसके सुपरस्ट्रक्चर को इसके पेन्दे के साथ एकीकृत किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप इसके भार और रखरखाव की लागत मे कमी आई है, तथा साथ ही साथ स्टेल्थ सुविधाओं की गुणवत्ता मे भी वृद्धि हुई है।[९]
यह पोत 109 मी॰ (358 फीट) लंबा और 12.8 मी॰ (42 फीट) चौड़ा है, तथा यह 25 नॉट (46 किमी/घंटा; 29 मील/घंटा) की उच्च गति के साथ अत्यधिक सुगमतापूर्वक संचालित किया जा सकता है।[१] इस पोत का विस्थापन 3000 टन का है तथा यह 18 नॉट (33 किमी/घंटा; 21 मील/घंटा) की गति से 3,450 समुद्री मील (6,390 कि॰मी॰; 3,970 मील) की दूरी तय कर सकता है। इस पोत को 3,000 कि॰वाट (4,000 अश्वशक्ति) की संयुक्त क्षमतायुक्त 4 डीजल इंजनों द्वारा विद्युतशक्ति प्रदान की जाती है। इसे स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। के चार डीजल इंजनो की एक मुख्य इकाई द्वारा 1,050 आर॰पी॰एम पर प्रणोदित किया जाता है।[१०][३]
आइएनएस किलतान को भारत द्वारा विकसित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर सहित "एक मध्यम-रेंज गन, टारपीडो ट्यूब लांचर, रॉकेट लांचर और एक क्लोज़-इन युद्धास्त्र प्रणाली वाले हथियारों से लैस किया जाएगा।[१] युद्धपोत को एक एकीकृत संचार प्रणाली और एक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से भी लैस किया गया है।[१०] भविष्य में इस युद्धपोत पर जमीन से हवा में मार करनेवाली कम दूरी की मिसाइल प्रणाली और एएसडब्ल्यू भी तैनात किया जाना प्रस्तावित है।[११]