अल-क़ायदा
अल-क़ायदा (अरबी: القاعدة, अर्थ: 'बुनियाद', 'आधार') एक बहुराष्ट्रीय उग्रवादी सुन्नी इस्लामवादी संगठन है जिसका स्थापना ओसामा बिन लादेन, अब्दुल्लाह आज़म और 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियतों के आक्रमण के विरोध करने वाले कुछ अन्य अरब स्वयंसेवकों द्वारा 1988 में किया गया था।[१]
यह इस्लामी कट्टरपंथी सलाफ़ी जिहादवादियों का जालतंत्र है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमरीका, यूनाइटेड किंगडम,भारत, रूस और कई अन्य देशों द्वारा यह संगठन एक आतंकवादी समूह क़रार दिया गया है।
स्थापना
ओसामा बिन लादेन सऊदी अरब की एक निजी बिल्डर कम्पनी के मालिक का बेटा था। जिसके कारण उसने बेहिसाब दौलत का इस्तेमाल किया। अमरीका पर हुए 11 सितम्बर के हमले के बाद इसे आतंकवादी समूह घोषित कर दिया गया। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अनुसार इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन को 2 मई 2011 को अमरीकी सेना ने पाकिस्तान में मार डाला। इसके बाद से इस संगठन के नेतृत्वकर्ता के तौर पर डॉक्टर अयमन अल-ज़्वाहिरी का नाम सामने आया।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और आतंकवाद के जानकार ब्रूस हॉफ़मेन का कहना है कि ओसामा बिन लादेन अपनी मौत के लिए वर्ष 1988 से तैयार था और उसने अपने उत्तराधिकारी की योजना बना रखी थी। हॉफ़मेन का कहना है, 'ज़्वाहिरी, ओसामा का स्वाभाविक उत्तराधिकारी है। सवाल केवल इतना है कि वह ओसामा की जगह काबिज होकर आतंकवाद की मुहिम को कितने प्रभावी तरीके से आगे बढ़ा पाता है।'
अयमान अल ज़्वाहिरी मूलत: मिस्र का डॉक्टर है जिसकी उम्र अब 59 साल के आसपास होगी। हालांकि ज़्वाहिरी ख़ुद बीते एक दशक से अमरीका से छिपता रहा है। फिर भी अल-क़ायदा में ओसामा के बाद ज़्वाहिरी ही सबसे ज़्यादा जाना-पहचाना चेहरा और आवाज़ है। लादेन का करीबी ज़्वाहिरी वीडियो संदेश जारी करके अमरीका और उसके सहयोगी देशों को अक्सर धमकी देता रहा है।
अल-क़ायदा का एक और नेता अमरीका पर आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड ख़ालिद शेख़ साल 2006 से ग्वान्तानामो बे में कैद है।
विस्तार
अल-क़ायदा ने सबसे पहले आठवें दशक में अपनी स्थापना के बाद चेचेन्या में रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी और उसके बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अल-क़ायदा ने ऐसी लड़ाइयों में भाग लेना शुरु किया, जिसके बारे में उसने आरोप लगाया कि वहाँ मुसलमानों पर अत्याचार हुए हैं। बाद में अल-क़ायदा ने 9-11 के हमले किए और अमरीका को उसने सबसे बड़ा दुश्मन घोषित कर दिया। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर से बातचीत में इसके संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने एकाधिक बार माना कि अमरीका पूरी दुनिया में अपने साम्राज्य के विस्तार के लिये हमले कर रहा है और अल-क़ायदा इसके ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखेगा.
गतिविधियाँ
1992 में अल-क़ायदा ने अपना पहला निशाना यमन के दो होटलों को बनाया। पहल हमला उन्होनें मोवेनपिक होटल को और दूसरा हमला गोल्डमोहर के पार्किन्ग क्षेत्र को बनाया। उन्होंने दोनों होटलों में बम धमाके किए।
1993 में अल-क़ायदा ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर में बम धमाका किया जिसमें 6 लोगों की जान गई।
2001 में अल-क़ायदा ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर दो अपहरण किए गये विमानों से हमला कर दिया तथा पेन्टागन पर एक तथा पेन्सिल्वेनिया में एक विमान से हमला कर दिया जिसमें 3000 लोगों कि जान गई।
2005 में अल-क़ायदा ने स्पेन के मेड्रिड में ट्रैन में बम धमाका कर दिया जिसमें 191 लोगों कि जान गई और 1800 लोग ज़ख़्मी हो गये।
2005 में अल-क़ायदा ने लंदन की तीन भूमिगत ट्रैनों में तीन बम धमाके किए तथा एक बम एक बस में धमाका किया। इस हमले में 52 लोगों की जान गई और 700 लोग ज़ख़्मी हो गये।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ साँचा:cite courtसाँचा:cite newsस्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।