अभिवृद्धि चक्र

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हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ऍनजीसी 4261 नामक अंडाकार गैलेक्सी में स्थित एक काले छिद्र की परिक्रमा कर रहे अभिवृद्धि चक्र का चित्रण

खगोलशास्त्र में अभिवृद्धि चक्र (accretion disk) किसी बड़ी खगोलीय वस्तु के इर्द-गिर्द कक्षीय परिक्रमा कर रहे मलबे के चक्र को कहते हैं।[१] ऐसा चक्र किसी तारे की परिक्रमा कर रहा हो तो उसे परितारकीय चक्र (circumstellar disk) कहा जाता है। जब मलबे के कण आपस में रगड़ते हैं और गुरुत्वाकर्षण से मलबे पर दबाव पड़ता है तो उसका तापमान बढ़ जाता है और उस से विद्युतचुंबकीय विकिरण उत्पन्न होता है। इस विकिरण की आवृत्ति (फ़्रीक्वेन्सी) केन्द्रीय वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है। नवजात तारों और आदितारों के अभिवृद्धि चक्र अवरक्त (इन्फ़्रारेड) विकिरण उत्पन्न करते हैं जबकि न्यूट्रॉन तारों और काले छिद्रों के अभिवृद्धि चक्रों से ऍक्स किरणों का उत्सर्जन होता है।[२][३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Frank, Juhan; Andrew King; Derek Raine (2002), Accretion power in astrophysics (Third ed.), Cambridge University Press, ISBN 0-521-62957-8
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite journal