होमी सेठना
होमी नौशेरवानजी सेठना (1924 – 5 सितम्बर 2010) भारत के परमाणु वैज्ञानिक एवं परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। सन् १९७४ में भारत द्वारा पोकरण में प्रथम परमाणु विस्फोट के समय वे परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। डा. सेठना देश के उन श्रेष्ठ परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञों में से एक थे जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद देश को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाने का स्वप्न देखा और उसको क्रियान्वित करने का बीड़ा उठाया। इसीलिए उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रमों का स्तम्भ माना जाता था।
बताते हैं कि अपने दौर के श्रेष्ठतम परमाणु वैज्ञानिकों में से एक डा. होमी भाभा से एक अनौपचारिक मुलाकात के बाद डा. सेठना के जीवन की दिशा बदल गई और वे परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन गए। डा. सेठना समय के पक्के, अनुशासनबद्ध और काम के सामने सब कुछ भुला देने वाले परिश्रमी व्यक्तित्व के धनी माने जाते थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के साथ परमाणु परीक्षण की बारीकियों की विस्तार से चर्चा करके उन्हें इसके लिए तैयार करने में डा. सेठना की प्रमुख भूमिका थी। परीक्षण के लिए पोकरण में स्थान का चयन करने से लेकर विभिन्न तकनीकी बारीकियों की चिंता करने वाले डा. सेठना वैज्ञानिकों के अपने दल के प्रेरणास्रोत की तरह थे। उनके दल ने इतनी सुघड़ता से उस परीक्षण को क्रियान्वित किया था कि, कहते हैं, अमरीकी उपग्रहों तक को उसकी भनक नहीं मिली थी।
परमाणु वैज्ञानिक एवं रासायनिक इंजीनियर सेठना ने ही वर्ष 1959 में ट्रांबे में भारत के पहले प्लूटोनियम संयंत्र की स्थापना की थी। वह मुंबई जाने से पहले केरल में इंडियन रेअर अर्थ्स के निदेशक थे। सेठना वर्ष 1984 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे। वे 1989 से 2000 तक टाटा पावर के अर्थ के भी अध्यक्ष रहे। वह टाटा संस, बांबे डायिंग समेत कई अन्य कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल रहे। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। सेठना के निर्देशन में ही 1967 में बिहार के जादूगोडा में यूरेनियम मिल की स्थापना की गई थी।
उनकी विशिष्ट उपलब्धियों का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने उन्हें १९५९ में पद्मश्री, १९६६ में पद्म भूषण और १९७५ में पद्म विभूषण से अलंकृत किया था।