हिन्दी साहित्य कोश
हिन्दी साहित्य कोश हिन्दी साहित्य एवं उससे सम्बन्धित विषयों का विश्वकोश (encyclopedia) है। दो भागों में प्रकाशित इस कोश के प्रधान सम्पादक धीरेन्द्र वर्मा थे। इसके प्रथम भाग (पारिभाषिक शब्दावली) का प्रकाशन सन् १९५८ ईस्वी में और द्वितीय भाग (नामवाची शब्दावली) का प्रकाशन सन् १९६३ ईस्वी में ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी से हुआ था।
प्रथम भाग (पारिभाषिक शब्दावली)
प्रकाशन-इतिहास
हिन्दी साहित्य कोश का प्रथम भाग 'पारिभाषिक शब्दावली' पर केन्द्रित है और इसका प्रथम संस्करण विक्रम संवत् २०१५ (१९५८ ईस्वी) में ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी से प्रकाशित हुआ था। इसके प्रधान संपादक धीरेन्द्र वर्मा थे। ब्रजेश्वर वर्मा, धर्मवीर भारती एवं रामस्वरूप चतुर्वेदी संपादक मंडल में थे एवं डॉ॰ रघुवंश संयोजक थे। इस कोश की तैयारी में संपादकों का आदर्श था कि कोश की प्रत्येक टिप्पणी संबंधित विषय के विशेषज्ञ और अधिकारी विद्वान् के द्वारा प्रस्तुत करायी जाय।[१] अतः इस कार्य हेतु जिन बहुसंख्यक विद्वानों को इस योजना में सहयोग देने के लिए आमंत्रित किया गया था उनमें से प्रायः सबने इसका स्वागत किया और अधिकांश ने अपनी व्यक्तिगत व्यस्तताओं और कठिनाइयों के होते हुए भी समय निकाल कर इस इसमें सहयोग दिया। हिन्दी भाषा और साहित्य के अतिरिक्त अन्य भाषाओं के और विविध विषयों के अनेक हिन्दी-प्रेमी विद्वानों ने भी अपना बहुमूल्य योगदान इस कोश को प्रामाणिक बनाने में दिया। इस प्रकार प्रथम संस्करण में कुल ८३ विद्वानों, समीक्षकों तथा विचारकों की टिप्पणियाँ अथवा लघुलेख इस कोश की प्रविष्टि के रूप में प्रस्तुत हुए।[१] इस कोश की योजना सन् १९५५ ईस्वी में अर्थात प्रकाशन से तीन वर्ष पहले बनी थी, परंतु वास्तविक कार्य केवल डेढ़ वर्ष की अवधि में समाप्त किया गया। दीर्घकाल तक चलने वाली योजनाओं में प्रायः शिथिलता आने की संभावना मानकर संपादकों ने इस कोश के कार्य में तत्परतापूर्वक अधिक विलंब नहीं होने दिया तथा गुरु गंभीर कार्य होने के बावजूद ससमय कोश का प्रकाशन संभव हो गया। इस कोश का संशोधित एवं परिवर्द्धित द्वितीय संस्करण विक्रम संवत् २०२० (सन् १९६३ ईस्वी) में प्रकाशित हुआ। इसकी प्रविष्टियों के लेखन में सहयोग देने वाले विद्वानों की कुल संख्या अब ९५ हो गयी थी। सन् १९७० ईस्वी के आसपास इस कोश के संपादकों ने इसका नवीन संशोधित एवं परिवर्द्धित संस्करण तैयार किया। इस संस्करण में दो कार्य किये गये। एक तो पहले परिशिष्ट के रूप में दी गई प्रविष्टियों को कोश में यथास्थान समायोजित किया गया और दूसरा अनेक नवीन लेखकों से नवीन प्रविष्टियाँ लिखवायी गयीं जो कि पूर्व के संस्करण में आने से छूट गयी थीं। परंतु इस संस्करण का पहले की अपेक्षा अधिक अच्छे ऑफसेट रूप में आरंभ किया गया मुद्रण-कार्य इसके प्रकाशक की आंतरिक कठिनाई के कारण ५२८ पृष्ठों के बाद अचानक रुक गया। पूर्व के संस्करण के ६८४ पृष्ठों की सामग्री के अतिरिक्त परिशिष्ट एवं नवीन प्रविष्टियाँ भी नवीन मुद्रण में ५२८ पृष्ठों में समायोजित हो गयी थीं। बाद में जब प्रकाशक की आंतरिक स्थिति के कारण कोश की बाद की सामग्री को भी नवीन संशोधित एवं परिवर्द्धित रूप में मुद्रित करवा पाना संभव नहीं हो पाया तो पूर्व के संस्करण के पृष्ठ ६८५ से आरंभ होने वाले अंश को ज्यों का त्यों फोटोस्टेट कराकर जोड़ना पड़ा।[२] इसलिए सन् १९८५ में प्रकाशित इसके तृतीय संस्करण में पृष्ठ संख्या ५२८ के बाद पृष्ठ संख्या ६८५ दी गयी थी। परंतु, मुद्रित और फोटोस्टेट किये गये अंशों में पृष्ठ-संख्या का यह अंतर उपेक्षणीय था, क्योंकि इसके कारण उभयनिष्ठ वाक्य का एक भी शब्द छूटने नहीं पाया था। इस संबंध में पृष्ठ ५२८ के बाद आवश्यक सूचना भी छाप कर दी गयी थी कि "पृष्ठ सं॰ ५२८ के बाद ५२९ के स्थान पर पृष्ठ सं॰ ६८५ से पढ़ें।"[३] बाद के संस्करणों में पृष्ठ संख्या के इस अंतर को हटाकर लगातार रूप में मुद्रित कर दिया गया।[४] इस प्रकार पूर्व के संस्करण के ९९७ पृष्ठों की[५] लिखित मुख्य सामग्री बाद के संस्करणों में ८४१ पृष्ठों में समायोजित हो गयी है[६] और इसमें कुछ भी छूटा तो नहीं ही है, बल्कि संशोधन एवं परिवर्द्धन भी शामिल हैं।
सामग्री-संयोजन
इस कोश के संपादकों का मानना था कि : साँचा:quote हिन्दी साहित्य के लेखकों, रचनाओं, प्रधान पात्रों तथा पौराणिक कथा-सन्दर्भों को एक भाग में सम्मिलित कर पाना उचित न मानकर इन सामग्रियों को एक पृथक भाग में प्रस्तुत करने की योजना बनायी गयी तथा प्रस्तुत कोश (प्रथम भाग) में निम्नलिखित विषयों की पारिभाषिक एवं विशिष्ट शब्दावली को सम्मिलित किया गया :-
- प्राचीन साहित्यशास्त्र -- रस, ध्वनि, अलंकार, रीति, छन्द आदि।
- पाश्चात्य साहित्यशास्त्र -- प्राचीन तथा नवीन।
- साहित्य के विविध वाद तथा प्रवृत्तियाँ -- प्राचीन तथा आधुनिक।
- साहित्य के विविध रूप -- प्राचीन तथा नवीन, प्राच्य तथा पाश्चात्य।
- हिन्दी साहित्य के इतिहास के विभिन्न काल, युग तथा धाराएँ।
- साहित्यिक सन्दर्भ में प्रयुक्त दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, राजनीतिक तथा समाजशास्त्रीय सिद्धान्त।
- लोकसाहित्य -- शास्त्रीय विषय तथा प्रचलित रूप।
- आधुनिक भारतीय भाषाओं तथा संस्कृत, फारसी और अंग्रेजी के साहित्यों का इतिहास।
- हिन्दी भाषा, उसकी जनपदीय बोलियों, प्राचीन तथा आधुनिक भारतीय आर्य-भाषाओं और सम्बद्ध आर्य-भाषाओं का परिचयात्मक विवरण।
इस प्रकार हिन्दी साहित्य कोश के इस प्रथम भाग में साहित्य के अध्येताओं के उपयोग में आने वाले वृहत्तर आयामों को समायोजित कर लिया गया था। हालाँकि विषय-क्षेत्र व्यापक हो जाने के कारण भाषा विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली को इस कोश में बिलकुल छोड़ दिया गया था। हिन्दी भाषा तथा उसकी जिन जनपदीय बोलियों को लिया गया था उसका भी केवल परिचयात्मक विवरण ही दिया गया था; भाषा वैज्ञानिक विवेचन नहीं दिया गया था। बाद में ज्ञानमंडल लिमिटेड, वाराणसी से ही 'भाषा विज्ञान कोश' के रूप में एक स्वतन्त्र ग्रन्थ प्रस्तुत करके हिन्दी साहित्य कोश की इस परियोजना को परिपूर्णता प्रदान की गयी।
द्वितीय भाग (नामवाची शब्दावली)
प्रकाशन-इतिहास
हिन्दी साहित्य कोश का द्वितीय भाग 'नामवाची शब्दावली' पर केन्द्रित था और इसका प्रथम संस्करण संवत् २०२० (सन् १९६३ ईस्वी) में प्रकाशित हुआ था। इसके संपादकगण प्रथम भाग के समान ही थे, केवल धर्मवीर भारती इसमें शामिल नहीं थे।[७] इस कोश में अन्य सामग्रियों के साथ जिन लेखकों की जन्म तिथि १९१५ ईस्वी तक थी उनका विवेचनात्मक परिचय शामिल किया गया था। योजना यह थी कि प्रत्येक नये संस्करण में इस तिथि को पाँच वर्ष आगे बढ़ाया जाएगा[८] और इस तरह इस कोश को बिल्कुल समकालीन परिदृश्य तक अपडेट रखा जाएगा। इसी के अनुरूप संपादकों ने द्वितीय संस्करण के लिए १९२० ईस्वी तक की जन्मतिथि वाले लेखकों एवं उनकी रचनाओं के विवेचनात्मक परिचय के रूप में सामग्री का पुनर्लेखन तथा संवर्द्धन करके प्रकाशन के लिए दे दिया। परंतु, इसका नया संस्करण अत्यधिक विलम्ब से १९८६ ईस्वी में प्रकाशित हो पाया।[८] इसके बाद इस अत्यधिक उपयोगी कोश का केवल पुनर्मुद्रण ही होते रहा, संशोधन-परिवर्धन नहीं हो पाया।
इस द्वितीय भाग की प्रविष्टियों के लेखन में कुल ७९ लेखकों का योगदान सम्मिलित है।
सामग्री-संयोजन
हिन्दी साहित्य कोश के इस द्वितीय भाग में 'नामवाची शब्दावली' के रूप में हिन्दी साहित्य के निम्नांकित विषय-क्षेत्र की प्रविष्टियों को सम्मिलित किया गया है :-
- लेखक
- प्रमुख कृतियाँ
- प्रधान पात्र (रचनाओं के)
- प्रमुख साहित्यिक संस्थाएँ
- प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ
- पौराणिक तथा ऐतिहासिक पात्र तथा कथा संदर्भ (हिन्दी साहित्य में प्रयुक्त)
इस कोश में अनूदित रचनाओं तथा अनुवादों के नाम सम्मिलित नहीं किये गये। विवेचनात्मक परिचय के लिए शामिल किये गये लेखकों तथा कृतियों के चुनाव में भी एक सीमा-रेखा निर्धारित की गयी। जिन लेखकों का जन्म १९१५ ईस्वी तक हो चुका था उन्हें तथा उन्हीं की प्रमुख रचनाओं को, जिनका प्रकाशन सन् १९५० ईस्वी तक हो चुका था, इस कोश के प्रथम संस्करण में सम्मिलित किया गया।[९] द्वितीय संस्करण में संशोधित एवं परिवर्धित रूप में १९२० ईस्वी तक की जन्मतिथि वाले लेखकों को तथा उनकी रचनाओं को सम्मिलित कर लिया गया।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, तृतीय संस्करण-१९८५, पृष्ठ-६ (भूमिका)।
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, तृतीय संस्करण-१९८५, पृष्ठ-८ (भूमिका)।
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, तृतीय संस्करण-१९८५, पृष्ठ-५२८.
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, नवम (पुनर्मुद्रित) संस्करण-२०११, पृष्ठ-५२८ एवं ५२९.
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, तृतीय संस्करण-१९८५, पृष्ठ-९९७.
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-१, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, नवम (पुनर्मुद्रित) संस्करण-२०११, पृष्ठ-८४१.
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-२, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, नवम (पुनर्मुद्रित) संस्करण-२०११, पृष्ठ-३ (विवरण पृष्ठ)।
- ↑ अ आ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-२, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, नवम (पुनर्मुद्रित) संस्करण-२०११, पृष्ठ-७ (द्वितीय संस्करण की भूमिका)।
- ↑ हिन्दी साहित्य कोश, भाग-२, संपादक- धीरेन्द्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, नवम (पुनर्मुद्रित) संस्करण-२०११, पृष्ठ-५ (भूमिका)।
बाहरी कड़ियाँ
- हिन्दी साहित्य कोश, भाग-२, प्रथम संस्करण (pdf) (इस संस्करण में द्वितीय संस्करण से कम सामग्री है। परिवर्द्धित मुद्रित संस्करण में 14+688 = 702 पृष्ठ हैं, जबकि इस पीडीएफ रूप में केवल 665 पृष्ठ हैं।)
- पचास साल बाद फिर छपा 'हिंदी साहित्य ज्ञान कोश', प्रति राष्ट्रपति कोविंद को भेंट