हरी माकाजी

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नाईक हरीजी राव माकाजी
विकल्पीय नाम: वंडकरी
आंदोलन: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
धर्म: हिन्दू कोली

नाईक हरीजी राव माकाजी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। इनका जन्म महाराष्ट्र के एक कोली परिवार मे हुआ था। हरी माकाजी के साथ छोटे भाई तांत्या माकाजी ने भी अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी।[१][२][३]


माकाजी के साथ कालंवी गांव के रामा कृष्णा नाईक ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। माकाजी ने सतारा के रमोशी जाती के लोगों को एक करके ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। माकाजी का प्रभाव सतारा से पुणे तक बोहोत ज्यादा था।[४]

इतिहास एवं विद्रोह

१८७८ की सुरुआत मे माकाजी ने रमोसी लोगों के साथ मिल कर ब्रिटिश अधीन पूणे मे सरकारी दफ्तर, खजाना एवं कार्यालय पर हमला कर दिया। माकाजी ने लगातार १५ वार हमला किया और ब्रिटिश सरकार की कमर तोड के रख दी।[५][६]

१८७९ के फरवरी महीने मे माकाजी ने बारामती के भीमथाडी मे माकाजी ने ब्रिटिश शासन को चुनौती पेश की और वहां भी ब्रिटिश अधीन पर आक्रमण किया। ब्रिटिश सरकार ने ८ फरवरी को माकाजी को पकड़ने के लिए सेना भेजी जहां माकाजी के क्रांतिकारी और सेना के बीच संघर्ष हुआ जिसमे जिसमे कुछ रमोसी पकड़े गए लेकिन सेना माकाजी को पकड़ने में असफल रही। माकाजी सेना के जवानों से आमने-सामने की लड़ाई करके उन्हें घायल करके निकल गए थे।[३]

माकाजी ने मार्च महीने की सूरूआत मे फिर से क्रांतिकारी सिपाही एकित्र किए और विद्रोह का एलान कर दिया। माकाजी ने पूणे के इंदापुर मे फिर से ब्रिटिश अधीनो पर आक्रमण किया। इंदापुर मे ब्रिटिश सरकार को कामयाबी हाथ लगी। सोलापुर मे मुठभेड़ के दौरान माकाजी घायल हो गए और ब्रिटिश सरकार द्वारा बंदी बना लिए गये। हरी मकाकजी के भाई तांत्या माकाजी ने क्रांतिकारीयों का नेतृत्व किया। तांत्या ने पुरंदर और सिंहगढ़ को विद्रोही गतिविधियों का केंद्र बना दिया। वर्ष के आखिर में एक रमोशी अंग्रेजों का मूखवीर बन गया जिसके चलते १७ अक्टूबर को तांत्या माकाजी को गोलीयों से भुन दिया गया और कुछ साथी ब्रिटिश सेना ने बंदी बना लिए।[३][६]

ख्याति और सम्मान

महाराष्ट्र के जेजुरी मे हुतात्मा हरी मकाजी नाईक नाम से स्मारक एवं पार्क बनाया हुआ है।[७]

संदर्भ

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