हरिहर राय प्रथम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
विजयनगर साम्राज्य
संगम राजवंश
हरिहर राय प्रथम 1336-1356
बुक्क राय प्रथम 1356-1377
हरिहर राय द्वितीय 1377-1404
विरुपाक्ष राय 1404-1405
बुक्क राय द्वितीय 1405-1406
देव राय प्रथम 1406-1422
रामचन्द्र राय 1422
वीर विजय बुक्क राय 1422-1424
देव राय द्वितीय 1424-1446
मल्लिकार्जुन राय 1446-1465
विरुपाक्ष राय द्वितीय 1465-1485
प्रौढ़ राय 1485
शाल्व राजवंश
शाल्व नृसिंह देव राय 1485-1491
थिम्म भूपाल 1491
नृसिंह राय द्वितीय 1491-1505
तुलुव राजवंश
तुलुव नरस नायक 1491-1503
वीरनृसिंह राय 1503-1509
कृष्ण देव राय 1509-1529
अच्युत देव राय 1529-1542
सदाशिव राय 1542-1570
अराविदु राजवंश
आलिया राम राय 1542-1565
तिरुमल देव राय 1565-1572
श्रीरंग प्रथम 1572-1586
वेंकट द्वितीय 1586-1614
श्रीरंग द्वितीय 1614-1614
रामदेव अरविदु 1617-1632
वेंकट तृतीय 1632-1642
श्रीरंग तृतीय 1642-1646

हरिहर प्रथम (1336–1356 CE), जिन्हें हक्क ಹಕ್ಕ और वीर हरिहर प्रथम भी कहा जाता है, विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। ये भवन संगम के ज्येष्ठ पुत्र थे, और संगम राजवंश के संस्थापक थे, जो कि विजयनगर पर राज्य करने वाले चार राजवंशों में से प्रथम हैं। सत्ता में आने के तुरंत बाद इन्होंने वर्तमान कर्नाटक के पश्चिमी किनारे पर बार्कुरु में एक किले का निर्माण करवाया. शिलालेख से यह पता चलता है कि सन् 1339 में ये अनंतपुर जिले के गुट्टी में स्थित अपने मुख्यालय से वर्तमान कर्नाटक के उत्तरी भागों का प्रशासन किया करते थे। प्रारंभ में इनका नियंत्रण होयसल साम्राज्य के उत्तरी भागों पर था और सन् 1343 में होयसल वीर बल्लाल तृतीय की मृत्यु के बाद इन्होंने पूरे साम्राज्य पर अधिकार कर लिया। इनके काल के कन्नड़ शिलालेखों में इनका उल्लेख कर्नाटक विद्या विलास (महान ज्ञान एवं कौशल के स्वामी), भाषेगेतप्पूवरयारगंदा (वचन का पालन न करने वालों को दंड देने वाले), अरियाविभद (शत्रु राजाओं के लिए अग्नि के समान) के रूप में किया गया है। उनके भाइयों में से कम्पन नेल्लूर क्षेत्र का, मुदप्पा मुलबागलू क्षेत्र का, मरप्पा चंद्रगुट्टी क्षेत्र का प्रशासन किया करते थे एवं बुक्क राय इनके उप-सेनापति थे।

इनके प्रारंभिक सैन्य अभियानों के द्वारा तुंगभद्रा नदी की घाटी पर इनका नियंत्रण स्थापित हो गया और क्रमशः कोंकण व मालाबार तट के कुछ क्षेत्रों तक विस्तार हुआ। उस समय तक, होयसलों ने अपने अंतिम शासक वीर बल्लाल तृतीय को खो दिया था, जिनकी मृत्यु मदुरै के सुल्तान से युद्ध के दौरान हुई और इससे उत्पन्न रिक्ति के कारण हरिहर प्रथम सार्वभौम शासक के रूप में उभरे। पूरा होयसल प्रदेश प्रत्यक्ष रूप से इनके शासन में आ गया.

श्रृंगेरी मठ को दिए गए अनुदान से संबंधित सन् 1346 के एक शिलालेख में हरिहर प्रथम का उल्लेख "पूर्वी एवं पश्चिमी समुद्रों के बीच स्थित संपूर्ण देश के शासक" के रूप में किया गया है और इनकी राजधानी का वर्णन शिलालेख में विद्या नगर (अर्थात विद्या की नगरी) के रूप में किया गया है। हरिहर प्रथम को एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था और सुव्यवस्थित शासन का श्रेय दिया जाता है, जिससे इनकी प्रजा को शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त हुई.

हरिहर प्रथम के उत्तराधिकारी बुक्क प्रथम थे, जो संगम राजवंश के पांच शासकों (पंचसंगमों) में सर्वाधिक उल्लेखनीय हुए.

साँचा:s-befसाँचा:s-ttlसाँचा:s-aftसाँचा:s-end काकतीय वंश के सामंत का पुत्र था इससे पहले मोहम्मद बिन तुगलक ने इस्लाम धर्म स्वीकार करवा दिया था श्रृंगेरी पीठ के सन्त विद्यारण्य से दीक्षित होकर पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार किया तथा अपने अनुज बुक्का प्रथम की सहायता से विजयनगर साम्राज्य की नींव रखी प्रारंभिक राजधानी एनीगुंडी थी परंतु कुछ ही समय के बाद इसे हम भी स्थानांतरित कर दिया जाता है मधुरा पर आंशिक विजय प्राप्त की उत्तराधिकारी बुक का प्रथम

सन्दर्भ

  • डॉ॰ सूर्यकांत यू. कामत, कंसाइस हिस्ट्री ऑफ़ कर्नाटका, एमसीसी, बैंगलोर, 2001 (पुनः प्रकाशित 2002)
  • चोपड़ा पी.एन., टी.के. रविंद्रन और एन. सुब्रमण्यम हिस्ट्री ऑफ़ साउथ इण्डिया एस. चंद, 2003. ISBN 81-219-0153-7