स्ट्रिंग सिद्धांत

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स्ट्रिंग सिद्धांत
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अति स्ट्रिंग सिद्धांत
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स्ट्रिंग सिद्धान्त ( स्ट्रिङ्ग सिद्धान्त ) कण भौतिकी का एक सक्रीय शोध क्षेत्र है जो प्रमात्रा यान्त्रिकी और सामान्य सापेक्षता में सामजस्य स्थपित करने का प्रयास करता है। इसे सर्वतत्व सिद्धांत का प्रतियोगी सिद्धान्त भी कहा जाता है, एक आत्मनिर्भर गणितीय प्रतिमान जो द्रव्य के रूप व सभी मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं को समझाने में सक्षम है। स्ट्रिंग सिद्धान्त के अनुसार परमाणु में स्थित मूलभूत कण (इलेक्ट्रॉन, क्वार्क आदि) बिन्दु कण नहीं हैं अर्थात इनकी विमा शून्य नहीं है बल्कि एक विमिय दोलक रेखाएं हैं (स्ट्रिंग अथवा रजु)। पंकज मण्डोठिया के अनुसार स्ट्रिंग सिद्धान्त की सरल परिभाषा स्ट्रिंग द्रव्य और ऊर्जा के बीच की कड़ी है जो बिंग बैंग के बनने का कारण रही है यह ऊर्जा का बन्ध स्वरूप है और फोटोन और बोसॉन की जाति से संबंधित कण की भी सबसे सूक्ष्म इकाई है पर फोटोन्स से इस लिये भिन्न है क्योंकि फोटोन्स द्रव के विनाश से निकली ऊर्जा का अंग है जब कि स्ट्रिंग बन्ध ऊर्जा के सिद्धान्त पर आधारित है इस लिये यह बोसॉन से अधिक मेलखाती है यह पदार्थ के बनने का सबसे पहला चरण है जिसे हम बिग बैंग के बनने का भी कारण मानते हैं वैज्ञनिकों के विभन्न मतों के अनुसार बिग बैंग विस्फोट के बाद समय अस्तित्व में आया इस घटना को 13.4 अरब साल पहले हुआ माना जाता है और बिग बैंग को ही पदार्थ क्षेत्र समय के अस्तित्व का कारण भी माना जाता है जिस में क्वाण्टम क्षेत्र सिद्धान्त और गेज सिमिट्री के नियमों का पूर्वानुमान नही मिलता इस लिये इस के परे भी विचार करने पर हमने बिंग बैंग से भी और छोटी कोटि स्ट्रिंग सिद्धान्त पर शोध किया और 4 वर्ष की अपनी लम्बी खोज से हम आखिर में क्वाण्टम भौतिकी और सापेक्ष भौतिकी को स्ट्रिंग सिद्धान्त के मानकों पर सन्तुलित करने में कामयाब रहे। यह हमारा प्रयोग सैद्धान्तिक रूप से सही है पर प्रयोग करने के लिये LHC का रिंग मॉडल इस के लिये पर्याप्त नहीं है , क्योंकि LHC की छोटी रिंग SPS सुपर प्रोटोन सिंक्ट्रोआन में जब प्रोटोन्स के दो अलग अलग बीन प्रकाश की गति से क्लॉक वाइस घुमाये गये तब इस इन की अधिक गति के कारण प्रोटॉन ने तीन की श्रखला में जोड़ा बना लिया जिस कारण यह हीलियम का isotopes बन गये थे, मैंने तब इस खामी का पता लगाया था जिस में मेरे अनुसार SPS छोटी रिंग थी जिस में टर्निंग प्वाइण्ट पर प्रकाश की गति पर चलने पर टर्निंग प्वाइण्ट पर प्रोटोन अधिक गति की वजह से एक दूसरे के इतने पास आगये कि इन के बीच दाब दूरी 10.-13कोटि या डिग्री से भी कम रह गई इसी कारण प्रोटोन जो कि एक दूसरे के सजातीय कण है फिर भी यह तीन तीन जोड़ों के रूप में जुड़ कर हीलियम का isotopes में परिवर्तित हो गये हीलियम का परमाणु क्रमांक 4 होता है जिस में 4 प्रोटोन और 4 न्यूट्रॉन होते हैं जब कि isotope में न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है प्रोटोन्स होने अनिवार्य होते हैं और इस घटना में ऐसा ही हुआ SPS में प्रोटोन तीन के अनुपात में जुड़ गये जिस से वँहा हीलियम का isotope बना पर वहाँ न्यूट्रॉन के बनने का विकल्प नही था इस लिये पूर्णरूप से हीलियम एलिमेण्ट के रूप में ना बनकर isotope के रूप में बना यही कारण है LHC को इस प्रयोग के योग्य नही माना जा सकता है यही कारण है कि यह रिसर्च CERN से साझा नही की है।

अवलोकन

स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार इलेक्ट्रॉन तथा क्वार्क की विमा शून्य नहीं है बल्कि एक-विमिय स्ट्रिंगो से बने हुये हैं। इन स्ट्रिंगो के दोलन हमें, प्रेक्षित कणों के फ्लेवर, आवेश, द्रव्यमान तथा स्पिन प्रदान करते हैं।

परिक्षण क्षमता और प्रायोगिक भविष्यवाणी

भौतिक विज्ञान में अनसुलझी पहेलियों की सूची
क्या कोई निर्वात स्ट्रिंग सिद्धांत है जो की ब्रह्माण्ड की अचूक पहेली को समझा सके? क्या इसे निम्न ऊर्जा आँकड़ों द्वारा विलक्षण रूप से ज्ञात किया जा सकता है?

स्ट्रिंग सिद्धांत के परिक्षण के प्रयासों को विभिन्न कठिनाइयाँ मुश्किले पैदा करती हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है प्लांक लम्बाई की अत्यंत लघु परास होना जो कि स्ट्रिंग लम्बाई (स्ट्रिंग की स्वभाविक परास जहाँ स्ट्रिंगें, कणों के साथ अभेद्य न हों।) की कोटि के समान अपेक्षित है। अन्य कठिनाई स्ट्रिंग सिद्धांत में विशाल मात्रा में मितस्थायी शून्य हैं जो निम्न ऊर्जा पर प्रेक्षण में सम्भव लगभग सभी घटनाओं को समझाने के लिये उपयुक्त होते हुए पर्याप्त भिन्न हैं।

आलोचनाएँ

स्ट्रिंग सिध्दांत के कुछ आलोचकों का मानना है कि यह सब कुछ का सिद्धांत की असफलता है।.[१][२][३][४][५][६] कुछ आम आलोचनाएँ इस प्रकार हैं:

  1. क्वांटम गुरुत्वाकर्षण को खोजने के लिए बहुत उच्च ऊर्जा की आवश्यकता।
  2. हलों की बड़ी संख्या के कारण भविष्यवाणी की विशिष्टता का अभाव।
  3. पृष्ठभूमि की स्वतंत्रता का अभाव।

ये भी देखें

सन्दर्भ

  1. पीटर वोईट गलत भी नहीं है (नॉट इवन रॉंग) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. कोलंबिया गणित शिक्षा स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, ११-०७-२०१२ को पुनःप्राप्त।
  2. ली स्मोलिन। भौतिकी के साथ मुसीबत स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. भौतिकी के साथ मुसीबत स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. ११-०७-२०१२ को पुनःप्राप्त।
  3. The n-Category Cafe स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. Golem.ph.utexas.edu (2007-02-25). Retrieved on 2012-07-11.
  4. John Baez weblog स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. Math.ucr.edu (2007-02-25). Retrieved on 2012-07-11.
  5. P. Woit (Columbia University), String theory: An Evaluation,February 2001, arXiv:physics/0102051
  6. P. Woit, Is String Theory Testable? स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। INFN Rome March 2007

आगे का पाठन

लोकप्रिय पुस्तकें और लेख

  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • साँचा:cite web – लियोनार्ड सुसस्किंद का एक साक्षात्कार, ऐसे सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं जिन्होंने स्ट्रिंग सिद्धान्त एक विमीय वस्तुओं (स्ट्रिंगों) पर आधारित है को प्रतिपादित किया और आजकल महाब्रह्माण्ड के विचार को विकसित कर रहे हैं।
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  • क्लेबनोव, इगोर और माल्दाकेना, जूँ (जनवरी २००९). सोल्विंग क्वांटम फील्ड थ्योरीज वाया कर्वड स्पेसटाइम्स. आज का भौतिक विज्ञान.
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  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • टौबेस, गैरे (नवम्बर १९८६). "एवरीथिंग'स नाउ टाईड टू स्ट्रिंग्स" डिस्कवर मैगज़ीन भाग ७, #११. (Popular article, probably the first ever written, on the प्रथम अतिस्त्रिंग महत्वपूर्ण परिवर्तन.)
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • साँचा:cite web – मूल सैद्धांतिक आधार पर एक सरल गैर तकनीकी अनुच्छेद (एन इजी नॉनटेक्निकल आर्टिकल ओन द वेरी बेसिक्स ऑफ़ द थ्योरी)।

स्ट्रिंग सिद्धान्त की दो आलोचनात्मक गैर-तकनीकी पुस्तकें:

  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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पाठ्य पुस्तकें

  • Becker, Katrin, Becker, Melanie, and John H. Schwarz (2007) String Theory and M-Theory: A Modern Introduction . Cambridge University Press. ISBN 0-521-86069-5
  • Binétruy, Pierre (2007) Supersymmetry: Theory, Experiment, and Cosmology. Oxford University Press. ISBN 978-0-19-850954-7.
  • Dine, Michael (2007) Supersymmetry and String Theory: Beyond the Standard Model. Cambridge University Press. ISBN 0-521-85841-0.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • Gasperini, Maurizio (2007) Elements of String Cosmology. Cambridge University Press. ISBN 978-0-521-86875-4.
  • Michael Green, John H. Schwarz and Edward Witten (1987) Superstring theory. Cambridge University Press. The original textbook.
    • Vol. 1: Introduction. ISBN 0-521-35752-7.
    • Vol. 2: Loop amplitudes, anomalies and phenomenology. ISBN 0-521-35753-5.
  • Kiritsis, Elias (2007) String Theory in a Nutshell. Princeton University Press. ISBN 978-0-691-12230-4.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
    • Vol. 1: An introduction to the bosonic string. ISBN 0-521-63303-6.
    • Vol. 2: Superstring theory and beyond. ISBN 0-521-63304-4.
  • Szabo, Richard J. (Reprinted 2007) An Introduction to String Theory and D-brane Dynamics. Imperial College Press. ISBN 978-1-86094-427-7.
  • Zwiebach, Barton (2004) A First Course in String Theory. Cambridge University Press. ISBN 0-521-83143-1. Contact author for errata.

Technical and critical:

  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

ऑनलाइन सामग्री

  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। – This is a one semester course on bosonic string theory aimed at beginning graduate students. The lectures assume a working knowledge of quantum field theory and general relativity.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। – Four lectures, presented at the NATO Advanced Study Institute on Techniques and Concepts of High Energy Physics, St. Croix, Virgin Islands, in June 2000, and addressed to an audience of graduate students in experimental high energy physics, survey basic concepts in string theory.
  • साँचा:cite web – Slides and audio from an Ed Witten lecture where he introduces string theory and discusses its challenges.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। – Invited Lecture at COSLAB 2004, held at Ambleside, Cumbria, United Kingdom, from 10 to 17 सितंबर 2004.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। – A guide to the string theory literature.
  • साँचा:cite web – A comprehensive compilation of materials concerning string theory. Created by an international team of students.
  • साँचा:cite web – A criticism of string theory.
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • साँचा:cite web – A criticism of string theory.
  • साँचा:cite web
  • A website dedicated to creative writing inspired by string theory.
  • An Italian Website with various papers in English language concerning the mathematical connections between String Theory and Number Theory.
  • George Gardner (2007-01-24). "Theory of everything put to the test". tech.blorge.com. (Web link). अभिगमन तिथि: 2007-03-03. स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  • साँचा:cite web — An up-to-date and thorough review of string theory in a popular way.
  • Woit, Peter. Not Even Wrong: The Failure of String Theory & the Continuing Challenge to Unify the Laws of Physics, 2006. ISBN 0-224-07605-1 (Jonathan Cape), ISBN 0-465-09275-6 (Basic Books)
  • साँचा:cite web
  • साँचा:cite web

बाहरी कड़ियाँ