सीहोर ज़िला

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गुजरात राज्य में इस से मिलते-जुलते नाम के शहर के लिए सिहोर का लेख देखें
सीहोर ज़िला
Sehore district
मानचित्र जिसमें सीहोर ज़िला Sehore district हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी : सीहोर
क्षेत्रफल : 6,578 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
13,11,332
 200/किमी²
उपविभागों के नाम: तहसील
उपविभागों की संख्या: 8
मुख्य भाषा(एँ): हिन्दी


सीहोर ज़िला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय सीहोर है। सीहोर एक पुराना जिला है, जो नवाबों के समय से स्थापित है। यह शहीदों की भूमि रहा है। इंदौर-भोपाल राजमार्ग यहाँ से गुज़रता है।[१][२]

आदर्श स्थल

भारत में स्थित चार स्वयं-भू चिंतामन गणेश मंदिर में से एक अति प्राचीन विक्रमादित्य कालीन ऐतिहासिक श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर में स्थित है। यह मंदिर सीहोर के वायव्य पश्चिम-उत्तर कोण में स्थित है जो कि शुगर फैक्ट्री से पश्चिम में लगभग एक किलोमीटर दूरी पर गोपालपुर में स्थित है। 2000 वर्ष पूर्व उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य परमार वंश के राजा ने मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई है। मूर्ति जमीन के अंदर आधी धंसी हुई है, इसलिए आधी मूर्ति के ही दर्शन होते हैं। यह स्वयंभू प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 155 में महाराज विक्रमादित्य द्वारा गणेशजी के मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया गया था।

राजा विक्रमादित्य के पश्चात मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण बाजीराव पेशवा प्रथम ने करवाया था। शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग किया। नानाजी पेशवा विठूर आदि के समय मंदिर की ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। डेढ़ सौ साल पहने नहीं लगता था मंदिर में ताला

चिंतामन सिद्ध गणेश जी होने से एवं 84 सिद्धों में से अनेक तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है। बताया जाता है कि गणेशजी के मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। 150 वर्ष पूर्व तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था तब चारों ने मूर्ति की आंखों में लगे हीरे चोरी कर लिए गए थे तथा गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा बही थी। तब भगवान गणेशजी ने पुजारी को स्वप्र देकर कहा कि में खंडित नहीं हुआ हूं। तुम मेरी आंखों में चांदी के नेत्र लगवा दो। तभी से भगवान गणेश की आंखों में चांदी के नेत्र लगाए गए हैं। इस दौरान विशाल यज्ञ का आयोजन किया तथा जन-जन में उनके प्रति आस्था बढ़ी। चतुर्थी पर लगता है भव्य मेला।

फलस्वरूप गणेशजी के जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में यहां तभी से मेला आयोजित किया जाने लगा जो कि निरंतर प्रतिवर्ष गणेश जन्मोत्सव के दौरान लगता है। ऐतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रदेश भर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। मान्यता अनुसार श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अरदास लगाकर मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत पूर्ण होने के पश्चात सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थदशी के दौरान दस दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं। यहां पर भोपाल, इंदौर, शाजापुर, विदिशा, होशंगाबाद, रायसेन सहित प्रदेश के बाहर से भी श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293

https://www.facebook.com/groups/Rajeev.Sehore/