सत्यव्रत
राजा सत्यव्रत और मत्स्य अवतार की कथा
भगवान विष्णु का यह अवतार सृष्टि के अंत में हुआ था जब प्रलय काल आने में कुछ वक्त बचा था। सत्यव्रत मनु जिनसे मनुष्य की उत्पत्ति हुई धर्मात्मा और भगवानविष्णु के भक्त थे। एक दिन जब सत्यव्रत मनु नदी तट पर पूजन और तर्पण कर रहे थे तब उनके कमंडल में नदी की धारा में बहकर एक छोटी सी सुनहरी मछलीआ गई।
उस छोटी सी मछली को लेकर मनु अपने राजमहल लौट आए। अगले दिन वह मछली इतनी बड़ी हो गई कि उसे एक बड़े से तालाब में रखना पड़ा। अगले दिन मछली तलाब में भी नहीं समा रही थी तब उसे नदी में डाल दिया गया। उस समय मनु ने मछली से पूछा किआप असाधारण मछली हैं, आप अपना परिचय दीजिए। भगवान विष्णु मछली से प्रकट हुए और बताया कि आज से 7 दिन बाद प्रलय आने वाला है सृष्टि की रक्षाके लिए मैंने यह अवतार लिया है। आप एक बड़ी सी नाव बना लीजिए और उसमें सभी प्रकार की औषधि और बीज रख लीजिए ताकि प्रलय के बाद फिर से सृष्टि के निर्माण का कार्य पूरा हो सके। प्रलय आने से पहले भगवान सत्यव्रत के पास आए और उनसे कहा कि आप अपनी नाव को मेरी सूंड में बांध दीजिए। सत्यव्रत परिवार सहित नाव पर सभी प्रकार के बीज और औषधि लेकर सवार हो गए और प्रलयकाल के अंत तक भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के सहारे महासागर में तैरते रहे।[१] मत्स्य अवतार में भगवान ने चारों वेदों को अपने मुंह में दवाए रखा और जब पुनः सृष्टि का निर्माण हुआ तो ब्रह्मा जी को वेद सौंप दिए। इस तरह भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर प्रलय काल से लेकर सृष्टि के फिर से निर्माण का काम पूरा किया।[२]
- एक सत्यव्रत राजा धृतराष्ट्र के पुत्र था। अर्थात १०० कौरवों में से एक सत्यव्रत भी था।
- एक अन्य सत्यव्रत का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत द्रोण पर्व के अनुसार यह त्रिगर्त के राजा सुशर्मा का भाई था, जो एक संशप्तक योद्धा था। [३]
अतिरिक्त कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ https://web.archive.org/web/20140531123821/http://theglobalviews.com/%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE/
- ↑ https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/others/because-of-this-lord-vishnu-had-taken-matsya-avatar-24558/
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।