सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

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चित्र:Galaxies-AGN-Inner-Structure.svg
एक सक्रीय गैलेक्सी का भीतरी डांचा, जिसके केन्द्र से खगोलभौतिक फौवारे निकल रहे हैं

सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है।[१]

खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है।[२][३]

बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ