शिकारा (२०२० फ़िल्म)

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शिकारा
चित्र:Shikara film poster.jpg
फिल्म का पोस्टर
निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा
निर्माता विधु विनोद चोपड़ा
पटकथा विधु विनोद चोपड़ा
राहुल पंडिता
अभिजात जोशी
कहानी विधु विनोद चोपड़ा
अभिनेता आदिल खान
सादिया खातीब
संगीतकार गीत:
संदेश शांडिल्य
अभय सोपोरी
रोहित कुलकर्णी
पार्श्व:
ए आर रहमान
कुतुब-ए-कृपा
छायाकार रंगराजन रामबदरन
संपादक विधु विनोद चोपड़ा
शिखर मिश्रा
स्टूडियो विनोद चोपड़ा फिल्म्स
वितरक फॉक्स स्टार स्टूडियो
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
  • 7 February 2020 (2020-02-07)[१]
समय सीमा 120 मिनट[२]
देश भारत
भाषा हिन्दी
कुल कारोबार अनुमानित 8.15 करोड़[३]

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शिकारा २०२० में बनी भारतीय, हिंदी भाषा की प्रेमकहानी फिल्म है, जो विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्मित और निर्देशित है। फिल्म १९९० के दशक के दौरान जम्मू और कश्मीर में उग्रवाद के चरम पर एक कश्मीरी हिंदू जोड़े की प्रेम कहानी और कश्मीर घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के बाद के पलायन पर आधारित है[४][५][६] यह फिल्म ७ फरवरी २०२० को प्रदर्शित हुई थी।

कथा

फिल्म कश्मीरी हिंदुओं के पलायन की पृष्ठभूमि में एक हिंदू कश्मीरी जोड़े की प्रेम कहानी पर आधारित है। राहुल पंडिता की किताब ऑवर मून हैज ब्लड क्लॉट्स ने फिल्म के कई हिस्सों को प्रेरित किया है।[७]

शिव कुमार धर एक प्राद्यापक और कवि हैं। उनकी मुलाकात शांति से होती है, जो अनजाने में उनकी ही नज़्मों की किताब पढ रही है। शिव अपने मित्र लतीफ़ से शांति तक उसके प्यार का संदेश देता है, जिसे शांति कबूल करती है। शिव और शांति की शादी के बाद एक साल में वो अपने लिए एक प्यारा सा घर बनाते हैं, जिसे नाम देते है "शिकारा"।

जनवरी १९९० में कश्मीर घाटी के मुसलमान कश्मीरी पंडितों पर हमला करते हैं, उनके घर जला देते हैं और कई लोगों को मार देते है। शिव और उसका परिवार जम्मू आता है और वहाँ के राहत कैंप में रहने लगता है। अपने पर हुए अत्याचारों का कथन करते हुए अमरिका के राष्ट्रापति को कई खत लिखता है। ३० वर्षों तक वहीं पर जिंदगी बिताने के बाद शिव शांति की कई सालों की तमन्ना को पूरा करने आगरा के ताजमहल आता है। वही शांति की मौत होती है और उसकी अपने घर वापिस लौटने की अभिलाषा अधूरी रहती है।

कलाकार

मुख्य कलाकार आदिल खान और सादिया खातीब।
  • आदिल खान - शिव कुमार धर
  • सादिया खातीब - शांति धर
  • खुर्शीद हसन लोन के रूप में ज़मीर असई
  • लतीफ लोन के रूप में ज़ैन खान दुर्रानी
  • नवीन के रूप में प्रियांशु चटर्जी
  • शिव के पिता के रूप में विनय रैना
  • आरती के रूप में भावना चौहान
  • मोहनलाल के रूप में अश्विन धर
  • रहमान के रूप में फ़रीद आज़ाद ख़ान
  • हाजी साहब के रूप में सगर सेहराई
  • मसूद साहब के रूप में मुश्ताक काक
  • शिव की माँ के रूप में अंजना सूद
  • शांति के पिता के रूप में फैयाज दिलबर
  • यूनुस के रूप में शाहिद लतीफ़
  • मनोहरलाल कौल के रूप में अजय कौल
  • रैना के बेटे के रूप में राहुल किलम
  • रैना साहब के रूप में रवि ब्रोरो

निर्माण

मार्च २०१८ में यह बताया गया कि विधु विनोद चोपड़ा द्वारा कश्मीर में "लव एंड लेटर्स" शीर्षक के तहत एक फिल्म की शूटिंग की गई थी। बाद में एक पत्रकार भेंट में उन्होंने उल्लेख किया कि लगभग पूरी तरह से फिल्म की शूटिंग कश्मीर में की गई थी; शुरू में गर्मियों में, फिर शरद ऋतु में और फिर सर्दियों में। केवल शरणार्थी शिविर मुंबई में और कुछ संक्षिप्त भाग आगरा में बनाए गए थे। कश्मीर में कई जगहों पर, जैसे श्रीनगर में ललित होटल, शिकारे पर, डल झील में, कई उजाड़ हिन्दू घरों में, शूटिंग हुई।[८]

1989 में जब चोपड़ा की फिल्म परिंदा रिलीज हुई, तो उनकी माँ शांति देवी प्रीमियर शो के लिए कश्मीर से मुंबई आईं। पर कश्मीर के बिगडते हालात के कारण वे कभी वापस कश्मीर नहीं लौट सकी। चोपड़ा ये फ़िल्म शिकारा अपनी माँ को समर्पित करते है।[९]

विपणन और रिलीज

७ जनवरी २०२० को फॉक्स स्टार स्टूडियो द्वारा फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर लॉन्च किया गया। [१०] [११] [१२] २७ जनवरी २०२० को दूसरा आधिकारिक ट्रेलर लॉन्च किया गया। [१३] लॉन्च इवेंट में एआर रहमान ने शिकारा की थीम प्रस्तुत की।[१४] यह फिल्म ७ फरवरी २०२० को रिलीज़ हुई थी। इसे भारत में अमेज़न प्राइम वीडियो पर ४ अप्रैल २०२० को डिजिटल रूप से जारी किया गया था।

कश्मीरी हिंदुओं के जबरन पलायन के बजाय "रोमांटिक प्रेम कहानी" पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ लोगों द्वारा इस फिल्म की आलोचना हुई और बहिष्कार किया गया था। [१५]

टाइम्स ऑफ इंडिया ने फिल्म को ५ में से ३ अंक दिए हैं, और इसे काफी हद तक एकतरफा कहानी कहा है। [२] इंडिया टुडे की ज्योति कन्याल ने भी फिल्म को ५ में से ३ अंक दिए हैं और लिखते हैं कि कहानी "खूबसूरती से वास्तविक घटनाओं और एक काल्पनिक प्रेम कहानी को जोड़ती है"। [१६] दोनों ने सादिया और आदिल खान की प्रशंसा की। न्यूजलैड्री फिल्म को एक सफल प्रेम कहानी के रूप में समीक्षा करती है लेकिन एक असफल राजनीतिक नाटक बताते है। [१७] द हिंदू एक अधिक महत्वपूर्ण समीक्षा देता है, जिसमें कहा गया है कि "चोपड़ा राजनीति को 'प्रेम और आशा' की आड़ में दबा देता है" और फिल्म को सरल बनाता है। [१८] लाइवमिंट फिल्म में 'पलायन के पीछे की राजनीति का सरलीकरण' पर भी निंदा करता है। [१९] स्क्रॉल.इन की नंदिनी रामनाथ भी इसी तरह की समीक्षा लिखते कहती हैं, इतिहास में कमजोर, प्यार में मजबूत। [२०] फ़र्स्टपोस्ट ने भी फिल्म को ५ में से ३ अंक दिए थे। [७]

संगीत

फिल्म के गीत को संदेश शांडिल्य, अभय सोपोरी और रोहित कुलकर्णी ने संगीत दिया हैं और इसके बोल इरशाद कामिल, बशीर आरिफ और रकीब आलम ने लिखे हैं। फिल्म का पार्श्व संगीत ए॰ आर॰ रहमान और कुतुब-ए-कृपा ने बनाया हैं।

गीत सूची
क्र॰शीर्षकगीतकारसंगीतकारगायकअवधि
1."मर जाए हम"इरशाद कामिलसंदेश शांडिल्यपापोन, श्रद्धा मिश्रा3:58
2."घर भरा सा लगे"इरशाद कामिलसंदेश शांडिल्यपापोन, श्रेया घोषाल3:47
3."शुक्राना गूल खिले"बशीर आरिफअभय सोपोरीमुनीर अहमद मीर2:36
4."चटर पटर"रकीब आलमरोहित कुलकर्णीमीका सिंह3:38
5."तेरी आरजू में"इरशाद कामिलसंदेश शांडिल्यपापोन, कौशिकी चक्रबर्ती4:07
6."ए वादी शेहजादी"इरशाद कामिलसंदेश शांडिल्यपापोन3:35
7."उमर गुजरी"इरशाद कामिलसंदेश शांडिल्यआदिल खान2:26
कुल अवधि:24:07

संदर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. Pallabi Dey Purkayastha (7 February 2020). स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. The Times of India.
  3. साँचा:cite web
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  5. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
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