शहादा
स्क्रिप्ट त्रुटि: "redirect hatnote" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
साँचा:color |
---|
शहादा (साँचा:lang-ar साँचा:transl साँचा:small "गवाही देना"; और भी अश-शहादतन (साँचा:lang, "दो गवाहियाँ, एक इस्लामी बुनियादी प्रथा है, इस बात का एलान करना कि अल्लाह (ईश्वर) एक है और मुहम्मद अल्लाह (ईश्वर) के भेजे गए प्रेषित (पैगम्बर) हैं. यह एलान सूक्ष्म रूप से इस तरह है:
- لَا إِلٰهَ إِلَّا الله مُحَمَّدٌ رَسُولُ الله
- ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुन रसूलुल्लाह
- कोई भी परमेश्वर नहीं है, परमेश्वर के सिवा, मुहम्मद उस ईश्वर के प्रेषित हैं.[१]
हर मुसलमान इस बात को प्रकट करता है कि "अल्लाह एक है, और मुहम्मद, अल्लाह के रसूल हैं", यही विशवास का मूल धातू और स्तंभ है।
शब्द और उच्छारण
शहादा (साँचा:lang) गवाही को कहते हैं, ग्नान कोष में, न्याय कोष में भी इस शब्द को इस्तेमाल किया जाता है, जो क कि गवाही के लिए इस्तेमाल होता है, चाहे वह कर्जा, हादिसे, बुराई, या तलाक के वक्त में हो। [२]
इस्लामी पद कोष में और कुरआन के सन्दर्भ में यह शब्द "विश्वास प्रकट" के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शहादा पढना या बोलना, या प्रकट करना हर मुस्लिम के लिए ज़रूरी है। इसी से ईमान या विश्वास स्वीकार और प्रकट होता है।
चित्र मालिका
इन चित्रों में, बहुत सारे ध्वज हैं जिन पर "शहादा" लिखा हुआ है।
नज्द (1921) का ध्वज
सौदी अरब का ध्वज
मन्कुस का सोने का दीनार. अब्बासी दीनारों की नक़ल (774). आज भी "मुहम्मद, अल्लाह के प्रेषित हैं" लिखा हुआ मिलेगा.
इब्न तुलुन मस्जिद कैरो में, इमाम मुस्तान्सिर का किबला, शिया कलिमा लिखा हुआ।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wikimedia Commons has media related to Shahada.साँचा:preview warning |