बृहदीश्वर मन्दिर
बृहदीश्वर मन्दिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
देवता | शिव |
त्यौहार | महाशिवरात्रि |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
राज्य | तमिलनाडु |
देश | भारत |
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भौगोलिक निर्देशांक | साँचा:coord |
वास्तु विवरण | |
शैली | द्रविड़ शैली |
निर्माता | साँचा:if empty |
निर्माण पूर्ण | 1010 AD[१][२] |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
अभिलेख | तमिल और ग्रन्थ लिपियाँ |
अवस्थिति ऊँचाई | साँचा:convert |
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यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | |
आधिकारिक नाम | बृहदीश्वर मन्दिर प्रांगण, तंजावुर |
भाग | Great Living Chola Temples |
मानदंड | सांस्कृतिक और प्राकृतिक: (ii), (iii) |
सन्दर्भ | 250bis-001 |
शिलालेख | साँचा:if first display both |
खतरे वर्ष | 2004 |
क्षेत्र | साँचा:convert |
मध्यवर्ती क्षेत्र | साँचा:convert |
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बृहदीश्वर मन्दिर या राजराजेश्वरम् तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं। यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट निर्मित है। विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।[३]
इसका निर्माण 1003-1010 ई. के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इसके तेरह (13) मंजिलें भवन (सभी हिंदू अधिस्थापनाओं में मंजिलो की संख्या विषम होती है।) की ऊँचाई लगभग 66 मीटर है। मंदिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।
यह कला की प्रत्येक शाखा - वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर उत्कीर्ण संस्कृत व तमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, अनुमानत: उसका भार 2200 मन (80 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका वृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।
मंदिर में प्रवेश करने पर गोपुरम् के भीतर एक चौकोर मंडप है। वहां चबूतरे पर नन्दी जी विराजमान हैं। नन्दी जी की यह प्रतिमा 6 मीटर लंबी, 2.6 मीटर चौड़ी तथा 3.7 मीटर ऊंची है। भारतवर्ष में एक ही पत्थर से निर्मित नन्दी जी की यह दूसरी सर्वाधिक विशाल प्रतिमा है। तंजौर में अन्य दर्शनीय मंदिर हैं- तिरुवोरिर्युर, गंगैकोंडचोलपुरम तथा दारासुरम्।
छबिदीर्घा
भिक्षाटन प्रतिमा (मुख्य गोपुरम्)
सन्दर्भ
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नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;mitchell
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ बृहदेश्वर मंदिर- दक्षिण भारत की वाjhyfhijस्तुकला की एक भव्य मिसाल
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- वृहदेश्वर मंदिर चोल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- बृहदेश्वर मंदिर - तंजौर
- वृहदेश्वर मंदिर, तंजावूर
- विश्व विरासत स्थल : बृहदीश्वर चोल मंदिर स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- बृहदेश्वर मन्दिर का इतिहास और रोचक बातें
- This tallest temple in India’s Tamil Nadu is over 1,000 years old and its engineering is still a mystery to historians