विद्याकर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:asbox विद्याकर (1050 - 1130) एक बौद्ध विद्वान तथा कवि थे। उनके जीवन के बारे में बहुत कम ज्ञात है। उनकी कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध है। वस्तुतः यह सुभाषितों का एक संग्रह-ग्रन्थ है। कुछलोग इसे संस्कृत साहित्य की सर्वश्रेष्ठ संग्रहग्रन्थ मानते हैं। इसमें संग्रहीत श्लोकों के मूल रचनाकारों का नाम भी प्रायः दिया हुआ है। जिन श्लोकों के मूल लेखकों के नाम दिए हैं, वे इसकी रचना के दो सौ वर्ष पहले तक के हैं। इस दृष्टि से यह ग्रन्थ, अपने समय का 'आधुनिक काव्य संग्रह' कहा जा सकता है।

सुभाषितरत्नकोश में निम्नलिखित ५० व्रज्या (पाठ) हैं-

(१) सुगतव्रज्या
(२) लोकेश्वरव्रज्या
(३) मञ्जुघोषव्रज्या
(४) महेश्वरव्रज्या
(५) तद्वर्गव्रज्या
(६) हरिव्रज्या
(७) सूर्यव्रज्या
(८) वसन्तव्रज्या
(९) ग्रीष्मव्रज्या
(१०) प्रावृड्व्रज्या
(११) शरद्व्रज्या
(१२) हेमन्तव्रज्या
(१३) शिशिरव्रज्या
(१४) मदनव्रज्या
(१५) वयःसन्धिव्रज्या
(१६) युवतिवर्णनव्रज्या
(१७) अनुरागव्रज्या
(१८) दूतीवचनव्रज्या
(१९) सम्भोगव्रज्या
(२०) समाप्तनिधुवनचिह्नव्रज्या
(२१) मानिनीव्रज्या
(२२) विरहिणीव्रज्या
(२३) विरहिव्रज्या
(२४) असतीव्रज्या
(२५) दूतिकोपालम्भव्रज्या
(२६) प्रदीपव्रज्या
(२७) अपराह्णव्रज्या
(२८) अन्धकारव्रज्या
(२९) चन्द्रव्रज्या
(३०) प्रत्यूषव्रज्या
(३१) मध्याह्नव्रज्या
(३२) यशोव्रज्या
(३३) अन्यापदेशव्रज्या
(३४) वातव्रज्या
(३५) जातिव्रज्या
(३६) माहात्म्यव्रज्या
(३७) सद्व्रज्या
(३८) असद्व्रज्या
(३९) दीनव्रज्या
(४०) अर्थान्तरन्यासव्रज्या
(४१) चाटुव्रज्या
(४२) निर्वेदव्रज्या
(४३) वार्धक्यव्रज्या
(४४) श्मशानव्रज्या
(४५) वीरव्रज्या
(४६) प्रशस्तिव्रज्या
(४७) पर्वतव्रज्या
(४८) शान्तिव्रज्या
(४९) संकीर्णव्रज्या
(५०) कविस्तुतिव्रज्या

बाहरी कड़ियाँ