विदेह वंश
यह पृष्ठ हिन्दू देवी सीता से संबंधित निम्न लेख श्रृंखला का हिस्सा है- सीता | |
---|---|
प्राचीन काल में आर्यजन अपने गणराज्य का नामकरण राजन्य वर्ग के किसी विशिष्ट व्यक्ति के नाम पर किया करते थे जिसे विदेह कहा गया। ये जन का नाम था। कालान्तर में विदेध ही विदेह हो गया।
विदेह राजवंश का आरम्भ इक्ष्वाकु के पुत्र निमि विदेह के मानी जाती है। यह सूर्यवंशी थे। इसी वंश का दूसरा राजा मिथि जनक विदेह ने मिथिलांचल की स्थापना की। इस वंश के २५वें राजा सिरध्वज जनक थे जो कौशल के राजा दशरथ के समकालीन थे।
- विदेह की राजधानी मिथिला थी। इस वंश के करल जनक अन्तिम राजा थे।
- मिथिला के प्रजा ने विदेह राजवंश के अन्तिम राजा करलजनक को समाप्त कर गणतंत्र का नींव रखा ।
उल्लेखनीय है कि विदेह राजतन्त्र से बदलकर (छठीं सदी ई० पू०) गणतन्त्र हो गया था। यही बाद में लिच्छवी/वज्जि महासंघ के नाम से विख्यात हुआ।
गणराज्य की शासन व्यवस्था- सारी शक्ति केन्द्रीय समिति या संस्थागार में निहित थी।
संस्थागार के कार्यभार- आधुनिक प्रजातन्त्र संसद के ही समान थी।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्राचीन बिहार के मुख्य जनपद मगध, अंग, वैशाली और मिथिला, भारतीय संस्कृति और सभ्यता की विशिष्ट आधारशिला हैं।