वाजिदा तबस्सुम

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वाजिदा तबस्सुम
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व्यवसायलेखिका
भाषाउर्दू
राष्ट्रीयताभारतीय

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वाजिदा तबस्सुम (साँचा:lang-ur; 16 मार्च 1935 – 7 दिसंबर 2011) उर्दू भाषा की भारतीय लेखिका, कवयित्री और गीतकार थीं। अपने जीवनकाल में उनहोंने 27 किताबें लिखीं जिनमें से कुछ कहानियों के ऊपर फ़िल्में और भारतीय टेलीविज़न धारावाहिक कार्यक्रम बनी हैं। उनकी 1975 की विवादस्पद कहानी उतरन पर आधारित 1988 में एक लोकप्रिय भारतीय टेलीविज़न धारावाहिक बना था।[१][२][३] 1994 में सच डिवोटेड सिस्टर्ज़ नामक 20 लघुकथाओं की किताब में उतरन के अंग्रेज़ी अनुवाद समावेश किया गया था जिसके ऊपर 1996 में मीरा नायर और हेलेना क्रिएल द्वारा लिखित कामसूत्र: अ टेल ऑफ़ लव नामक फ़िल्म बनी थी।[४][५]

जीवनी

वाजिदा तबस्सुम अमरावती, महाराष्ट्र में पैदा हुई थीं। उनहोंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से उर्दू भाषा में डिग्री प्राप्त की। स्नातक के बाद उनका परिवार अमरावती से हैदराबाद चला गया जहाँ के कुलीन सामाजिक जीवन की पृष्ठभूमि में उनहोंने 1940 से उर्दू की दक्खिनी बोली में कहानियाँ लिखना शुरू की।[३][६][७] उनहोंने 1960 में अपने चचेरे भाई से शादी की जो भारतीय रेल में काम करते थे। उनके पति ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद उनकी सभी कहानियाँ छपवाया। वे अपने चार बेटे और एक बेटी के साथ मुंबई में बस गए।[६]

वाजिदा तबस्सुम की कहानियाँ बीसवीं सदी में प्रकाशित होने लगी। तत्कालीन हैदराबादी नवाबों के आनंदी और प्रणयशील माने जानेवाले जीवनों पर आधारित ये कहानियाँ रत्यात्मक थीं। 1960 में शहर-ए-ममनू नाम से प्रकाशित उनके कथा संग्रह को बहुत ख्याति और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। साहितियक आलोचक मुजतबा हुसैन के अनुसार चुग़ताई के बाद वे पहली लेखिका थीं जिसे साहिब-ए-असलूब​ कहा जा सकता था। दूसरी तरफ़ उनहोंने उनकी कहानियों में शराफ़त की कमी पर अफ़सोस जताया। उतरन, जिसके ऊपर फ़िल्में और टेलीविज़न धारावाहिक कार्यक्रम बनी हैं, तबस्सुम के लिए एक साहित्यिक उपलब्धि थी। उनकी कहानियाँ नथ का बोझ, हौर​ ऊपर और नथ उतरवाई भी रत्यात्मक होने की वजह से विवादस्पद थीं। 1960 से 1970 की दशक में उनकी रत्यात्मक कहानियाँ शमा में प्रकाशित होती थीं और यही उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत था। तथापि, संधि शोथ के निदान के बाद वे अपने मुंबई के घर में तन्हाई की ज़िंदगी गुज़ारने लगीं हालाँकि उनके घर में फ़िल्मों की शूटिंग होती थी। 7 दिसंबर 2011 को उनकी मुंबई में मृत्यु हो गई।[६][७]

कृतियाँ

  • तहख़ाना (1968)
  • उतरन (1975)
  • कैसे समझाऊँ (1977)
  • फूल खिलने दो (1977)
  • ज़ख़्म-ए-दिल और महक, और महक (1978)[८]
  • ज़र ज़न ज़मीन (1978)[६][७]

संदर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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