कामसूत्र: अ टेल ऑफ़ लव

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कामसूत्र: अ टेल ऑफ़ लव
निर्देशक मीरा नायर
निर्माता कैरोलिन बैरन​
लिडिया डीन पिल्चर​
मीरा नायर
लेखक मीरा नायर
पटकथा मीरा नायर
कहानी हेलेना क्रिएल
मीरा नायर
अभिनेता
संगीतकार माइकल डैना
छायाकार डेकलन क्विन​
संपादक क्रिस्टिना बोडन​
स्टूडियो
वितरक ट्रायमार्क​ पिक्चर्ज़​
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
समय सीमा 117 मिनट
देश
  • भारत
  • संयुक्त अधिराज्य
  • जर्मनी
  • जापान[१]
भाषा अंग्रेजी
लागत US$३० करोड़[२]
कुल कारोबार US$८६ करोड़[२]

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कामसूत्र: अ टेल ऑफ़ लव मीरा नायर द्वारा सहलिखित, सहनिर्मित और निर्देशित भारतीय ऐतिहासिक रत्यात्मक रूमानी फ़िल्म है जो 1996 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म का पहला भाग भारतीय लेखिका वाजिदा तबस्सुम द्वारा लिखित उतरन नामक लघु उर्दू कहानी पर और फ़िल्म का नाम प्राचीन भारतीय ग्रंथ कामसूत्र पर आधारित है।[३] फ़िल्म के प्रमुख पात्रों की भूमिका में रेखा, इंदिरा वर्मा, रामोन टीकाराम और नवीन ऐंड्र्यूज़​ मौजूद है। यह फ़िल्म के निर्माण में भारतीय, ब्रिटिश, जर्मन और जापानी फ़िल्म स्टूडियो शामिल थे।

डेकलन क्विन ने 1998 में इस फ़िल्म में अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ छायांकन के लिए इंडिपेंडेंट स्पिरिट​ पुरस्कार प्राप्त किया।[४] कामसूत्र 1996 के सान सेबास्तियान अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में गोल्डन सीशेल पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ था और यह फ़िल्म कान फ़िल्मोत्सव में दर्शाई गई थी।[५] फ़िल्म की रत्यात्मक दृश्यों की वजह से इसे रिलीज़ के समय में भारत में निषेधित किया गया था।[६][७]

कथानक

सोलहवीं सदी के भारत में तारा एक राजकुमारी है और माया उसकी सुंदर दासी। वे दोनों सहेलियाँ हैं लेकिन उन दोनों की मित्रता में जलन और अमर्ष की छुपी प्रवृत्ति है चूँकि माया को हमेशा नए कपड़े के बजाय तारा के पुराने कपड़े दिए जाते है। जब दोनों लड़कियाँ शादी की उम्र की होने लगती हैं तब तारा को इस बात से जलन होती है कि माया उससे अच्छी नर्तकी है और उसके माता-पिता और कूबड़ा भाई, राजकुमार विक्रम, उसकी दासी से प्यार से पेश आते हैं।

तारा राजकुमार राजसिंह से शादी करने की तैयारी कर रही होती है लेकिन जब राजकुमार अपनी भावी पत्नी को देखने आता है, वह एक ही बार में माया से प्यार करने लगता है। यह बात जानने के बाद तारा माया के मुँह पर थूकती है और उसे शादी की रस्मों से दूर रहने का आदेश देती है। बदले में माया तारा की शादी से पहले राज से संभोग करती है जो विक्रम छुपकर देखता है।

जब तारा अपनी शादी से घर लौट रही होती है तब माया बताती है कि इतने सालों तक राजकुमारी के उतरन के उपयोग करने के बाद अंततः राजकुमारी का माया के उतरन के उपयोग करने का दिन आ गया। अपने सुहागरात में तारा अपनी शादी को पूर्ण करने से हिचकिचाती है। आवेग में आकर राज तारा का बलात्कार करता है और उसे माया बुलाता है जिसकी वजह से हिंसा और तिरस्कार से ही उनके संबंध की शुरुआत होती है। इसके बावजूद भी तारा अपने निरुत्सुक पति के साथ एक सुखद विवाह की कामना करती है।

माया के मान बचाने के लिए विक्रम माया से शादी का प्रस्ताव रखता है। जब माया उसके प्रस्ताव को अस्वीकार करता है तब वह सबके सामने माया को रंडी घोषित करता है जिसकी वजह से वह अपने घर छोड़कर जाने को बाध्य होती है। अपने आप मँडराती हुई माया जयकुमार नामक मूर्तिकार से मिलती है जो राज के लिए काम करता है। वह बताता है कि माया उसकी सुंदर और अति रत्यात्मक मूर्तियों की प्रेरणा है। जय उसे रसदेवी नामक महिला के पास ले जाता है जो कामसूत्र की शिक्षा देती है। माया जय के साथ एक तीव्र रूमानी और शारीरिक संबंध की शुरुआत करती है जो तब ख़त्म होता है जब जय को डर लगने लगता है कि माया के ख़यालों में डूबते हुए वह अपने काम से हाथ धो बैठेगा। माया सांत्वना के लिए रसदेवी के पास जाती है और वेश्यावृत्ति की शिक्षा लेती है।

राज, जो अब राजा बन चुका है, जय की मूर्तियों में से एक में से माया को पहचानता है और माया को ढूँढने के लिए सिपाही भेजता है जो माया को राज की वेश्या के तौर पर पेश करते हैं। उसके कुछ समय बाद राज और जय के बीच कुश्ती होती है जिसमें जय जीतता है। इसकी वजह से जय राज का एहसान तो पाता है लेकिन उसे राज को फिर से हराने के बाद कड़ी चुनौतियों की धमकी मिलती है। उसके बाद जय को माया की वेश्यावृत्ति के बारे में पता चलता है। जय जान जाता है कि उसका राजा एक ख़तरनाक आदमी है और उसे अपने और माया के संबंध को एक राज़ के तौर पर छुपाना बेहतर होगा।

उसी दौरान राज्य में शाह द्वारा आक्रमण का ख़तरा बढ़ता है। राज और ग़ैर-ज़िम्मेदार होता जाता है और अफ़ीम के लत तथा व्यभिचार पर उतरता है। अपने व्यभिचार के लिए वह अपने ग़रीब जनता से कर उठवाता है। जब वह विक्रम का अपमान करता है तब विक्रम शाह को राज के राज्य को मिटाने की विनती करते हुए एक चिट्ठी लिखता है। जय और माया फिर से गुप्त तौर पर अपने संबंध को जागते हैं। राज और जय के बीच तनाव बढ़ते समय जय और माया छुपकर शादी कर लेते है। बाद में राज दोनों प्रेमियों को साथ में देखता है और जय को मृत्युदंड की सज़ा सुनाता है।

तारा को आत्महत्या की कोशिश करते हुए देखकर माया अपनी बचपन की सहेली से सुलह करती है। माया तारा को राज को बहकना सिखाती है जब तारा माया को जय से मिलने में मदद करने का वादा करती है। तथापि, जब तारा अपने पति के पास जाती है, तब वह माया के बहकाने का तरीक़ा पहचान जाता है और फिर से अपनी पत्नी का तिरस्कार करने की कोशिश करता है। तारा राज को बताती है कि वह उससे घृणा करने के लिए कभी भी उससे प्यार नहीं करती थी और चली जाती है। माया अंतिम बार जय से मिलती है। जय को अपनी निष्ठा का वादा करते हुए वह अपने लंबे बाल काटकर वाचा करती है कि वह हमेशा ही जय की विधवा रहेगी। उसके बाद माया राज को अपने आत्मसमर्पण की प्रतिज्ञा के साथ जय को छुड़वाने की कोशिश करती है लेकिन राज नहीं मानता।

मृत्युदंड के ठीक आगे शाह राज को एक बक्सा भेजता है जिसमें राज का भाई, वज़ीर, का कटा हुआ सिर होता है। जय को हाथी कुचलकर मार देता है जबकि माया भीड़ में से देखती रहती है। जब शाह के सिपाही राज के दरबार पर आक्रमण कर रहे होते है, तब माया दूर चलने लगती है।

अभिनेतावृंद

निर्माण

इंदिरा वर्मा के अनुसार फ़िल्म के छायांकन से पहले उन्हें पता नहीं था कि फ़िल्म में रत्यात्मक दृश्य होंगे। "छायांकन के समय में फ़िल्म को कामसूत्र नहीं कहा गया था," उनहोंने कहा। "फ़िल्म गुमनाम थी और पटकथा में प्रेम के बारे में लिखा था। जब आप जवान और भोले होते हैं, आपको पता नहीं होता कि वही एक वाक्य के छायांकन के लिए बिना कपड़े एक दिन बिताना पड़ेगा।"[८]

आलोचनात्मक प्रतिक्रियाएँ

20 पेशेवर फ़िल्म आलोचकों के समीक्षाओं के आधार पर इस फ़िल्म को रॉटन टमेटोज़ में 40% सकारात्मक समीक्षाएँ प्राप्त है।[९]

इन्हें भी देखें

संदर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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