यू॰ थांट

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यू॰ थांट
U Thant (1963).jpg
1963 में ली गयी छवि
जन्म साँचा:birth date
पंतनव, ब्रिटिश वर्मा, ब्रिटिश शासन
मृत्यु साँचा:nowrap
न्यूयार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
मृत्यु का कारण लाँग कैंसर
स्मारक समाधि यू थांट का मकबरा, स्वीडन पगोडा रोड, रंगून।
राष्ट्रीयता म्यान्मार/वर्मी
पूर्वाधिकारी डैग हैमरस्क्जोंल्ड
उत्तराधिकारी कुर्त वॉल्डहाइम
धार्मिक मान्यता बौद्ध धर्म
जीवनसाथी थिन टीन
बच्चे मौंग वो, टीन मौंग थांट, आए आए थांट
माता-पिता पो हानित/नान थोंग
अंतिम स्थान यू थांट का मकबरा, स्वीडन पगोडा रोड, रंगून।

यू॰ थांट (्बर्मीज़ उच्चारण: [ʔú θa̰ɴ]; 22 जनवरी 1909-25 नवम्बर 1974)[१] एक बर्मी राजनयिक थे और इन्होने 1961 से 1971 तक संयुक्त राष्ट्र के तीसरे महासचिव के रूप में सेवा की। सितंबर 1961 में जब संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमरस्क्जोंल्ड का निधन हुआ तब वे इस पद के लिए चुने गए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक रही क्यूबाई मिसाइल संकट के दौरान जॉन एफ कैनेडी और निकिता क्रुश्चेव के बीच वार्ता कराना, जिससे एक प्रमुख वैश्विक तबाही की संभावना से पूरा विश्व बच गया।

"यू" बर्मीस में सम्मान सूचक शब्द है, जिसका अर्थ "श्रीमान" की तरह माना जा सकता है। "थांट" उनका वास्तविक नाम है। बर्मीस में वे "पंतानाव यू थान्ट" के नाम से जाने जाते हैं। "पंतानाव" शब्द उनके गृह नगर से लिया गया है।

प्रारंभिक जीवन

1927 में रंगून विश्वविद्यालय में यू थांट एक छात्र के रूप में।

थांट का जन्म निचली वर्मा के पंटानव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पंटानव के नेशनल हाई स्कूल से हुयी। तत्पश्चात उन्होने रंगून विश्वविद्यालय से इतिहास विषय के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त की। चावल व्यापारी के परिवार में पैदा हुये थांट अपने चार भाइयों में सबसे बड़े थे। ब्रिटिश शासन काल के दौरान उनके पिता पो हानित ने कोलकाता से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद "दि सन रंगून" नामक अखबार को एक मानक के रूप में स्थापित किया।[२][३] वे बर्मा रिसर्च सोसायटी के संस्थापक सदस्य भी थे। जब थांट 14 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी। विरासत के विवादों के कारण कठिन और विपरीत आर्थिक संकटों में उनकी माँ "नान थोंग" ने उनकी और अन्य तीन बच्चों की परवरिश की। उनके साथ-साथ उनके तीनों भाई यू खंट, यू थौंग और टिन मौंग भी आगे चलकर राजनेता और प्रखर विद्वान बने।

विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त करने के बाद थांट पंटानव लौट आए और नेशनल हाई स्कूल में पढ़ाने लगे। पच्चीस साल की उम्र में ये उसी विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने। इसी दौरान वे भावी प्रधान मंत्री "यू नु" के संपर्क में आए और उनके करीबी दोस्त बन गए। थांट ने "थाइलवा" के नाम से कई बड़े पत्र व पत्रिकाओं में नियमित रूप से आलेख और स्तंभ लिखे। कई पुस्तकें लिखी, जिसमें से एक पुस्तक "लीग ऑफ नेशंस" का उन्होने अनुवाद भी किया।[४] थांट बौद्ध धर्म के अनुयाई थे।[५]

व्यक्तिगत जीवन

यू थांट के तीन भाई थे : पंटानव खांट यू॰, यू॰ थोंग और यू टिन मोंग। उनकी शादी डॉ थिन टिन से हुयी थी। उनके दो बेटे थे, लेकिन उन्होने दोनों को अपने जीवन में ही खो दिया। मोंग वो की प्रारंभिक अवस्था में ही मृत्यु हो गयी और टीन मोंग थोट की यांगून के लिए एक यात्रा के दौरान बस से गिर जाने के कारण मृत्यु हो गयी। यू थांट की एक बेटी, एक दत्तक पुत्र और पाँच पोते (तीन लड़कियां और दो ​​लड़कें) बच गए थे। उनका एक पोता "मिंट यू थोंट" संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों के विभाग में पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और इतिहासकार के साथ-साथ यू थांट के जीवनी लेखक हैं।[६]

प्रशासनिक उत्तरदायित्व

1957 में अपने परिवार व बच्चों मौंग वो, टीन मौंग थांट तथा आए आए थांट के साथ यू॰ थांट।
यू॰ थांट और उनकी माँ नान थौंग।

स्वतन्त्रता के पश्चात जब "यू नु" वर्मा के प्रधान मंत्री बने तब उन्होने 1948 में यू॰ थांट को रंगून आने का निमंत्रण दिया और एक महत्वपूर्ण दायित्व देते हुये प्रसारण निदेशक का उत्तरदायित्व सौंपा। अगले वर्ष में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (बर्मा) में सचिव के पद पर नियुक्त हुये। 1951 से 1957 तक थांट प्रधानमंत्री के सचिव रहे। इस दौरान वे "यू नु" के लिए भाषण लिखने, उनकी विदेश यात्रा की व्यवस्था करने और विदेशी पर्यटकों के साथ बैठक आदि की व्यवस्था संभालते रहे। इस पूरी अवधि के दौरान, वे यू नु के करीबी विश्वासपात्र और सलाहकार थे।

उन्होने कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया और 1955 में वे पहले एशियाई - अफ्रीकी शिखर सम्मेलन के सचिव भी रहे। 1957 से 1961 तक वे संयुक्त राष्ट्र के म्यांमार के स्थायी प्रतिनिधि रहे। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के स्थायी प्रतिनिधि रहते हुये वे सक्रिय रूप से राष्ट्रवाद और प्रतिरोध पर अल्जीरियाई स्वतंत्रता वार्ता में शामिल हुये। 1961 में बर्मा सरकार ने उन्हें एक कमांडर के रूप में ऑर्डर ऑफ प्यिडौंग्सु सिथु (Order of Pyidaungsu Sithu) से सम्मानित किया।[७]

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव

संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की यात्रा के दौरान यू॰ थांट जॉन एफ केनेडी से हाथ मिलते हुये।

थांट ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव का पद 3 नवम्बर 1961 को ग्रहण किया, जब वे सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 168, संकल्प 168 के अंतर्गत डैग हैमरस्क्जोंल्ड के स्थान पर महासचिव नियुक्त किए गए। 30 नवम्बर 1962 को उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा प्रस्ताव पारित करके पुन: 30 नवम्बर 1966 को समाप्त होने वाली अवधि के बाद हेतु महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर वे 31 दिसम्बर 1971 तक रहे।[८] [९] 1965 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया।[१०]

मृत्यु

25 नवम्बर 1974 को न्यूयॉर्क में फेफड़ों के कैंसर से यू थांट की मृत्यु हो गयी। उस समय वर्मा में सैन्य शासन था, जो मृत्योपरांत उनके लिए किसी भी प्रकार के सम्मान से इंकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि 2 मार्च 1962 को "यू नु" की सरकार के तख्तापलट के बाद "नि बिन" ने वर्मा की शासन का बागडोर थामा था, यही कारण था कि तात्कालिक राष्ट्रपति "नि बिन" थांट से ईर्ष्या करते थे। उन्होने थांट की मृत्यु के बाद यह फरमान जारी किया था कि यू थांट को किसी भी सरकारी भागीदारी या समारोह के बिना ही दफन किया जाये। यही कारण था कि जब न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से उनके मृत शरीर को रंगून ले जाया गया तब रंगून हवाई अड्डे पर तात्कालिन उप शिक्षा मंत्री के अलावा अन्य कोई सरकारी अधिकारी या वर्मा सरकार के उच्च पदस्थ व्यक्ति मौजूद नहीं थे। बाद में उस उप शिक्षा मंत्री को तात्कालिक वर्मा सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय कद देकर वर्मी जनता ने उन्हें जो सर्वोच्च सम्मान दिया वह किसी भी बड़े सम्मान से कहीं ज्यादा बड़ा है। वे आज भी वर्मी जनता के दिलों में बसे हुये हैं। [११]

स्मृति शेष

  • यू थांट शांति पुरस्कार विश्व शांति की प्राप्ति की ओर विशिष्ट उपलब्धियों के लिए यह सम्मान व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के पीछे बहने वाली ईस्ट नदी पर "यू थांट द्वीप" उनके नाम पर है।[१२]
  • मलेशिया के जालान कुआलालंपुर में उनके सम्मान में "यू थांट रोड" है।

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

स्वीडन पेगोडा रोड रंगून में थांट का मकबरा

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  4. Naing, Saw Yan (जनवरी 22, 2009). रिमेंबरिंग यू थांट एंड हीज एचिवमेंट स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।.
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  6. साँचा:cite book
  7. एच डव्लू विल्सन कंपनी (1962). करेंट बाओग्राफी, वाल्यूम 23.एच॰ डाव्लू॰ विल्सन कंपनी
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  10. साँचा:cite web
  11. एशियन आलमेनक, वाल्यूम 13. (1975). s.n. p. 6809.
  12. साँचा:cite news