यूरी मिख़ाय्लोविच पलिकोव

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यूरी मिखायलाविच पलिकोफ़

कथाकार, पत्रकार, नाटककार और कवि यूरी पलिकोफ़ का जन्म १९५४ में मास्को में हुआ। १९७६ में उन्होंने मास्को प्रदेश अध्यापन संस्थान से एम.ए. किया और फिर वहीं से पीएच.डी. की। इसके बाद वे एक स्कूल में अध्यापन करने लगे। बाद में 'मास्कोव्स्की लितरातर' नामक साहित्यिक पत्र में संपादक रहे। अब सन २००१ से यूरी पलिकोफ 'लितरातूरनया गज्येता' (लिटरेरी गजट) नामक एक बड़े साप्ताहिक के संपादक हैं।


यूरी पलिकोफ़ की रचनाओं का पहला प्रकाशन १९७४ में 'मास्कोव्स्की कमसामोलित्स' समाचार पत्र में हुआ। तब से वे इस पत्र में लगातार लिखते रहे हैं। १९८० में पलिकोफ़ की पहली किताब प्रकाशित हुई जो एक कविता-संग्रह था और जिसका शीर्षक था - 'ब्रेम्या प्रिबीत्या' (आने का समय)। लेकिन यूरी पलिकोफ़ कथाकार के रूप में चर्चित हुए। १९८५ में 'यूनस्त' (कैशौर्य) पत्रिका में 'क्षेत्रीय स्तर की आपात्तकालीन स्थिति' नामक लंबी कहानी छपने के बाद रूस में उनकी चर्चा होने लगी। 'यूनस्त' और 'मस्कवा' नामक साहित्यिक पत्रिकोओं में इनकी रचनाएँ लगातार प्रकाशित होती हैं।


इनकी प्रसिद्ध गद्य रचनाएँ हैं- 'आदेश से पहले सौ दिन', 'अपाफिगेय' (सर्वोच्च समारोह), 'कोस्त्या गुमनकोफ़ का पैरिस', 'देमगरादोक' (लोकतांत्रिक नगर), 'गिरे हुओं का आसमान', 'मैंने भागने की सोची' और 'अफ्रोदिता का बायाँ स्तन' आदि। यूरी पलिकोफ़ के लेखों के संग्रहों के नाम हैं- 'झूठ के साम्राज्य से झूठ के लोकराज्य तक' और 'पोर्नोक्रेसी'। इनकी रचनाओं का अनुवाद विश्व की तमाम भाषाओं में हुआ है। इनकी रचनाओं के आधार पर अनेक नाटकों का मंचन और फिल्मों का निर्माण हो चुका है।


यूरी पलिकोफ़ अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कोष के अध्यक्ष हैं। वे रूसी पेन सेंटर के सदस्य हैं और दस्तोयव्स्की कोष की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं। १९९० से २००१ तक वे रूसी लेखक संघ के संचालन मंडल के सदस्य रहे। वे स्वतंत्र लेखक संघ के संस्थापक सदस्य हैं। यूरी पलिकोफ रूस के राष्ट्रपति द्वारा संचालित संस्कृति कला परिषद और नागरिक समाज व मानवाधिकार संस्थानों के विकास में सहयोग देने वाली परिषद के सदस्य हैं। उन्हें अनेक साहित्यिक पुरस्कार भी मिल चुके हैं।